- President Of Bharat हो या INDIA दोनों संविधान में लिखा है, जनता ने जिनको सरकार में वोट देकर बैठाया है तो निर्णय लेने दीजिए, आपको हमको अच्छा लगे न लगे आपको ये स्वीकार करना पड़ेगा
अगर सरकार जनता की इच्छा आशा के अनुरूप काम नहीं कर रही है तो 5 बरस में सरकार को इसमें खामियाजा भुगतना पड़ेगा: प्रशांत किशोर
मुजफ्फरपुर में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि जिस संविधान की हम लोग शपथ लेते हैं जिसकी चर्चा करते हैं उसमें पहला लाइन ही लिखा है We The People यानी हम भारत के लोग। तो लोगों ने जिनको सरकार में बैठाया वही लोगों का जनमत है तो सरकार को निर्णय लेने दीजिए। लोग अगर इससे इत्तेफाक नहीं रखेंगे तो इसीलिए तो 5 बरस में चुनाव की व्यवस्था है। अगर सरकार जनता की इच्छा आशा के अनुरूप काम नहीं कर रही है तो 5 बरस में सरकार को इसमें खामियाजा भुगतना पड़ेगा। लेकिन देश की जनता उस बात से ध्वनि मत से वोट दे रही है, लोगों को वापस जिता रही है तो आपको हमको अच्छा लगे या नहीं आपको ये स्वीकार करना पड़ेगा, क्योंकि जनता से ऊपर देश में कोई नहीं है। कोई विद्वान कोई इंटेलेक्चुअल कोई ज्ञाता नहीं कह सकता कि हम देश में ऊपर हैं। जनता का विल ही अंतिम विल है उन्होंने जिनको चुना है उनसे ये अपेक्षा की जाती है कि जनता की आशा और अपेक्षा के अनुरूप आप काम करें। आप काम करें या न करें आपको हर 5 साल के बाद जनता के पास ये व्यवस्था है कि आपको पास होने के लिए आना पड़ेगा। सरकार अगर जनमत के भावना के अनुरूप काम नहीं करेगी उनके विरोध में काम करेंगे तो जनता अपने मत के द्वारा उसको जाहिर करेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें