पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार है.केंद्र सरकार की ओर से आज यानी 19 सितंबर 2023 को नए संसद भवन में पहला विधेयक महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ पेश किया गया है. संसद के निचले सदन में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिलाओं को लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण दिलाने वाला ये बिल पेश किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि संसद में जो महिला आरक्षण बिल लाया गया है, वह स्वागत योग्य कदम है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते है कि मैं शुरू से ही महिला सशक्तिकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हमलोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं.तब मुख्यमंत्री महिला सशक्तीकरण पर किये गए कार्यों का उल्लेख करते हैं. वर्ष 2006 से पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 से नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया.वर्ष 2006 से ही प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 प्रतिशत और वर्ष 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. वर्ष 2013 से बिहार पुलिस में भी महिलाओं कोे 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. आज बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी देश में सर्वाधिक है. उन्होंने कहा कि बिहार में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत नामांकन में न्यूनतम 33 प्रतिशत सीटें छात्राओं के लिये आरक्षित की गयी हैं.ऐसा करनेवाला बिहार देश का पहला राज्य है. आगे उन्होंने कहा कि हमलोगों ने वर्ष 2006 में राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए परियोजना शुरू की जिसका नामकरण ‘‘जीविका‘‘ किया.बाद में तत्कालीन केन्द्र सरकार के द्वारा इसकी तर्ज पर महिलाओं के लिए आजीविका कार्यक्रम चलाया गया.बिहार में अब तक 10 लाख 47 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है.जिसमें 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक महिलाएँ जुड़कर जीविका दीदियाँ बन गयी हैं. मालूम हो कि महिला आरक्षण बिल पिछले 27 वर्षों से लटका हुआ है.इसे पहली बार 12 सितंबर 1996 को एचडी देवगौड़ा की सरकार ने पेश किया था. हालांकि, उस वक्त ये बिल पास नहीं हो सका था.इसके बाद भी तमाम सरकारों ने इसे कानून का रूप देने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए. 'मोदी है तो मुमकिन' की तर्ज पर 20 सितंबर 2023 को लोकसभा में चर्चा होगी. सरकार का दावा है कि विधेयक पर चर्चा के बाद कल ही इसे पारित भी करा लिया जाएगा. इस कानून के बाद लोकसभा में कम से कम 181 महिला सांसद चुनकर आएंगी, फिलहाल सदन में महिला सदस्यों की संख्या 82 है. अब सवाल ये उठता है कि अगर सरकार की योजना के मुताबिक ये बिल कल लोकसभा से पारित हो जाता है तो क्या 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में 181 संसदीय क्षेत्र महिला प्रत्याशियों के लिए आरक्षित कर दिए जाएंगे?इसके जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते है कि प्रस्तावित बिल में यह कहा गया है कि पहले जनगणना होगी तथा उसके पश्चात निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होगा तथा इसके बाद ही इस प्रस्तावित बिल के प्रावधान लागू होंगे. इसके लिए जनगणना का काम शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए.जनगणना तो वर्ष 2021 में ही हो जानी चाहिए थी परन्तु यह अभी तक नही हो सकी है. जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी करानी चाहिए तभी इसका सही फायदा महिलाओं को मिलेगा.संसद से पास होने पर भी 2029 तक लागू हो सकेगा. मुख्यमंत्री का यह मानना है कि संसद में महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिये भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिये.यदि जातिगत जनगणना हुई होती तो पिछड़े एवं अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था को तुरंत लागू किया जा सकता था. प्राप्त जानकारी के महिला आरक्षण विधेयक में दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का प्रावधान है.इसके तहत दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं की एक तिहाई भागीदारी अनिवार्य हो जाएगी. इससे राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं को सक्रिय राजनीति में आगे बढ़ने में गति मिलेगी.
मंगलवार, 19 सितंबर 2023
नए संसद भवन में पहला विधेयक महिला आरक्षण बिल पेश
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