आलेख : मोदी ने जी 20 के जरिए दुनिया को दिखाई विकास की राह - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 8 सितंबर 2023

आलेख : मोदी ने जी 20 के जरिए दुनिया को दिखाई विकास की राह

एक तरफ जहां चीन विकास के नाम पर अतिक्रमणवाद व पाकिस्तान जैसे आतंकपरस्त देश का अपने वीटों पावर के जरिए समर्थन करता रहा है, वहीं भारत दुनिया में सबकी तरक्की और भाईचारे का संदेश दे रहा है. पूरी दुनिया को एक मंच पर लाने के लिए भारत सतत् प्रयासरत है। जी20 की अध्यक्षता के रूप में दुनिया को अपनी महान गौरवशाली संस्कृति, वैभवशाली विरासत और भविष्य के उत्तम निवेश का परिचय देने का प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के पास सुनहरा मौका आया और भारत ने इसका भरपूर सदुपयोग भी किया. वैसे तो विश्व हमेशा से भारत की सभ्यता और संस्कृति से परिचित था. लेकिन सिर्फ चुनिंदा केंद्रों से ही उसका संपर्क रहा, जबकि भारत दिल्ली, मुंबई और आगरा से कहीं आगे का देश है. आज किसी काम को बड़े स्तर पर करने की बात आती है तो सहज ही भारत का नाम आ जाता है. जी-20 की अध्यक्षता भी इसका अपवाद नहीं है. यह भारत में एक जन आंदोलन बन गया है. खास यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरीके से विकास, पर्यावरण व लाइफस्टाल को दुनिया के सामने रख रहे है, वह निश्चित तौर पर अद्भूत व अकल्पनीय है। विकास वैश्विक दक्षिण के लिए एक प्रमुख मुद्दा है। इसके लिए मोदी ने दुनिया के सामने जो सामूहिक जिम्मेदारी तय की है, उससे कहा जा सकता है आने वाले दिनों में पूरी दुनिया में तू तू मैं मैं के बजाएं विकास ही पहला उद्देश्य होगा

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फिरहाल, प्रधानमंत्री मोदी तमाम विपक्षी कटाक्षों से इतर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के विकास के लिए हर संभव कोशिश  में जुटे है। इसके लिए उन्होंने बैठकों की मेजबानी के लिए सिर्फ दिल्ली, विशेषकर विज्ञान भवन तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि भारत के हर चुनिंदा शहरों को इसमें शामिल किया। परिणाम सामने है, दुनिया काशी से लेकर कश्मीर तक के सांस्कृतिक धरोहरों व उसके महत्व को समझा है। जी 20 की बैठकों में जहां वाराणसी में कृषि व संस्कृति कार्य समूह की बैठक हुईं तो व्यापार और निवेश पर बैठक जयपुर में हुई. डिजिटल अर्थव्यवस्था का मंच बेंगलुरु बना तो स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक के लिए प्रतिनिधि गांधीनगर में जुटे. कोलकाता ने भ्रष्टाचार विरोधी मंत्रियों की बैठक आयोजित की तो चेन्नई पर्यावरण और जलवायु स्थिरता बैठक की मेजबान बनी. गोवा, हम्पी, गुरुग्राम, पुणे, महाबलीपुरम, खुजराहो, रांची, उदयपुर, हैदराबाद, ऋषिकेश, श्रीनगर, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, सिलीगुड़ी, अमृतसर समेत भारत के कई व्यावसायिक और सांस्कृतिक केंद्र ना केवल जी20 के मेजबान बने बल्कि अपनी कला और संस्कृति से उन्होंने विश्व को परिचित भी करवाया. बैठक में भाग लेने वाले विकासशील और अल्पविकसित देशों के हितों को जी20 के एजेंडे में जगह दिलाकर भारत इन देशों के ग्लोबल लीडर के रूप में जाना जाएगा. इन देशों के भी मुद्दों  में कार्बन उत्सर्जन को लेकर गरीब देशों को मिलने वाली आर्थिक मदद, क्लीन एनर्जी को लेकर अल्प विकसित देशों को तकनीकी और आर्थिक मदद, खाद्यान्न सुरक्षा और सप्लाई चेन का मामला काफी अहम है. देखा जाएं जो देश जी-20 में शामिल हैं, वो विश्व की आबादी का दो-तिहाई हैं. इन देशों के पास विश्व व्यापार की करीब 75 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. इतना ही नहीं ग्लोबल जीडीपी में भी इन देशों की 85 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. इसीलिए वैश्विक स्तर पर जी20 को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक अहम साबित होने वाला है. कहा जा सकता है जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी से दुनिया में भारत की आवाज और बुलंद होगी. भारत जी20 में ग्लोबल साउथ के देशों के मुद्दों को भी उठाकर इस पूरे क्षेत्र का नेतृत्व हासिल करना चाहता है. जी20 के मंच पर आर्थिक विकास, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा और कारोबार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होगी. पीएम मोदी को भरोसा है कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र होगा. साथ ही भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता की भी नए भारत में कोई जगह नहीं होगी.


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मतलब साफ है शिखर सम्मलेन के लिए आने वाले अतिथियों को हमारी कला-संस्कृति से परिचित होने का भरपूर जो अवसर मिला। उसका लाभ आने वाले दिनों में दिखाई देगा। जहां बैठके हुई वहां के रास्ते में हर जगह भारत की सनातन, सांस्कृतिक विरासत, कला और विकास के पथ पर अग्रसर भारत के दर्शन को दखाया गया। कलाकृतियों में रामायण, महाभारत और भगवान विष्णु के अवतार के उन्हें दर्शन कराएं गए। वैश्विक नेताओं को भी दिल्ली और आगरा से इतर ले जाने के कार्यक्रम बनें. फिर चाहें बेंगलुरु में तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की मेजबानी हो या फिर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे का वाराणसी का दौरा. पुर्तगाली राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा की गोवा और मुंबई में मेजबानी हुई तो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांति निकेतन का दौरा किया. बता दें, भारत की सांस्कृतिक विरासत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, जो धर्म, कला, परंपराओं का एक अनूठा समृद्ध संगम है. जी20 बैठकों के जरिये मोदी सरकार ने भरपूर प्रयास किया कि हम अपने अतिथियों को हजारों वर्षों के दौरान विकसित हुई अनेक प्रकार के कला, वास्तुकला, चित्रकला, संगीत, नृत्य, पर्वों और रीति-रिवाजों से परिचित करा सकें. मेहमानों का उत्साह और बढ़ता व्यापार ये संकेत देता है कि भारत इन कोशिशों में कामयाब भी रहा है. वसुधैव कुटुंबकम, ये दो शब्द एक गहरे दर्शन को दर्शाते हैं. इसका मतलब है कि पूरी दुनिया एक परिवार है. यह एक सर्वव्यापी दृष्टिकोण है जो हमें सीमाओं, भाषाओं और विचारधाराओं से परे एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करता है. भारत की जी20 की अध्यक्षता के दौरान यह दृष्टिकोण मानव-केंद्रित विकास में तब्दील हो गया है. हम अपने ग्रह का पोषण करने के लिए एक साथ आएं. एक परिवार के रूप में हम विकास के प्रयास में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं और हम एक साझा भविष्य के लिए ’वन फ्यूचर’ की ओर एक साथ आगे बढ़ रहे हैं, जो इस परस्पर जुड़े समय में एक अकाट्य सत्य है“


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प्रधानमंत्री के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद दुनिया कई बदलावों की गवाह रही है. ’महामारी के बाद की विश्व व्यवस्था उससे पहले की विश्व व्यवस्था से बहुत अलग है. जिसमें तीन महत्वपूर्ण बदलाव हैं, सबसे पहले, यह अहसास बढ़ रहा है कि दुनिया के जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर जाने की आवश्यकता है. दूसरा, दुनिया वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में लचीलेपन और विश्वसनीयता के महत्व को पहचान रही है. तीसरा, वैश्विक संस्थानों में सुधार के माध्यम से बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने का सामूहिक आह्वान है. हमारी ळ20 अध्यक्षता ने इन बदलावों में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है.’’दिसंबर 2022 में जब मोदी ने इंडोनेशिया के बाद जी-20 की अध्यक्षता संभाली, तो उसमें साफ साफ कहा था, विकासशील देशों, ग्लोबल साउथ और अफ्रीका की हाशिये पर पड़ी आकांक्षाओं को मुख्यधारा में लाने की विशेष जरूरत है. इसी सोच के साथ भारत ने ’वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ का आयोजन भी किया था.’ मेदी का कहना है कि ’भारत में प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना प्राचीन काल से एक आदर्श रहा है और हम आधुनिक समय में भी क्लाइमेट एक्शन को अपना योगदान दे रहे हैं. ग्लोबल साउथ के कई देश विकास के अलग-अलग चरणों में हैं और क्लाइमेट एक्शन एक पूरक लक्ष्य होना चाहिए. हमें ये भी ख्याल रखना होगी क्लाइमेट एक्शन की महत्वाकांक्षाओं को जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एक्शन के साथ मेल खाना चाहिए.’ ’जलवायु परिवर्तन की वजह से खाद्य और पोषण सुरक्षा के मामले में मोटा अनाज और श्रीअन्न काफी मददगार बताया है। दुनिया इस पर अमल भी करने को तैयार हो रही है। उसी कड़ी में अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष में भारत ने बाजरा को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया है. खाद्य सुरक्षा और पोषण पर डेक्कन उच्च स्तरीय सिद्धांत भी इस दिशा में सहायक हैं.’ इसके अलावा, भारत की अध्यक्षता के तहत न केवल अफ्रीकी देशों की अबतक की सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई है, बल्कि जी-20 के एक स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने पर भी जोर दिया गया है. हमारी दुनिया परस्पर जुड़ी हुई है, इसका मतलब यह है कि विभिन्न क्षेत्रों में हमारी चुनौतियां भी आपस में जुड़ी हुई हैं. यह 2030 एजेंडा के मध्य काल का वर्ष है और कई लोग चिंता जता रहे हैं कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के मुद्दे पर प्रगति पटरी से उतर गई है.एसडीजी के मोर्चे पर तेजी लाने से संबंधित जी-20 2023 का एक्शन प्लान भविष्य की दिशा निर्धारित करेगा. इससे एसडीजी को हासिल करने का रास्ता तैयार होगा.


भारत में, प्राचीन काल से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर आगे बढ़ना हमारा एक आदर्श रहा है और हम आधुनिक समय में भी क्लाइमेट एक्शन में अपना योगदान दे रहे हैं. ग्लोबल साउथ के कई देश विकास के विभिन्न चरणों में हैं और इस दौरान क्लाइमेट एक्शन का ध्यान रखा जाना चाहिए. क्लाइमेट एक्शन की आकांक्षा के साथ हमें ये भी देखना होगा कि क्लाइमेट फाइनेंस और ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी का भी ख्याल रखा जाए. मोदी का मानना है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए पाबंदियों वाले रवैये को बदलना चाहिए. ‘क्या नहीं किया जाना चाहिए’ से हटकर ‘क्या किया जा सकता है’ वाली सोच के साथ आगे बढ़ना होगा. हमें एक रचनात्मक कार्यसंस्कृति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. एक टिकाऊ और सुदृढ़ ब्लू इकोनॉमी के लिए चेन्नई एचएलपी हमारे महासागरों को स्वस्थ रखने में जुटी है. ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर के साथ, हमारी अध्यक्षता में स्वच्छ एवं ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित एक ग्लोबल इकोसिस्टम तैयार होगा. मोदी ने वर्ष 2015 में, इंटरनेशनल सोलर अलायंस का शुभारंभ किया था. अब, ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस के माध्यम से भारत दुनिया को एनर्जी ट्रांजिशन के योग्य बनाने में सहयोग करेंगा। इससे सर्कुलर इकोनॉमी का फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा. क्लाइमेट एक्शन को लोकतांत्रिक स्वरूप देना, इस आंदोलन को गति प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है. जिस प्रकार लोग अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर रोजमर्रा के निर्णय लेते हैं, उसी प्रकार वे इस धरती की सेहत पर होने वाले असर को ध्यान में रखकर अपनी जीवनशैली तय कर सकते हैं. जैसे योग वैश्विक जन आंदोलन बन गया है, उसी तरह हम ‘लाइफस्टाइल फॉर सस्टेनेबल इनवायरमेंट’ को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं.टेक्नोलॉजी परिवर्तनकारी है लेकिन इसे समावेशी भी बनाने की जरूरत है. अतीत में, तकनीकी प्रगति का लाभ समाज के सभी वर्गों को समान रूप से नहीं मिला. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने दिखाया है कि कैसे टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर असमानताओं को कम किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, दुनिया भर में अरबों लोग जिनके पास बैंकिंग सुविधा नहीं है, या जिनके पास डिजिटल पहचान नहीं है, उन्हें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के माध्यम से साथ लिया जा सकता है. डीपीआई का उपयोग करके हमने जो परिणाम प्राप्त किए हैं, उन्हें पूरी दुनिया देख रही है, उसके महत्व को स्वीकार कर रही है. अब, जी-20 के माध्यम से हम विकासशील देशों को डीपीआई अपनाने, तैयार करने और उसका विस्तार करने में मदद करेंगे, ताकि वो समावेशी विकास की ताकत हासिल कर सकें.


भारत का सबसे तेज गति से बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाना कोई आकस्मिक घटना नहीं है. हमारे सरल, व्यावहारिक और सस्टेनेबल तरीकों ने कमजोर और वंचित लोगों को हमारी विकास यात्रा का नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाया है. अंतरिक्ष से लेकर खेल, अर्थव्यवस्था से लेकर उद्यमिता तक, भारतीय महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं. आज महिलाओं के विकास से आगे बढ़कर महिलाओं के नेतृत्व में विकास के मंत्र पर भारत आगे बढ़ रहा है. हमारी जी-20 प्रेसीडेंसी जेंडर डिजिटल डिवाइड को पाटने, लेबर फोर्स में भागीदारी के अंतर को कम करने और निर्णय लेने में महिलाओं की एक बड़ी भूमिका को सक्षम बनाने पर काम कर रही है. भारत के लिए, जी-20 की अध्यक्षता केवल एक उच्च स्तरीय कूटनीतिक प्रयास नहीं है. मदर ऑफ डेमोक्रेसी और मॉडल ऑफ डाइवर्सिटी के रूप में हमने इस अनुभव के दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिए हैं. आज किसी काम को बड़े स्तर पर करने की बात आती है तो सहज ही भारत का नाम आ जाता है. जी-20 की अध्यक्षता भी इसका अपवाद नहीं है. यह भारत में एक जन आंदोलन बन गया है. हमारी जी-20 अध्यक्षता विभाजन को पाटने, बाधाओं को दूर करने और सहयोग को गहरा करने का प्रयास करती है. हमारी भावना एक ऐसी दुनिया के निर्माण की है, जहां एकता हर मतभेद से ऊपर हो, जहां साझा लक्ष्य अलगाव की सोच को खत्म कर दें. जी-20 अध्यक्ष के रूप में, हमने वैश्विक पटल को बड़ा बनाने का संकल्प लिया था, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि हर आवाज सुनी जाए और हर देश अपना योगदान दे. मुझे विश्वास है कि हमने कार्यों और स्पष्ट परिणामों के साथ अपने संकल्प पूरे किए है.





Suresh-gandhi


सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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