स्नातक पास बड़े भाई अजीत कुमार ने बताया कि वे एक से दो बीघे जमीन में जैविक सब्जी एवं फल की खेती करते हैं, जिनमें कद्दू, घ्यूरा, बैगन, कैता, मूली, भिण्डी, अमरुद, केला, धनिया तथा खीरा आदि शामिल हैं। बिना विशेष प्रशिक्षण के ही पूर्वजों से सीख कर खेती करते हैं। सरकार की ओर से विशेष सुविधा नहीं मिल पायी है। वहीं मेहनत के अनुसार लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। बीएससी पास छोटे भाई अमित कुमार ने बताया कि सरकार के अनुदान से ब्लॉक के द्वारा बीस कट्ठे से अधिक जमीन में नेट लगाया गया है, जिसमें शिमला मिर्च, भिंडी, गोभी, मवेशी चारा, खीरा तथा अन्य लत्तीदार फल- सब्जी आदि की खेती की जाती है। इसमें केवल वर्मी कंपोस्ट का ही प्रयोग किया जाता है। वहीं रासायनिक खाद या कीटनाशक का लगभग प्रयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि इस नेट के अंदर कीट-पतंगों का प्रकोप बहुत कम होता है। उन्होंने बताया कि वे शीघ्र ही मछली पालन भी शुरू करेंगे, जिसके लिए बोरिंग, पाइप तथा पंपिंगसेट आदि की भी व्यवस्था है।
उक्त स्थल का निरीक्षण करने गए प्राध्यापक डॉ. आर.एन. चौरसिया ने बताया कि इस किसान परिवार का उक्त प्रयास सराहनीय एवं अनुकरणीय है। इनके इस छोटे से कार्य से कई लोगों को रोजगार भी मिला है। प्रेरित एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों के द्वारा जैविक खेती करने से लोगों को स्वाद, स्वास्थ्य के साथ ही अधिक धनार्जन का लाभ भी होगा। उन्होंने बताया कि अगले वर्ष किसानों से किराये पर जमीन लेकर राजकुमार, मंजीत कुमार चौधरी, आस्थानंद यादव, प्रशांत कुमार झा एवं वीरेन्द्र कुमार यादव आदि युवाओं के माध्यम से व्यापक पैमाने पर जैविक अनाज, फल एवं सब्जी की खेती, मत्स्य पालन, बकरी पालन तथा गोपालन आदि प्रारंभ किया जाएगा, जिनके लिए उनके प्रशिक्षण, स्थल निरीक्षण, कृषि, पशु एवं गो विशेषज्ञों से सम्पर्क तथा सरकारी सहायता आदि की व्यवस्था की जा रही है।
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