भारत मंडपम दुनिया के एक शानदार जी-20 आयोजन का गवाह बना है. जी20 का सफलतापूर्वक संपंन होना, भारत के लिए एक “गर्व का क्षण“ है. जी20 घोषणापत्र सभी विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर 100 प्रतिशत आम सहमति के साथ ‘ऐतिहासिक’ और ‘अभूतपूर्व’ है. ’नए भू-राजनीतिक पैराग्राफ आज की दुनिया में ग्रह, लोगों, शांति और समृद्धि के लिए एक शक्तिशाली आह्वान हैं. जी20 घोषणापत्र को अंतिम रूप दिये जाने से आज की दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व प्रदर्शित हुआ है. मतलब साफ है मोदी की मुरीद पूरी “दुनिया“ बन चुकी है। इन महाशक्तियों ने मोदी को वर्ल्ड लीडर के रुप में मान लिया है। चीन का सुपर पावर होने का चैप्टर क्लोज हो चुका है। खास बात यह है कि जी-20 से चीन के कॉरिडोर का करारा जवाब दिया गया है। एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य पर सहमति बनी है। रुस का नाम लिए बगैर कहा गया यह युग युद्ध का नहीं है। अब ना ही परमाणु का इस्तेमाल होगा और ना ही हथियारों की तस्करी होगी। जी-20 इसलिए भी सफल है क्योंकि पहली बार 73 मुद्दों पर सहमति बनी है। नौ बार आतंकवाद का जिक्र बता दिया गया है कि आतंकवाद से पूरे विश्व को खतरा है। भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ की एंट्री हो गयी है। ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस पर मुहर लगी है। भारत मिडल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर लॉन्च किया गयाफिरहाल, भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है. इसी के साथ ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डीसिलल्वा को जी-20 की अध्यक्षता सौंप दी गयी और ’नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन’ (नई दिल्ली घोषणापत्र) पर सहमति भी बन गयी। घोषणापत्र पर ना तो रूस यूक्रेन विवाद का साया पड़ा और ना ही चीन की पैंतरेबाजी काम आई. भारत रूस- यूक्रेन के विवादास्पद मुद्दे पर जी20 देशों के बीच एक अप्रत्याशित सहमति बनाने में कामयाब रहा, जिसमें ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने सफलता तक पहुंचने में अग्रणी भूमिका निभाई. जी-20 नेताओं ने इस सम्मेलन में कई गंभीर चुनौतियों पर चर्चा करने के बाद कई फैसले लिए. इसमें मिडिल ईस्ट यूरोप कनेक्टिविटी, कॉरिडोर लॉन्च और अफ्रीकी यूनियन की एंट्री पर मुहर लगी, तो वहीं दूसरे दिन भी ग्रुप में शामिल सभी देशों के बीच सबकी सहमित से इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर लॉन्च का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि इन्फ्रा डील से शिपिंग समय और लागत कम होगी, जिससे व्यापार सस्ता और तेज होगा. इसे चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है. इस कॉरिडोर का उद्देश्य संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल से होते हुए भारत से यूरोप तक फैले रेलवे मार्गों और बंदरगाह लिंकेज को एकीकृत करना है. इस समिट की सबसे खास बात यह है कि इसके जरिए सनातन धर्म की जबरदस्त ब्रांडिंग की गयी है। नटराज की विशाल मूर्ति, कोणार्क और ननालंदा का झलक, कंट्री प्लेट पर ’इंडिया’ नाम की बजाय भारत और साबरमती आश्रम की बैकग्राउंड में लगी तस्वीरे इस बात का संकेत है कि आने वाला दिन सनातन धर्म की ही है।
जी-20 में मिली सनातन संस्कृति को जगह
इस समिट की सफलता के साथ ही 5 ऐसी चीजें भी हैं, जिनकी जमकर चर्चा हो रही है. इसमें नटराज की विशाल मूर्ति, कोणार्क और नालंदा का झलक, कंट्री प्लेट पर ’इंडिया’ नाम की बजाय भारत और साबरमती आश्रम. जी हां, ये भारत के सनातन धर्म को प्रदर्शित कर रहे है। भारत मंडपम में कन्वेंशन हॉल के प्रवेश द्वार पर 28 फुट ऊंची नटराज की प्रतिमा लगाई गई थी. यह प्रतिमा भगवान शिव को ’नृत्य के देवता’ और सृजन और विनाश के रूप में परिभाषित करती है. भारत मंडपम में नटराज की प्रतिमा का लगाने के पीछे धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों कारण थे. नटराज का ये स्वरूप शिव के आनंद तांडव का प्रतीक है. नटराज की प्रतिमा में आपको भगवान शिव की नृत्य मुद्रा नजर आएगी. साथ ही वो एक पांव से दानव को दबाए हैं. ऐसे में शिव का ये स्वरूप बुराई के नाश करने और नृत्य के जरिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का संदेश देता है. प्रधानमंत्री मोदी सुबह जब महात्मा गांधी के समाधिस्थल पर मेहमानों का स्वागत कर रहे थे तो उसके बैकग्राउंड में साबरमती आश्रम की कुटी के चित्र लगाएं थे। यह वहीं आश्रम है, जहां से भारत को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने की थी. साबरमती आश्रम उस आदर्श का घर बन गया जिसने भारत को स्वतंत्र बना दिया. साबरमती आश्रम आज प्रेरणा और मार्गदर्शन स्त्रोत के रूप में सेवा करता है. इससे पहले पीएम मोदी शनिवार को जब जी20 शिखर सम्मेलन में विदेशी नेताओं का स्वागत कर रहे थे तो उनके बैकग्राउंड में ओडिशा के मशहूर कोणार्क मंदिर का सूर्य चक्र बना हुआ था. पीएम मोदी ने मेहमानों को कोणार्क सूर्य मंदिर और चक्र के बारे में भी जानकारी दी थी. वहीं, भारत मंडपम में राष्ट्रपति की ओर से डिनर का आयोजन किया गया. इस दौरान वेलकम स्टेज के बैकग्राउंड में नालंदा विश्वविद्यालय की झलक दिखाई दी. प्रधानमंत्री मोदी जी20 के कुछ नेताओं को विश्वविद्यालय का महत्व बताते हुए भी दिखे. वहीं, राष्ट्रपति मुर्मू ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित जी20 के नेताओ को नालंदा यूनिवर्सिटी के महत्व के बारे में समझाया. बता दें कि नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत की प्रगति को दर्शाता है.दो अलग-अलग गलियारे बनाए जाएंगे
एमओयू के अनुसार, दो अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे. पूर्वी गलियारा भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ेगा और उत्तरी गलियारा अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ेगा. इसमें एक रेलवे नेटवर्क की सुविधा होगी जोमौजूदा समुद्री और सड़क परिवहन मार्गों के रूप में विश्वसनीय और लागत प्रभावी क्रॉस बॉर्डर शिप टू रेल ट्रांजिट सुविधा देने के लिए डिजाइन किया गया है. मुखमुख्य रूप से मिडिल ईस्ट से होकर गुजरने वाले इस रेलवे मार्ग में बिजली के केबल और क्लीन हाइड्रोजन पाइपलाइन बिछाने की योजनाएं शामिल हैं. व्हाइट हाउस की रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल सौदा भारत से यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल के माध्यम से यूरोपतक शिपिंग और रेल लाइनों को जोड़ेगा. अब प्रोजेक्ट में शामिल देश अगले 60 दिन में कॉरिडोर को लेकर एक कार्य योजना तैयार करेंगे. इसमें ट्रांजिट रूट्स, कोऑर्डिनेशन बॉडी और टेक्निकल पहलुओं पर ज्यादा जानकारी के लिए चर्चा की जाएगी. भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक, इसमें शामिल सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए परामर्शात्मक, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण कनेक्टिविटी पहल की महत्व पर जोर दिया गया है.पूरी दुनिया की कनेक्टविटी मिलेगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ’मानवीय प्रयास और महाद्वीपों में एकता का एक प्रमाण’ बताया है. उन्होंने कहा, राष्ट्रपति बाइडेन, मोहम्मद बिन सलमान, शेख मोहम्मद बिन जायद, मैक्रो समेत सभी देशों के प्रमुखों को इस इनिशिएटिव के लिए बहुत बधाई देता हूं. मजबूत कनेक्टिविटी और इन्फ्रस्ट्रक्चर मानव सभ्यता के विकास का मूल आधार है. आने वाले समय में भारत पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच यह आर्थिक एकीकरण का प्रभावी माध्यम बनेगा. यह पूरी दुनिया की कनेक्टिविटी और सतत विकास को नई दिशा देगा. जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे ’वाकई में एक बड़ी उपलब्धि’ माना. बाइडेन ने कहा, दुनिया इतिहास के एक मोड़ पर खड़ी है. एक ऐसा पॉइंट, जहां हम आज जो निर्णय लेते हैं वह हमारे भविष्य की दिशा को प्रभावित करने वाले हैं. नए भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारे में इजराइल और जॉर्डन भी शामिल हैं.सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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