विशेष : वोट का अधिकार छीनना चाहती है कैंद्र सरकार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 5 सितंबर 2023

विशेष : वोट का अधिकार छीनना चाहती है कैंद्र सरकार

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भारतीय संविधान सभा में सवर्णों और सामंतों की लॉबी व्‍यस्‍क मताधिकार के खिलाफ थी। इस लॉबी का मानना था कि देश की बड़ी आबादी अनपढ़ और गंवार है। उसे वोट का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। लेकिन आखिरकार संविधान सभा ने व्‍यस्‍क मताधिकार को स्‍वीकार्य किया और सभी लोगों को वोट देने का अधिकार मिला। इसी वोट की ताकत ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया और आज भारत सबसे ताकतवर गणतंत्र है। लेकिन आजादी के 75वें साल में भारतीय लोकतंत्र और लोगों को जहर पिलाने की साजिश की जा रही है। इस जहर को अमृतकाल का अमृत बताया जा रहा है। अमृतकाल भाजपा की टर्मलॉजी है।


देश में मुफ्त में टीका, मुफ्त में अनाज और मुफ्त में गैस बांटा गया। अब उसकी कीमत वोट का अधिकार छीनकर वूसला जा रहा है और देश की मुफ्तखोर आबादी गदगद है। राजनीतिक स्‍तर पर इसका कोई विरोध होता हुआ नहीं दिख रहा है। राजनीतिक पार्टियों की ओर से इसका विरोध होगा भी नहीं। विपक्षी पार्टियां वन नेशन वन इलेक्‍शन को मुद्दों से भटकाने की कोशिश मान रही हैं। क्‍योंकि उनके पास अपने कोई मुद्दे नहीं हैं। विपक्षी दलों के हो-हल्‍ला के बीच सरकार कोविंद समिति पर राष्‍ट्रव्‍यापी रायशुमारी का आडंबर भी खड़ा कर लेगी और संसद का समर्थन भी हासिल कर लेगी।


दरअसल केंद्र सरकार आम आदमी के वोट का अधिकार छीनना चाहती है। आज विपक्षी खेमे में बैठी कुछ पार्टियां भाजपा के साथ सत्‍ता की साझेदारी करते हुए वन नेशन वन इलेक्‍शन की वकालत भी करती रही हैं। नीतीश कुमार भी उनमें शामिल हैं। अपनी सत्‍ता और सुविधा की राजनीति करने वाली पार्टी और नेता किसी भी व्‍यापक जनहित के मुद्दों पर जन आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते हैं। वन नेशन वन इलेक्‍शन को वे वोट का अधिकार छीनने की साजिश मानने को तैयार नहीं होंगे।


वन नेशन वन इलेक्‍शन के नारे से गैरसवर्णों के सामाजिक और राजनीतिक अधिकार को छीनने का संवैधानिक रास्‍ता निकाला जा रहा है। इस अधिकार की लड़ाई कोई पार्टी या नेता नहीं लड़ सकते हैं। इस लड़ाई को गैरसवर्णों को सामाजिक सरोकार से जोड़कर लड़ना होगा। वोट का अधिकार छीनकर पहले राजनीतिक रूप से कमजोर किया जाएगा और फिर सामाजिक स्‍तर पर जातीय प्रताड़ना का शिकार बनाया जाएगा। नाई को नउवा होने का बोध कराया जाएगा और धोबी को धोबी होने की नसीहत दी जाएगी। इसी प्रकार की नसीहत कोईरी, कहार, चमार, दुसाध, मल्‍लाह सबको दी जाएगी। अगर आप वन नेशन वन इलेक्‍शन के खिलाफ खड़े नहीं होते हैं तो अपना सामाजिक मान, सम्‍मान और स्‍वाभिमान भी नहीं बचा पाएंगे।




--- वीरेंद्र यादव, वरिष्‍ठ संसदीय पत्रकार ---

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