मधुबनी : बिना दलाल के RTO कार्यालय में काम कराना तो दूर प्रवेश करना भी है दुभर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 1 सितंबर 2023

मधुबनी : बिना दलाल के RTO कार्यालय में काम कराना तो दूर प्रवेश करना भी है दुभर

  • परिवहन विभाग के मंत्री शीला मंडल के तमाम दावों की कलई खोल रहा मधुबनी आरटीओ कार्यालय

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मधुबनी संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के हालात कमोवेश दलालों के अड्डे वाला हैं। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो या कोई और काम, दलालों के बिना बात नहीं बनती। डीएल बनवाने के नाम पर हजारों रुपये तक मांगे जाते हैं। कई जगह तो बाकायदा कुर्सियों पर बैठकर दलाल काम करते नजर आते हैं, मानो विभागीय कर्मचारी हों। यह सारा खेल खुलेआम चलता है। मधुबनी नगर में अवस्तिथ मधुबनी जिलाधिकारी के कार्यालय के पीछे डीटीओ ऑफिस में बदस्तूर जारी है दलाली का खेल। एक तरफ सरकार सड़क दुर्घटना रोकने के लिए सख्त कानून के तहत विभिन्न प्रकार से प्रचार-प्रसार कर रही है, तो वही दूसरे तरफ उनके अधिकारी सिस्टम के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रही है। दरअसल ये सारा मामला मधुबनी जिले के परिवहन कार्यालय का है। जहां आज जिले के छात्र नेता सचिन कुमार ने अपने एक पत्रकार साथी के साथ ड्राइविंग लाइसेंस के जानकारी हेतु परिवहन कार्यालय पहुंचे, लेकिन उनको गेट पर मौजूद गार्ड ने रोक लिया और पूछने लगा क्या काम है? जब छात्र नेता ने लाइसेंस सबंधित जानकारी की बात कही, तो गार्ड और वहा पर मौजूद कुछ कर्मचारी ने कहा की किसके मध्यम से लाइसेंस बनाए हो, उसी के पास जाओ और यदि कोई दूसरा काम है तो 11:30बजे के बाद साहेब लोग आयेंगे, तो आके मिल लेना। जब उक्त कर्मचारियों से सवाल और इसकी शिकायत वरीय पदाधिकारी को करने की बात कही, तो उन लोगो ने अभ्रद तरीके से व्यवहार कर मारपीट पर उतारू हो गए और कार्यालय कैंपस से बाहर निकाल दिया।


बता दें कि सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय (एआरटीओ) दलालों का अड्डा बन गया है। यहां बगैर दलाल और कमीशन के कोई  काम ही नहीं होता। हर काम के लिए रेट बंधा हुआ है। उसे देने के बाद ही काम होना संभव हो पाता है। कार्यालय परिसर में काम के लिए आने वाले लोग हमेशा इस बात की चर्चा करते हैं कि आखिर यहां कब दलाली खत्म होगी। आपको बता दे कि परिवहन कार्यालय में अवैध तरीके से लाइसेंस बनाने के मामला में कई लोगों ने शिकायत किया है। वही इस बाबत कलुआही उप प्रमुख चंदन प्रकाश यादव ने भी बताया कि उनके साथ भी इसी तरह से व्यवहार किया गया है। कर्मचारी का तेवर इतना है कि आम लोगों को जागरूक करने के बजाय उनके साथ दुर्व्यवहार कर कार्यालय से भगा दिया जाता है। उप प्रमुख ने कहा की परिवहन कार्यालय को दलालों का अड्डा बना दिया गया है, जहां बिना प्रशिक्षण और जांच किए ही अवैध तरीके से ज्यादा पैसा लेकर लाइसेंस बनाया जाता है। इसी का परिणाम है की मधुबनी में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना में मौत होती है, क्योंकि जिसको भी वाहन चलाने नही आता है उसको भी दलाल के माध्यम से घर बैठे ही लाइसेंस बना दिया जाता है।


ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना है तो दलाल के हस्ताक्षर लाओ, सीधे आवेदन लाने पर बाबू कर देते हैं रिजेक्ट :

आरटीओ कार्यालय में बिना दलाल के न तो लर्निंग लाइसेंस बन पाता है और न ही लाइसेंस रिन्यू होता है। यदि भूल से कोई व्यक्ति सीधे बाबू के पास आवेदन लेकर पहुंच जाता है, तो उसमें इतनी खामियां निकाल दी जाती हैं कि व्यक्ति को मजबूरी में दलाल के पास ही जाना पड़ता। बात यहीं खत्म नहीं होती। यहीं कारण दलाल करके देते हैं और फार्म पर हस्ताक्षर कर देते हैं, तो तुरंत बाबू दस्तावेज जमा कर लेता है।


बिना दलाल के नहीं हो पाता है आरटीओ विभाग का कोई कार्य :

दरअसल लंबे समय से आरटीओ में दलालों के माध्यम से ही काम कराया जा रहा है। बिना दलाली के कोई काम संभव नहीं है। कार्यालय जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर अवस्तिथ है, पर कलेक्टर से लेकर एसडीएम तक जायजा लेने नहीं जाते। जबकि कार्यालय के काउंटर पर बाबूओं की कुर्सी पर भी दलाल बैठे रहते हैं और बाबूओं का काम निपटाते हैं। उन्हें एक-एक फाइल की जानकारी होती है और वे अपने हाथ से ही उठाकर उनमें जानकारी तक भर देते हैं।


गेट से लेकर कार्यालय में तक दलाल सक्रिय, शुल्क है निर्धारित :

आरटीओ कार्यालय के अधिकारी कितने भी पारदर्शी होने की बात कहे, लेकिन सच यहीं है कि आरटीओ कार्यालय का काम कराना है तो दलालों की शरण में जाना ही पड़ेगा। सिर्फ लर्निंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन के चलते ही सामान्य फीस में काम होता है। मगर उसी लर्निंग लाइसेंस को परमानेंट करवाने से लेकर आरटीओ संबंधित अन्य कामों के लिए दाेगुने पैसे वसूले जा रहे हैं। आरटीओ का जो काम दो दिन में ख़त्म हो जाता है, उसके लिए लोगों को दो से तीन हफ्तों कई बार महीनों तक परेशान होना पड़ रहा है।


विभाग एवं दलाल के चक्कर में परेशान होते आम लोग :

आरटीओ दफ्तर के गेट पर पहुंचते ही दलाली का खेल शुरू हो जाता है और अधिकारी तक पहुंचने के बीच कई जगह दलालों से ही होकर फाइल गुजरती है। ऐसे में परेशानी से बचने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने, वाहन का पंजीयन कराने, परमिट लेने वाले अधिकांश लोग दलाल के पास रुक जाते हैं। यह लोग सरकारी कर्मचारी की तरह फाइल का निपटारा करते हैं। यहां हर काम के लिए सुविधा शुल्क निर्धारित है।


फैंसी नंबरों के आवंटन में गड़बड़ी से सरकारी राजस्व को नुकसान :

परिवहन विभाग में फैंसी नंबरों के आवंटन में अधिक बोली लगाकर पीछे हटने से सरकारी राजस्व को लाखों का नुकसान हो रहा है। आनलाइन प्रक्रिया में धांधली करते हुए प्रत्येक नई सीरीज में फैंसी नंबरों के आवंटन में गड़बड़ी की जा रही है। मामले की शिकायत परिवहन विभाग के आलाधिकारियों से भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बरहाल इस मामले को लेकर मन्नी भगत और उप प्रमुख समेत कई लोगों ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी मधुबनी को शिकायत करके दोषी अधिकारी पर करवाई करने की मांग की है। जब इस बाबत जिला परिवहन पदाधिकारी से पक्ष हेतु दूरभाष पर बार-बार संपर्क किया गया, उन्होंने कॉल उठाया लेकिन पत्रकार का नाम सुनते ही कॉल कट कर दिया।

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