महिलाओं को वंदन की नहीं, सम्मान व समानता की जरूरत : कनिमोझी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 20 सितंबर 2023

महिलाओं को वंदन की नहीं, सम्मान व समानता की जरूरत : कनिमोझी

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नयी दिल्ली, 20 सितंबर, द्रविण मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने बुधवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर महिला आरक्षण विधेयक को राजनीतिक रंग देने की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि महिलाओं को पूजा और वंदन की जरूरत नहीं है, उसे समानता और सम्मान की जरूरत है। लोकसभा में ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक की सदस्य कनिमोझी ने इसका समर्थन किया और कहा, ‘‘लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा ने इसे भी राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। वर्ष 2024 के चुनावों को ध्यान में रखकर यह विधेयक लाया गया है।’’ उन्होंने कहा कि प्रतीकों की राजनीति (टोकनिज्म) बंद होनी चाहिए। कनिमोझी ने कहा कि सरकार ने इस प्रस्तावित कानून को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ कहा है, लेकिन महिलाओं को वंदन, पूजा की जरूरत नहीं है, उन्हें सम्मान की, समानता की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘इस देश में, इस संसद में महिलाओं का अधिकार उतना ही है, जितना पुरुषों का है।’’ द्रमुक सदस्य ने कहा कि सबसे पहली बार महिला आरक्षण विधेयक 1996 में तत्कालीन संयुक्त मोर्चा सरकार द्वारा उनकी पार्टी के सहयोग से लाया गया था। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार भी विधेयक लाई थी, लेकिन इस विधेयक को राज्यसभा में कांग्रेस-नीत संप्रग ने पारित कराया। कनिमोझी ने कहा कि उन्हें 2010 में राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा में भाग लेने का मौका मिला था और आज 13 वर्ष बाद वह लोकसभा में इसी विधेयक पर अपने विचार रख रही हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि ने 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि 2017 में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और द्रमुक नेता स्टालिन ने भी मोदी को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया था। कनिमोझी ने कहा कि वह स्वयं भी इस विषय को कई बार संसद में उठा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि संसद में पूछे गये उनके प्रश्नों के उत्तर में सरकार की ओर से लगभग यही जवाब मिला कि इस पर विभिन्न हितधारकों से विचार किया जा रहा है और आम-सहमति बनाकर इसे लाया जाएगा। कनिमोझी ने कहा, ‘‘सरकार ने कौन सी सहमति बनाई, बल्कि यह विधेयक तो गोपनीयता के साथ लाया गया। सर्वदलीय बैठक में भी इसके बारे में विपक्षी दलों को कुछ नहीं बताया गया और अचानक से सदस्यों के सामने कम्प्यूटर स्क्रीन पर विधेयक आया।’’ उन्होंने कहा कि करोड़ों बहनें इस विधेयक के वास्तविक रूप लेने का इंतजार कर रही हैं, लेकिन पता नहीं यह कब लागू होगा। द्रमुक सदस्य ने कहा कि जब तक विधेयक में से ‘परिसीमन के बाद’ शब्द नहीं हटाया जाएगा, तब तक इसे लटकाया जाता रहेगा और इंतजार 10 साल, 20 साल और 30 साल तक भी चल सकता है। कनिमोझी ने देश में विभिन्न महिला नेताओं के योगदान का उल्लेख करते हुए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती आदि के नाम लिये और जब सत्तापक्ष के किसी सदस्य ने तमिलनाडु में द्रमुक की प्रतिद्वंद्वी अन्नाद्रमुक की नेता दिवंगत जयललिता का नाम लिया तो कनिमोझी ने कहा कि जयललिता भी मजबूत नेता थीं और उन्हें उनका नाम लेने में कोई दिक्कत नहीं है।

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