वाराणसी : पर्यटन से होता है संस्कृतियों का विकास : विजेंद्र सरस्वती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 3 सितंबर 2023

वाराणसी : पर्यटन से होता है संस्कृतियों का विकास : विजेंद्र सरस्वती

  • गुजराती समाज के लोगों ने जगतगुरु शंकराचार्य जी का पूजन किया, मंगलाचरण श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य के वेंकटरमण घनपाठी एवं  चंद्रशेखर घनपाठी  ने किया 

Vijyendra-sarswati-varanasi
वाराणसी (सुरेश गांधी) मूलाम्नाय सर्वज्ञपीठ कांची कामकोटिपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य श्री शंकर विजयेन्द्र  सरस्वती जी महाराज के चातुर्मास महोत्सव के अंतर्गत रविवार को श्री काशी  गुजराती समाज के लोगों ने जगतगुरु शंकराचार्य जी का पूजन किया। मंगलाचरण श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य के वेंकटरमण घनपाठी एवं  चंद्रशेखर घनपाठी  ने किया। इस अवसर पर श्री  काशी गुजराती समाज के अनिल शास्त्री जी के नेतृत्व में गोविंद जी शुक्ला, जगदीश भाई पटेल, नवीन दास जी अश्विन पारेख राजेंद्र नाथ शास्त्री एवं योगेश पटेल ने महाराज जी को अंगवस्त्रम, स्मृति चिन्ह एवं फल फूल भेंट कर समाज की ओर से उनका अभिनंदन किया। जगद्गुरु शंकराचार्य शिव शंकर विजेंद्र सरस्वती जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में पर्यटन के द्वारा संस्कृतियों के विकास में बल देते हुए कहा कि पर्यटन देश के आर्थिक विकास के साथ संस्कृति बढ़ाने में सहायक होता है। दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता के रूप में, भारत धर्म, परंपराओं और रीति-रिवाजों का संगम है, जिसका हर कोना अनूठी प्रथाओं, परंपराओं और संस्कृति से चमकता है, जिससे देश के पर्यटन उद्योग को महामारी के बाद की अवधि में स्वस्थ विकास हासिल करने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक महत्व और मनमोहक परिदृश्य दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हमारे मंदिर व तीर्थस्थल गंतव्य भारत की उल्लेखनीय वास्तुकला और परंपराओं को प्रदर्शित करते हैं। राजस्थान, जो अपने महलों, किलों और जीवंत त्योहारों के लिए जाना जाता है, एक शीर्ष सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में खड़ा है। तमिलनाडु अपने मंदिरों के माध्यम से द्रविड़ रीति-रिवाजों को दर्शाता है, जबकि उत्तर प्रदेश में अयोध्या, मथुरा, काशी जैसे प्रतिष्ठित शहर आकर्षण हैं। उत्तरांचल के हिमालयी क्षेत्रों में स्थित ऐतिहासिक मंदिर इसे एक मनमोहक सांस्कृतिक पर्यटन स्थल बनाते हैं। आपने बताया कि वर्ष 1980 में तत्कालीन शंकराचार्य जी ने गुजरात की यात्रा की थी और वहां चातुर्मास भी किया था, उस समय अनेक धार्मिक कार्य प्रारंभ किए गए थे जो अनवरत चल रहे हैं। गुजराती समाज का राष्ट्र की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने में अहम योगदान है। इससे पूर्व श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष श्री गोविंद देवगिरी जी एवं विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री चम्पत राय जी ने  महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से पण्डित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, रामगोपाल जी, श्रीनिवास देव आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन चक्रवर्ती विजय नावड ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कांची काम  कोटी पीठ के प्रबंधक श्री वीएस सुब्रमण्यम मणि जी ने किया।

कोई टिप्पणी नहीं: