- यह टूल करेगा स्थिति से निपटने में मदद
फिलहाल इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से 200 से अधिक भारतीय छोटे व्यवसायों ने अपनी जलवायु प्रतिबद्धता पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। इसके अंतर्गत साल 2030 तक एमिशन को आधा करने और 2050 तक नेट ज़ीरो तक पहुंचने का वादा है। साथ ही, यह 200 से अधिक उद्यम वैश्विक स्तर पर अपने जैसे 6,500 से अधिक साथियों के समूह में शामिल हो गए हैं। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एसएमई क्लाइमेट हब की निदेशक पामेला जौवेन कहती हैं, "जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सभी आकार के व्यवसायों में तेजी से जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता है। बात भारत की करें तो मुझे ऐसा लगता है थोड़े मार्गदर्शन के साथ, भारतीय एमएसएमई डीकार्बोनाइजेशन के मार्ग पर बहुत आगे और तेजी से बढ़ सकते हैं।" यह पहल सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल बिजनेस और एस्पेन नेटवर्क ऑफ डेवलपमेंट एंटरप्रेन्योर्स के सहयोग से भारत में यह पहल शुरू की गई है। इसका उद्देश्य कार्यशालाओं, सहकर्मी शिक्षण और सरकार, उद्योग और वित्त समूहों के साथ साझेदारी विकसित करके एमएसएमई के बीच जलवायु जागरूकता और क्षमता का निर्माण करना है। इस पर सेंटर फॉर रिस्पांसिबल बिजनेस की निदेशक देवयानी हरि बताती हैं, "पहले भारतीय एमएसएमई के बीच जलवायु महत्वाकांक्षा का मापना, और फिर उन्हें एक वैश्विक मंच पर लाना दुनिया को यह संकेत देने के लिए अच्छा प्रयास है कि भारतीय एमएसएमई वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में नेतृत्व कर सकते हैं और करेंगे।"
चलते चलते यह कहा जा सकता है कि जलवायु संकट गहराने के साथ, अब कार्रवाई का समय आ गया है। समाधान का हिस्सा बनना न सिर्फ भारतीय एमएसएमई की जिम्मेदारी है, बल्कि ऐसा कुछ करना उसके अपने हित में भी है। इस दिशा में उचित कार्यवाही न करना इस क्षेत्र के लिए भारी भी पड़ सकता है। अच्छी बात यह है कि एमिशन में कटौती को अपनाने से न सिर्फ इनोवेशन देखने को मिलेंगे बल्कि, निर्माण क्षमताओं के टिकाऊ बनने, बचत, और नए राजस्व स्रोत भी खुल सकते हैं। इस दिशा में एसएमई क्लाइमेट हब जैसे प्लेटफ़ॉर्म छोटे व्यवसायों को उनके जलवायु प्रभाव को समझने और इसे कम करने के लिए रणनीतिक कदम उठाने के लिए आवश्यक व्यावहारिक टूल और जानकारी से लैस करते हैं। यह एमएसएमई को राष्ट्रीय और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में सार्थक योगदान देने के लिए सशक्त बनाता भी दिखता है, जिसके चलते भविष्य में आगे बढ़ने की उनकी क्षमता भी मजबूत होती दिखती है। जब एमएसएमई सस्टेनेबिलिटी को आगे बढ़ाने के लिए एक क्षेत्र के रूप में हाथ मिलाते हैं, तो वे अपने कुल प्रभाव को बढ़ाते हैं और एक शक्तिशाली संकेत भेजते हैं कि जलवायु कार्रवाई भी व्यवसाय करने का अभिन्न अंग है। अब देखना ये है कि यह पहल कितनी कारगर साबित होती है।
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