पटना सिटी। बेतिया धर्मप्रांत के चुहड़ी पल्ली में रहने वाले भाजू समुदाय के आकाश सेंसिल कल बिहार के सबसे पुराने गिरजाघर पटना सिटी स्थित पादरी की हवेली गए थे। उनका कहना है कि यह बहुत ही सौभाग्य से मुझे मौका मिला। उन्होंने कहा कि बहुत पहले ही मैंने अपने अध्ययन के दौरान पड़ा था यहां बिशप हार्टमैन की कुछ अवशेष मौजूद हैं। जिसे देखने कि मुझे तीव्र लालसा थी। बिशप हार्टमैन की मध्यस्थता से कई चमत्कार हुए हैं और उन्हें संत बनने की कड़ी में सर्वेंट ऑफ गॉड की उपाधि भी मिल गई है। वहां के सुपेरियर फादर संदीप सोरेन है। जो ओएमएम केप समाज से हैं। उन्होंने मुझे चर्च के इतिहास के बारे में बहुत सी जानकारियां दी। और साथ ही बिशप हार्टमैन के कमरे का भी दौरा कराया। जहां उनके कपड़े का अंश, हड्डियां और उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली कुर्सी थी। फादर ने हरसंभव मेरा पूरा सहयोग किया। उसके बाद बगल में ही मिशनरीज ऑफ चौरिटी की मदर सुपीरियर से मिलने गया। जहां सिस्टर ने मुझे मदर टेरेसा का रेलिक ( संत से जुड़ा कोई वस्तु ) दिया। बता दे कि पादरी की हवेली जिसे सेंट मैरी चर्च के नाम से भी जाना जाता है, पटना और वास्तव में बिहार का सबसे पुराना चर्च है।जबकि चर्च पहली बार 1713 में बनाया गया था, आज हम जिस संरचना को देखते हैं, उसे 1772 में एक वेनिस के वास्तुकार, तिर्रेटो द्वारा डिजाइन किया गया था। यहां पर एक मरिया घंटा है। जिसे पृथ्वी नारायण शाह देव( वही राजा जिन्होंने 1769 में नेवार ईसाइयों को नेपाल से निष्कासित कर दिया।) के पुत्र बहादुर पृथ्वी शाह देव के द्वारा 1782 में गिरजाघर को दिया गया है।चर्च ने कई हमलों का सामना किया है, जिसमें 1763 में नवाब मीर कासिम और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुए हमले भी शामिल हैं। यह काफी हद तक अच्छी तरह से संरक्षित है और इतिहास और विरासत स्मारकों में रुचि रखने वालों के लिए इसे अवश्य देखना चाहिए।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के उपाध्यक्ष सिसिल साह कहते हैं कि मेरे चार वर्षों के अथक प्रयास रंग लाया, बिहार सरकार द्वारा 18 नवम्बर 2013 को मेरे नाम से पत्र द्वारा सूचित किया गया कि अब बिहार के पर्यटक स्थल में पादरी की हवेली, पटना सिटी चर्च को ले लिया गया ! दुःखद बात ये है कि 10 वर्ष पूरा होने पर भी , चर्च के रखरखाव के लिए कोई फंड की व्यवस्था बिहार सरकार ने नहीं किया, बारम्बार बिहार सरकार से निवेदन किया गया, पर फंड नहीं दिया गया। हुआ यह कि मेडिकल मिशन सिस्टर सोसाइटी की स्थापना 30 सितम्बर 1925 हुई थी। इसकी संस्थापिका सिस्टर डॉक्टर अन्ना डेंगल और कुछ सिस्टर्स के द्वारा की गयी थी.स्थापना के 14 साल बाद 27 दिसंबर 1939 में सिस्टरगण भारत आई थीं। तब पटना शहर के पटना सिटी में स्थित गायघाट से 3.5 किलोमीटर दूर भव्य रोमन कैथोलिक चर्च पादरी की हवेली पहुंची। यह प्रसिद्ध भवन 1772 ई. में बना। ईसाइयों के एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में 8 दिसंबर 1779 ई. से यह चर्चित हुआ।जहां दूर-दूर से लोग प्रार्थना के लिए आते हैं। प्रार्थना करने पहुंचने पर पादरी हवेली के फादर ने गौशाला की ओर इंगित कर मेडिकल मिशन सिस्टर सोसाइटी की संस्थापिका अन्ना डेंगल व उनके साथियों से कहा कि आप लोगों का होली फैमिली के द्वारा स्वागत है। तब सिस्टर काफी प्रभावित हुईं।उसके बाद मेडिकल मिशन सिस्टर सोसाइटी द्वारा निर्मित हॉस्पिटल का नाम होली फैमिली रखा जाने लगा।मेडिकल मिशन सिस्टर सोसाइटी के द्वारा छोटा हॉस्पिटल भी खोला गया था,जहां संत टेरेसा प्राथमिक उपचार का कोर्स की थीं।
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