मधुबनी : कुपोषण को मिटाने के लिए सेविकाओं ने ली शपथ, पोषण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 4 सितंबर 2023

मधुबनी : कुपोषण को मिटाने के लिए सेविकाओं ने ली शपथ, पोषण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा

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मधुबनी, मधुबनी जिले में सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। पोषण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए व कुपोषण को मिटाने के लिए सेविकाओं ने शपथ ली। इस मौके पर डीपीओ विनीता कुमारी ने कहा कि स्वस्थ शरीर से ही स्वस्थ मानसिकता का निर्माण होता है और बच्चों का स्वस्थ सेहत का भी निर्माण होता है। इसीलिए बेहतर समाज के निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि इस पीढ़ी को अच्छा पोषण मिले और वह सुरक्षित रहे। सभी माताओं का यह दायित्व है कि बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए साफ सफाई पर ध्यान दे, नियमित रूप से खाने से पहले व खाने के बाद अच्छी तरह से हाथ धोया जाए एवं शौचालय करने के बाद हाथ पैर धोया जाय। कुपोषण की समस्या तभी दूर हो सकती है जब बच्चों को स्वच्छता के बारे में बताया जाएगा।


कुपोषण को मिटाने के लिए सेविकाओं ने ली शपथ :

कार्यक्रम के दौरान सभी प्रखंड के सीडीपीओ ने सभी सेविकाओं व अन्य कर्मियों को कुपोषण को दूर करने व पोषण के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने की शपथ दिलाई। सभी कर्मियों ने शपथ ली कि पोषण के संदेश को जन-जन तक पहुंचायेंगे और पोषण अभियान को जन आंदोलन के रूप में तब्दील करने में अपने कर्तव्यों का निवर्हन करेंगे। 


पोषण के पांच सूत्रों से लगेगा कुपोषण पर लगाम :

डीपीओ ने बताया कि कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए पोषण अभियान के तहत पांच सूत्र बताए गए हैं। पहले सुनहरे 1000 दिनों में तेजी से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। जिसमें गर्भावस्था की अवधि से लेकर बच्चे के जन्म से दो साल तक की उम्र तक की अवधि शामिल है। इस दौरान बेहतर स्वास्थ्य, पर्याप्त पोषण, प्यार भरा एवं तनाव मुक्त माहौल तथा सही देखभाल बच्चों के पूर्ण विकास में सहयोगी होता है।


पौष्टिक आहार :

शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। छः माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है।


एनीमिया प्रबंधन :

गर्भवती माता, किशोरियां व बच्चों में एनीमिया की रोकथाम जरूरी है। गर्भवती महिला को 180 दिन तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए। 10 वर्ष से 19 साल की किशोरियों को भी प्रति सप्ताह आयरन की एक नीली गोली का सेवन करनी चाहिए। छह माह से पांच साल तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार एक-एक मिलीलीटर आयरन सिरप देनी चाहिए। 


डायरिया प्रबंधन :

शिशुओं में डायरिया शिशु मृत्यु का कारण भी है। छह माह तक के बच्चों के लिए केवल स्तनपान (ऊपर से कुछ भी नहीं) डायरिया से बचाव करता है। साफ-सफाई एवं स्वच्छ भोजन डायरिया से बचाव करता है। डायरिया होने पर लगातार ओआरएस का घोल एवं 14 दिन तक जिक देना चाहिए।


स्वच्छता एवं साफ-सफाई :

साफ पानी एवं ताजा भोजन संक्रामक रोगों से बचाव करता है। शौच जाने से पहले एवं बाद में तथा खाना खाने से पूर्व एवं बाद में साबुन से हाथ धोना चाहिए। घर में तथा घर के आस-पास सफाई रखनी चाहिए। इससे कई रोगों से बचा जा सकता है।

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