डॉ काशी प्रसाद की जयंती इतिहास दिवस के रुप में घोषित करें सरकार : मनोज जायसवाल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 3 अगस्त 2023

डॉ काशी प्रसाद की जयंती इतिहास दिवस के रुप में घोषित करें सरकार : मनोज जायसवाल

  • आज बड़ागांव में श्रद्धेय डॉ काशी प्रसाद की 86वीं पूण्यतिथि पर जुटेंगे जायसवाल सहित अन्य स्वजातिय बंधु, कानून और इतिहास जैसे विषयों पर उनकी गहरी पकड़ थी

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वाराणसी (सुरेश गांधी) डॉ काशी प्रसाद की 86वीं पूण्यतिथि की पूर्व संध्या पर जायसवाल क्लब के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल जायसवाल ने सरकार से उनकी जयंती 27 नवंबर को इतिहास दिवस के रुप में मनाने की मांग की है। मनोज जायसवाल ने कहा कि इस बाबत  पं दीन दयाल नगर के विधायक रमेश जायसवाल के साथ वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके कालीदास मार्ग के आवास पर मिलकर मांग पत्र सौंपा है। मांग पत्र में डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न, उनके नाम पर टिकट जारी करने व उनके नाम पर बोर्ड के गठन के साथ ही उनकी जयंती 27 नवंबर को इतिहास दिवस के रुप में मनाने की मांग प्रमुख है। मनोज जायसवाल ने बताया कि 4 अगस्त को बड़ागांव में श्रद्धेय डॉ काशी प्रसाद की 86वीं पूण्यतिथि मनायी जायेगी। इस मौके पर जायसवाल सहित अन्य स्वजातिय बंधु का जुटान होगा।


मनोज जायसवाल ने डॉ काशी प्रसाद के जीवनी की चर्चा करते हुए कहा कि डॉ काशी प्रसाद एक उच्चकोटि के राष्ट्रभक्त थे। उनका यह अदम्य विश्वास था की प्रागैतिहासिक काल से राष्ट्र ने जो उच्च सामाजिक आदर्श और अचंभित कर देने वाले अनुसंधान स्थापित किए है उन्हे विश्व के सम्मुख प्रस्तुत करना उनका धर्म है। तथापि वह न तो धर्मांध थे न ही सांस्कृतिक, सामाजिक, तत्कालीन व्यवहार जगत की बुराइयों के प्रति आंखें बंद करके विश्वास ही करते थे जिसके चलते उन्हे एक ईमानदार समाज सुधारक के रूप में भी देखा जा सकता है। उनकी साहसिक और निर्भीक लेखनी आज भी लाखों करोड़ो के लिए प्रेरणास्रोत है। आज भी, उन्हे जानने वाला हर शक्स इस बात पर आश्चर्य करता है कि अपने जीवन की व्यवसायिक जिम्मेदारियों के बीच वह किस प्रकार इतना समय निकाल पाते थे जिसमे प्राचीन पांडुलिपियों, शिलालेखो, सिक्को, ऐतिहासिक इमारतों, स्थापत्य कला और शिल्पकारों की रचना का वृहद स्तर पर सूक्ष्म से सूक्ष्म बात का अध्ययन कर लेते थे।


मनोज जायसवाल ने कहा कि कानून और इतिहास जैसे विषयों पर उनकी गहरी पकड़ थी। “हिंदू पोलिटी“ जैसे ऐतिहासिक ग्रंथ के रचनाकार के रूप में उनके द्वारा लिखा गया कोई भी लेख, कोई भी शोध पत्र, या कोई भी विचार उनके जीवन काल में या उनके जीवनकाल के बाद किसी अन्य इतिहासज्ञ, इतिहास के शोधार्थी या पारंपरिक ऐतिहासिक विचार बिंदुओं के पैमाने पर झूठा साबित नही कर सके। अल्प आयु में जीवन के श्रेष्ठतम रचनाकाल में काल कवलित इतिहासज्ञ दिवंगत श्रीयुत रखल दास बनर्जी ने कहा था कि काशी प्रसाद के पास एक ऐसी अद्भुत दैवीय शक्ति थी जिसके चलते वह प्राचीन और पुरातन ऐतिहासिक तथ्यों की बिल्कुल नवाचीन और पूर्वाग्रह रहित सोच तथा अनछुए पहलू को उजागर करते हुए नई व्याख्या कर पाने को क्षमता रखते थे। ताज्जुब की बात है की उनके द्वारा विश्व के सम्मुख प्रस्तुत किए गए बिंदुओ को, सिद्धांतो को चैलेंज कर पाने की क्षमता किसी में न होती थी और ना आज भी है।  

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