कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीरामचरितमानस की भावपूर्ण चौपाइयों से शुरू हुआ। जिसने सभी दर्शकों को भक्ति के धारा में सराबोर किया। छात्रों द्वारा प्रस्तुत रासलीला आधारित नृत्य “चल हट”, “छात्रावास के दिन” शीर्षक कविता जिसे 11वीं की छात्रा साक्षी भारद्वाज ने प्रस्तुत किया, आदि को दर्शकों ने बड़ी तल्लीनता से देखा सुना। अन्य प्रस्तुतियां जैसे पटाखा गुड्डी, ओ रे पिया रे, गुन गुना रे, तेरा चेहरा, भोजपुरी गीत , रविन्द्र संगीत सहित अन्य नृत्य एवं नाट्य आदि की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया और पूरे कार्यक्रम के दौरान बांधे रखा। इस अवसर पर छात्राओं ने भांति भांति के मनमोहन कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के बारे में अपने विचार प्रकट करते हुए पूर्णिया की डी०एस०पी० श्रीमती सीमा देवी ने कहा कि इस विद्यालय के सुंदर परिसर में आकर उन्हें बहुत अच्छा लगा और बच्चों ने जिस प्रकार मेरा स्वागत किया वह काबिले तारीफ था। हमारे कुछ संस्कार होते हैं , जिन्हें जब भी रिकॉल किया जाए बड़ा ही अच्छा लगता है ।मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं विद्यालय- परिवार का भी शुक्रिया अदा करती हूं। उन्होंने रंग-बिरंगे, मनमोहक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने वाली छात्राओं और उनके कोरियोग्राफर को भी धन्यवाद दिया , जिनके फलस्वरूप उनकी शाम इतनी रंग बिरंगी रही।
इस अवसर पर श्रीमती सीमा देवी ने बालिकाओं को अनेक उद्धरणों से मोटिवेट किया। उन्होंने बताया की कोई भी चीज बिना मेहनत के नहीं मिलती। कभी आप सब ने वह सुबह देखा है जिसके पीछे रात न हो। आप सब अपने जीवन में एक लक्ष्य जरूर रखो और वह लक्ष्य कुछ भी हो सकता है। मैंने कार्यक्रम में देखा कि कुछ लड़कियां बहुत ही सुंदर डांस कर रही थी लगा कि वह प्रोफेशनल डांसर भी हो सकती हैं। एक सपना अपने साथ अवश्य रखो और जिस दिन तुम उसे सपने को साकार कर लोगे उसे दिन तुम्हें बहुत ही गर्व महसूस होगा। मैंने भी अपने जीवन में एक सपना देखा था कि मैं एक दिन बड़ी ऑफिसर बनूंगी और जब मैं ऑफिसर बनी तो मेरी शिक्षक ने कहा पोशाक तो सभी को मिलती है पर पहली बार पोशाक को सही शरीर मिला। यह मेरे लिए एक कंप्लीमेंट था। उन्होंने लड़कियों को मोबाइल के प्रयोग में सावधानी बरतने के लिए विशेष तौर पर हिदायत दी। उन्होंने छात्र- छात्राओं को बताया कि हर त्याग के पीछे कोई न कोई निर्माण होना चाहिए। आप सब एक बात ध्यान रखिए ; आप घर से दूर हैं माता-पिता के प्यार से दूर हैं इसका मतलब यह है कि आप अपने जीवन में कुछ न कुछ निर्माण का काम अवश्य करें। आज आप अपने माता-पिता के नाम से पहचाने जाते हैं, वही आपकी पहचान है किंतु कल अगर आपके माता-पिता को आपके नाम से पहचाना जाएगा तो सोचो उनको कितना गर्व महसूस होगा।कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के निदेशक श्री रंजीत कुमार पॉल ने विद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी कार्यक्रमों की सराहना की और मुख्य अतिथि श्री सीमा देवी के द्वारा दिए गए मार्गदर्शनों के प्रति खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने बताया कि मैं बहुत ही खुश हूं कि डी०एस०पी०मैडम ने अपने जीवन के अनेक अनुभव आपको बताए; और उनके हर अनुभव में आपके लिए कुछ न कुछ मोटिवेशन था, जिनका आप पालन करेंगे। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, एवं ट्रस्टी मेंबर को विद्यालय की शिक्षिकाओं ने शॉल प्रदान कर सम्मानित किया। इसी के साथ विद्यालय के संगीत विभाग की शिक्षिका श्रीमती सुप्रिया मिश्रा एवं शिक्षक सत्यानंद कुमार के नेतृत्व में प्रस्तुत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर विद्यालय के ट्रस्टी श्री राजेश चंद्र मिश्र, विद्यालय के प्रधानाचार्य, निदेशक, संयुक्त निदेशक,उपप्रधानाचार्य प्रशासक तथा सभी शिक्षक शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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