विशेष : एक बार फिर काशी विकास मॉडल बनेगा 2024 का एजेंडा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 24 सितंबर 2023

विशेष : एक बार फिर काशी विकास मॉडल बनेगा 2024 का एजेंडा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों 2024 लोकसभा चुनाव व उससे पूर्व होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव की जंग जीतने के लिए विकास योजनाओं को मूर्तरुप देने में जुटे है। शिलान्यास व लोकार्पण के बीच ताबड़तोड़ रैलिया कर रहे है। इसी कड़ी में पीएम मोदी ने गंजारी गांव में 451 करोड़ की लागत से बनने वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की आधारशिला रखने के बाद कई अन्य योजनाओं की शुरुवात कर न सिर्फ विपक्षियों पर महिला विधेयक में रोड़े अटकाने के पर जमकर हमला बोला, बल्कि महान स्वतंत्रा सेनानी एवं लोकतंत्र के पुरोधा राजनारायण को भी याद किया। इसके कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। इसके साथ ही राजनारायण जी के नाम पर इस अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का नामकरण होने की अटकले भी लगने लगी है। मतल साफ है काशी में कर्म, धर्म और सांस्कृतिक गौरव के जरिए 2024 का एजेंडा भी मोदी ने तय कर दिया

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फिरहाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जब भी आते है, तो अनेकों सौगात के साथ काशी की तस्वीर बदलती हुई दिखाई देती है. 23 सितंबर को एक बार फिर पीएम मोदी वाराणसी में तकरीबन 1500 करोड़ से अधिक परियोजनाओं का तोहफा बनारस वालों को दिया। सबसे खास है वाराणसी का गंजारी (राजातालाब) में तकरीबन 451 करोड़ से अधिक रुपए में बनने वाला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम. पीएम नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी है। साथ ही इस बार अपने संबोधन भाईयों बहनों के बजाय काशीवासियों को परिवारीजन कहकर आत्मीय नाता जोड़ने का प्रयास किया। खास यह है कि हर बार की तरह इस बार भी अपना संबोधन हर-हर महादेव से की. फिर भोजपुरी में कहा-आज फिर से बनारस आवे के मौका मिलल हौ, जो आनंद बनारस में हौ, वह कहीं नहीं. मोदी ने कहा-आज मैं एक ऐसे दिन काशी आया हूं, जब चंद्रमा के शिवशक्ति पॉइंट पर भारत के पहुंचने का एक महीना पूरा हो रहा है। शिव शक्ति यानी वो स्थान जहां बीते महीने की 23 तारीख को हमारा चंद्रयान लैंड हुआ था। एक शिवशक्ति का स्थान चंद्रमा पर है और दूसरा शिवशक्ति का स्थान यहां काशी में है। काशी के कायाकल्प को इसी तरह विकास कार्य करते रहेंगे। जबसे इस स्टेडियम की तस्वीरें बाहर आई है, उन्हें देखकर हर काशीवासी गदगद हो गया है। ये स्टेडियम शिवजी को समर्पित है। यहां एक साथ 30 हजार लोग मैच देख सकेंगे। स्टेडियम की छत को भगवान शिव के माथे पर विराजमान अर्धचंद्र की तरह बनाया जाएगा. वहीं त्रिशूल के आकार में इसकी फ्लड लाइट होंगी. स्टेडियम का प्रवेश द्वार का डिज़ाइन बेलपत्र के समान बनाया जा रहा है.                


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देखा जाएं तो पीएम बनने के बाद बाद नरेंद्र मोदी का यह 31वां वाराणसी दौरा है. इस दौरान उन्होंने वाराणसी समेत पूरे प्रदेश को 1565 करोड़ से ज्यादा की विकास परियोजनाओं की सौगात दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि ये स्टेडियम न सिर्फ वाराणसी, बल्कि पूर्वांचल के युवाओं के लिए वरदान जैसा होगा। युवा टैलेंट को तलाशना और तराशना जरूरी है। देश का मिजाज ऐसा बना है कि जो खेलेगा, वही खिलेगा। इसके अलावा आत्मीय लगाव को और धार देते हुए मोदी ने कहा, मेरे परिवारजनों जिस स्थान पर हम एकत्र हुए हैं वहां विंध्यवासिनी धाम को काशी से जोड़ने वाले स्थान पर तो हैं ही भारतीय लोकतंत्र के प्रखर गुरु राजनारायण जी का गांव भी है। इस धरती से आदरणीय राजनारायण और उनकी जन्मभूमि को प्रणाम करता हूं। मतलब साफ है राजनारायण जी को याद कर पीएम ने साफ कर दिया है कि इस अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का नामकरण उन्हीं के नाम पर संभव है। राजनारायण जी देश की राजनीति में ऐसे नाम हैं, जिनके साथ कई किवदंतियों के साथ ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हैं। राजनारायण जी को इमरजेंसी का हीरो भी कहा जाता है। वह किसी जाति विशेष का न होकर सर्व समाज के सर्वमान्य नेता रहे। राजनारायण जी ने ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उन्हीं के इलाके रायबरेली में चुनौती दी थी। मामला कोर्ट में पहुंचा और इंदिरा गांधी की जीत को हाईकोर्ट ने रद करते हुए छह साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लगा दी थी। इसी के बाद देश को इमरजेंसी झेलना पड़ा था। राजनारायण जी को याद कर एक तरह से पीएम मोदी ने बिना कुछ कहे कांग्रेस को इमरजेंसी की याद भी दिला दी है। देखा जाएं तो एक तरफ जब भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के साथ जुड़े विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की तरफ से लगातार मोदी सरकार पर संविधान और लोकतंत्र को लेकर हमले किए जा रहे हैं। पीएम मोदी का राजनारायण को अचानक यहां आकर याद करना, उन हमलों का जवाब भी माना जा रहा है। राजनारायण जी को याद कर पीएम मोदी ने समाजवादी पार्टी को भी संदेश देने की कोशिश की है। बिना कुछ कहे पीएम मोदी ने यह बता दिया कि आज सपा उस कांग्रेस के साथ खड़ी है, जिसे राजनारायण जी जैसे समाजवादी नेता ने इमरजेंसी में उखाड़ फेंका था। बता दें, राजनारायण संघर्ष का दूसरा नाम थे। लोग उन्हें हैविवेट पहलवान भी कहते थे। राजनारायण का वजन करीब 110 किलो हुआ करता था। वह अपने सिर पर हरे रंग का स्कार्फ बांधते थे। सितंबर 1958 में उन्होंने अपने समाजवादी साथियों के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभी में ऐसा हंगामा मचाया था कि उनको सदन से निकलवाने के लिए पहली बार हेलमेट लगाए पुलिसकर्मियों को सदन के अंदर बुलाना पड़ा था। राजनारायण ने जमीन पर लोट गए और पुलिस वालों को बाकायदा उन्हें खींच कर जमीन पर घसीटते हुए सदन से बाहर ले जाना पड़ा था। जब वो विधानसभी के मुख्य द्वार तक खींच कर लाए गए, जब तक उनके सारे कपड़े फट चुके थे और उनके शरीर पर सिर्फ एक लंगोट बचा था। तब राजनारायण ऐसे लग रहे थे जैसे किसी हैवीवेट पहलवान को अखाड़े में चित कर दिया गया हो। बेशक, तमाम झंझवतों के बीच पीएम मोदी अपने क्षेत्र की कितनी चिंता करता है, यह बड़ी बात है। यही उनके काम और नेताओं से उन्हें अलग करते है। प्रधानमंत्री हैं और काशी के सांसद भी। सांसद के नाते अपने क्षेत्र की चिंता कैसे की जाती है, कोई काशी आकर देखे। विकास हुआ, निरंतर हो रहा है। आगे भी होगा। बड़ी बात यह नहीं। बात यह कि एक सांसद अपने लोगों से रिश्ता बनाने में कितनी गहराई में डूबा। प्रधान हो, पार्षद हो, आम मतदाता हो, दलगत भावना से अलग अपने सांसद के प्रति मोहब्बत का इज़हार करता है, तो बात समझ में आती है। हाँ। वाक़ई प्रतिनिधि को ऐसा ही होना चाहिए।


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काशी सदियों से वेद, पुराणों और शास्त्र एवं ग्रंथों में है। इसलिए नहीं कि यहाँ पहले से कोई महल अटारी रही है। बड़ी हवेलियां और मॉल, होटल्स रहे है। भारतेंदु बाबू के शब्दों में काशी मुट्ठी भर चना चबेना और एक अंजुल गंगाजल की औकात वाली नगरी है। यही उसकी संस्कृति है जो सदियों से जीवित रही है। मोदी जी ने और क्या किया, नहीं किया लेकिन इस भाव को पूरी दुनिया में जागृत कर दिया। गांव, शहर की वही पुरानी गलियां दमकती हैं तो जगह जगह पान की पीक छोड़ने वाले अब ख़ुद को संभालते हैं। दूसरों का फेंका पत्ता हाथ आगे बढ़ा थाम लेते हैं। विकास की बात करेंगे तो सचमुच काशी पूर्वी भारत का गेटवे बन स्वागत को तैयार है। पुराने शहर में बाबा आदम जैसी व्यवस्था को ढो रहे बिजली के उलझे तार घरों तक सूरज के प्रकाश रोक खड़े होते थे, अब जर्जर तारों का संजाल भूमिगत हो गया है। गरीब की रसोईं से धुआं हट रहा है तो किसान अब देश की किसी मंडी तक मिर्ची, टमाटर बेच सकेगा। गाँव में महिलाओं की टोली चरख़ा कात अपनी ख़ुद की पूँजी बना रही हैं तो युवा पारंपरिक उत्पादों के जरिए कमाई कर रहे हैं। महिला टोली पल्लू से गंठियाया रुप्पैया अब अपने गाँव में बने बैंक में बचत खाते में डालती हैं। गंगातट पर सैलानियों की भीड़ और रात एलईडी की चकाचौंध बढ़ाती हैं तो उनके मुँह से बरबस ही निकलता है। ग्रेट काशी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का काशी से अगाध प्रेम झलकता है। तभी तो उनके मुँह से बार-बार यही निकलता है। मेरी काशी। पीएम का दायित्व संभालने के बाद भी उन्होंने एक सांसद की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही निभायी। लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं। उससे पहले एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस अभी बैठक ही कर रही है, लेकिन भाजपा काफी पहले ही मिशन मोड में जुट गई है। भाजपा को जीताने के लिए निकले मोदी ने बीते 24 घंटे में चार राज्यों की सभाओं में सिर्फ और सिर्फ विकास की बात करते हुए विपक्षियों को ही निशाने पर रखा। खासकर अपने कर्मभूमि काशी में मोदी ने बता दिया विकास ही उनका संकल्प है। इसमें विपक्ष की किसी भी धमकी के आगे वे झुकने वालें नहीं। काशी में तो साफ शब्दों में विपक्ष को ललकारते हुए कहा, मोदी है डरेगा नहीं, तगड़ा जवाब मिलेगा। या यूं कहे जो डर गया वो मोदी नहीं सकता।


फिर पूर्वांचल को मजबूत कर गए मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में भाजपा के फायर ब्रांड हिन्दुत्व के चेहरे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ है। इन्हीं की करिश्माई जादू से 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 27 में से 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कुछ ऐसा ही 2019 में भी रहा। इसी के मद्देनजर एकबार फिर मोदी ने पूर्वांचल को रिझाया। उन्हें हजारों करोड़ रुपये की सौगात दी। देखा जाएं तो पूर्वांचल में संगठनात्मक रूप से भाजपा ने 27 लोकसभा क्षेत्रों को काशी और गोरखपुर क्षेत्र में बांटा है। काशी क्षेत्र का केंद्र वाराणसी और गोरखपुर क्षेत्र का केंद्र गोरखपुर ही है। काशी क्षेत्र की 14 लोकसभा सीटों में से भाजपा के पास 12 सीटें हैं जबकि गोरखपुर क्षेत्र की 13 में से दस लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। दोनों क्षेत्रों की अंबेडकर नगर, गाजीपुर, घोसी, जौनपुर और लालगंज सीट पर बसपा काबिज है। पूर्वांचल की आजमगढ़ सीट को सपा का गढ़ माना जाता है हालाकि उप चुनाव में यह सीट भाजपा ने छीन ली थी। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में इस सीट पर सपा के महासचिव शिवपाल यादव के चुनाव लड़ने की चर्चा है। भाजपा ने 2024 में सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। लिहाजा आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी 22 सीटों पर कब्जा बरकरार रखते हुए सपा-बसपा के गढ़ ढहाना भी पार्टी के लिए चुनौती है। यही वजह है कि मोदी और योगी सरकार ने बीते छह वर्षों में पूर्वांचल के विकास पर फोकस किया है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे जैसी बड़ी परियोजनाएं धरातल पर उतारी हैं। वहीं अयोध्या में श्रीरामजन्म भूमि पर भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है। काशी विश्वनाथधाम कॉरिडोर का निर्माण किया है। कुशीनगर में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बना है। वहीं योगी सरकार ने पूर्वांचल में कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए माफिया मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद सहित अन्य बदमाशों के अपराधों पर नकेल कसी हैं। पूर्वांचल में औद्योगिक विकास के लिए विभिन्न निवेश नीतियों में पूर्वांचल में निवेश के लिए विशेष प्रोत्साहन देना शुरू किया है। खास यह है कि पूर्वांचल के 27 लोकसभा क्षेत्रों में कुर्मी, मौर्य, राजभर, निषाद, यादव सहित अन्य जातियों का गढ़ हैं। लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में इनमें से यादव और राजभर को छोड़कर अधिकांश जातियों का रुख भाजपा की ओर रहा है। वहीं दलित वर्ग में कोरी, पासी, सोनकर, जाटव और कोल जाति के मतदाताओं भी निर्णायक संख्या में हैं। इनता ही नहीं भाजपा सपा-बसपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए पसमांदा मुस्लिम समाज को साधने का प्रयास कर रही है। पूर्वांचल की इन सीटों पर पसमांदा मुस्लिम मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। अपने दो दिवसीय दौरे में मोदी ने इन्हीं वर्गो को साधा है। मतलब साफ है भाजपा के परंपरागत वोट बैंक ब्राह्मण, ठाकुर, कायस्थ और राजभर के साथ यदि पिछड़े, पसमांदा और दलितों का समर्थन मिल गया तो भाजपा के लिए मिशन 80 को पूरा करने की राह आसान होगी।





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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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