कविता : बेटी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 20 सितंबर 2023

कविता : बेटी

संसार में आने से पहले,

क्यों कर देते है उसकी हत्या,

क्य बेटी है बोझ?

जो पूरे परिवार को है संवारती,

मगर पराया धन के नाम से,

घर में इज्जत न पाती,

कम उम्र में कर देते उसके हाथ पीले,

अगर पढ़ा दिया तो लड़की होगी बर्बाद,

यही सोच कर देती उसकी अस्मिता को कमजोर,

घर से बाहर जाने पर क्यों होती उस पर रोक?

बेटी होना बहुत बड़ी है बात,

स्वतंत्रता से जीना उसका भी है अधिकार,

सुनो, बेटी ही भविष्य को बनाती है,

जीवन दाता वो कहलाती है

फिर न जाने उसे इज्जत क्यों नहीं मिल पाती है।।




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रितिका

चोरसौ, गरुड़

उत्तराखंड

चरखा फीचर

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