गया. लोकतान्त्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के द्वारा जन जागरण अभियान चलाया गया.यह अभियान मूलत:लोकतंत्र बचाओ संविधान बचाओ जनजागरण अभियान है.यह 28 अगस्त से 01सितम्बर तक चला.03 सितम्बर को जीवन संघम दोमुहान बोधगया में 11बजे दिन से समीक्षा बैठक की गई.समीक्षा बैठक में बचे हुए प्रखंडों,बोधगया,मानपुर, टनकुप्पा तथा वजीरगंज प्रखंड की योजना पर भी विचार विमर्श की गई. बता दें कि गया जिले के डोभी और बाराचट्टी प्रखंड के बीस पंचायत में लोकतान्त्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के बैनर तले लोकतंत्र बचाओ और संविधान बचाओ पदयात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए गीत और नुक्कड नाटक के माध्यम से नफरत के खिलाफ आपसी भाईचारा बनाए रखने लिए लोकतंत्र बचाओ संविधान बचाओ जनजागरण अभियान 28 अगस्त से 01सितम्बर तक चला.गया जिले के मोहनपुर प्रखण्ड के 12 पंचायत के 20 गांवों में गीत और नुक्कड नाटक के माध्यम कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न किया गया. लगभग 4-5 हजार पुरूष,महिला और बच्चों ने नाटक और गीत को देखा.मगध का झुमर आज के कार्यक्रम का आकर्षण के केंद्र में रहा. मजदूर किसान समिति के पूर्व अध्यक्ष किसान नेता कैलाश भारती और बाबूलाल अलबेला लखईपुर बाजार ने झुमर प्रस्तुत कर ग्रामीणांचल में धूम मचा दिए.नावाडीह गांव में बनारस सिस्टर फ्लोरिन, पटना से फादर जोश,पटना से ही कंचनबाला आई थी. जब कला जत्था मोहनपुर प्रखण्ड के ऐतिहासिक गांव गुरियावां पहुँचा.यहां के 94 वर्षीय बालचंद जी बताते हैं कि इस गांव में लगभग 700 एकड़ जमीन भूदान आदोलन के दौरान वितरित की गयी थी. यहां 1957 और 1962 में दो बार लोकनायक जयप्रकाश नारायण आए थे.एक भूदान किसानों के गांव जे.पी के नाम पर जयप्रकाश नगर रखा गया.इसी गांव में शारदा और महेन्द्र की अगुआई में कला जत्था का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ.इसके बाद कंचनपुर, बड़की बिहिया,और सीरियावां में भी कार्यक्रम किया गया.आज कला जत्था का प्रदर्शन ऐतिहसिक गांव गुरियावां गांव के भूदान किसान का टोला,जयप्रकाश नगर में किया गया.इस टीम का नेतृत्व 75 वर्षीय भूदानी परमेश्वर जी उर्फ विनोबा जी ने किया. 28 अगस्त को शारदा के नेतृत्व में गुरियावां,मटिहानी, कंचनपुर और सिरियावां गांव में सांस्कृतिक कला जत्था अभियान चला.29 अगस्त को छेदी मंडल के नेतृत्व में रेड़ीबार, नावाडीह,केन्दुआरी और लखईपुर गांव में सांस्कृतिक कला जत्था अभियान चला. लखईपुर गांव का कोलराजी व्यवस्था का गढ़ का चिन्ह आज भी जिन्दा है.यहां कभी कोल्ह जाति का राज रहा था.30 अगस्त को बेला,जरलाही,अमकोला और बासुपुर में. 31अगस्त को हादे, तिलैया,मुसेना और दुहोबार में.01सितम्बर को मझियावां,बलकोबा, बंधुनगर,लक्ष्मीपुर और डेमा में अभियान चला.03 सितंबर जीवन संघम दोमुहान में 11बजे दिन से समीक्षात्मक बैठक हुई.
बुधवार, 6 सितंबर 2023
गया : लोकतंत्र बचाओ संविधान बचाओ जनजागरण अभियान
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