दरभंगा : बेहतरीन पुस्तक व लेखकों की प्रासंगिकता हर युग में, बोले कुलसचिव। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

दरभंगा : बेहतरीन पुस्तक व लेखकों की प्रासंगिकता हर युग में, बोले कुलसचिव।

  • एमएलएसएम की त्रैमासिक पत्रिका "प्रतिबिंब" व डॉ. संजय द्वारा संपादित पुस्तक "भारतीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां" पुस्तक का बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद, पटना के उपाध्यक्ष प्रो. कामेश्वर झा व मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अजय कुमार पंडित ने किया लोकार्पण।

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लनामिवि दरभंगा:- आज दिनांक 15 सितंबर 2023 को स्थानीय महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय, दरभंगा में मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अजय कुमार पंडित ने महाविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका "प्रतिबिंब" व डॉ. संजय द्वारा संपादित पुस्तक "भारतीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां" पुस्तक का किया लोकार्पण। इस दौरान कुलसचिव प्रो. अजय पंडित व बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद, पटना के उपाध्यक्ष प्रो. कामेश्वर झा के आगमन पर महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. शंभू कुमार यादव ने पूरे गर्म जोशी के साथ मिथिला के पारंपरिक परिधान पाग, चादर व पुष्प गुच्छे देकर स्वागत किया।

      

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इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पंडित ने कहा कि महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय, दरभंगा के ग्रीन कैंपस व सुसज्जित कक्ष देकर काफी प्रसन्नता हो रही है। आज हम यहां महाविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका डॉ रामचंद्र चंद्रेश द्वारा संपादित "प्रतिबिंब" व डॉ. संजय कुमार झा द्वारा संपादित पुस्तक "भारतीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां" के लोकार्पण के मौके पर आया हूँ। प्रतिबिंब पत्रिका एक सफल पत्रिका है। इसकी संक्षिप्त सूचना भी बेहतरीन है। इस तरह की पत्रिका निरंतर निकलनी चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय के बेहतरीन कार्यशैली की भी चर्चा की तथा शिक्षा एवं शोध पर विशेष कार्य करने का पहल किया। मैं उपस्थित इस सभागार में सभी शिक्षकों से कहना चाहता हूं कि आप ज्यादा से ज्यादा किताबें लिखें। इंटरनेट के दौर में बच्चे किताबों से विमुख हो रहे हैं, वे इंटरनेट के द्वारा प्रदत्त ज्ञान को ही सर्वस्व मानने लगे हैं। जो कि चिंता का विषय है। ऐसा नहीं है कि इंटरनेट की भूमिका नहीं है। मैं उसके भूमिका को नकार नहीं रहा हूँ। लेकिन वो एक भूल-भुलैया है। यही कारण है कि उसकी अपनी एक सीमित भूमिका है। आदिकाल से लेकर आधुनिक काल में हर युग में अच्छे किताबों व अच्छे लेखकों की मांग है। इसीलिये आज भी अच्छे किताबों व अच्छे लेखकों की प्रासंगिकता उतनी ही है और रहेगी जो दशकों पहले था। हमें प्रसन्नता हो रही कि महाविद्यालय अपना त्रैमासिक पुस्तिका प्रतिबिंब व डॉक्टर संजय कुमार झा द्वारा संपादित अनोखी पुस्तक "भारतीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां" के लोकार्पण का मौका मिला है। महाविद्यालय के त्रैमासिक पुस्तक "प्रतिबिंब" के प्रकाशन के लिये प्रधानाचार्य डॉक्टर शंभू कुमार यादव तथा डॉक्टर रामचंद्र चंद्रेश को व "भारतीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां" पुस्तक के लिये डॉ. संजय कुमार झा को बधाई व भविष्य के लिये शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ।

       

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संगोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रो. कामेश्वर झा, उपाध्यक्ष बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद, पटना ने "भारतीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां" पुस्तक को एक सफल पुस्तक बताया तथा उन्होंने संपादकीय को भी पढ़ा और उसकी प्रशंसा की। उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल पर की गई अपनी पीएचडी शोध की विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने सेमिनार, सिंपोजियम, वर्कशॉप, कॉन्फ्रेंस निरंतर करने की पहल की। उन्होंने प्रजातंत्र पर भी चर्चा किया तथा देश की रक्षा की बात कही। आतंकवाद, नक्सलवाद पर भी चर्चा किया। नक्सलवाद आज लगभग समाप्त हो गया है। सभी को संविधान के अनुसार चलना चाहिए। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू आदि के उस वक्त के सराहनीय कार्य एवं कॉग्रेस की पूरी इतिहास के बारे में बताया। संसदीय प्रजातंत्र, संविधान रक्षा के बारे में विस्तृत जानकारियां दी। देश के आजादी तथा देश विभाजन के बारे में भी विस्तृत जानकारियां दी। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के बारे में संविधान निर्माता के रूप में कार्यों का उल्लेख किया। कॉन्स्टिट्यूशनल डेमोक्रेसी के बारे में तथा संसदीय प्रजातंत्र के बारे में बताया। 50% बहुमत का शासन हमें बनाना चाहिए। उन्माद दूसरी चुनौती है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 19 की विशेष रूप से चर्चा की और फंडामेंटल राइट के बारे में भी बताया। धर्म के आधार पर राष्ट्र का निर्माण किया गया। भारत में जनसंख्या वृद्धि के चुनौतियां के बारे में उन्होंने विस्तार पूर्वक बताया तथा जनसंख्या नियंत्रण के लिए सुझाव दिया। मिथिलांचल में औद्योगिक विकास करने का उपाय बताया। उन्होंने धर्मवाद, जातिवाद, संप्रदायवाद, नक्सलवाद, क्षेत्रवाद समाप्त करने का आह्वान किया।भारतीय संविधान की चुनौतियां को दूर करने का सभी लोगों से आग्रह किया।

     

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प्रधानाचार्य सह संगोष्ठी के अध्यक्ष प्रो. शंभु कुमार यादव व राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. संजय कुमार झा ने भी संविधान के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। मंगलाचरण डॉ. ममता ठाकुर ने गाया। प्रतिभा कुमारी ने स्वागत गान गाया। मंच संचालन डॉ सतीश कुमार सिंह ने किया। इस मौके पर  विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग एवं आय व्यय पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार चौधरी, भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ अजीत कुमार चौधरी, जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ ऋषिकेश कुमार, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ शौकत अंसारी, डॉ. अशोक कुमार सिंह, डॉ नंदकिशोर झा, राष्ट्रीय सेवा योजना पदाधिकारी डॉ सुबोध चंद्र यादव, आदि मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अशोक कुमार सिंह ने किया। इस मौके पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक, शोधार्थी, छात्र एवं छात्राओं तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित थे।

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