भुख सुचकांक में भारत का स्थान 107से घट कर 108वें स्थान पर चला गया है। अब किसानों के साथ साथ खेतिहर मजदूर भी आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। अपराध ब्यूरो के आकलन के अनुसार, पिछले वर्ष, कुल आत्महत्या में पच्चिस प्रतिशत हिस्सा दैनिक मजदूरों का था। वर्तमान सरकार एक तरफ कारपोरेट घरानों पर कर कम कर रही है, उनके कर्जों को माफ कर रही है और दूसरी तरफ आम आदमी पर अप्रत्यक्ष कर का बोझ लाद रही है। वर्तमान भावशून्य क्रूर शासन ने विरोध की आवाज को कुचलने के लिए ई डी, सीबीआई, एनएसए, एनआईए, यूएपीए, देशद्रोह अधिनियम जैसे कठोर कानूनों का इस्तेमाल कर रही है। चार श्रम कोडों के द्वारा इसकी मंशा है कि श्रमिक संगठनों को निष्प्रभावी बना दिया जाये। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, राष्ट्रीय परिसंपत्तियों और संसाधनों को बेचकर वर्तमान सरकार राष्ट्रीय हितों में लगातार सेंधमारी कर रही है। भारत के युवाओं और आम नागरिकों से किये गये अपने वायदों में पूर्णतः विफल होने के उपरांत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा की सरकार ऐसे तत्वों और समूहों का संरक्षण और प्रोत्साहित कर रही है, जो समाज में घृणा का वातावरण तैयार करते हैं और अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा करते हैं। उनका एक ही उद्देश्य है कि समाज में विभाजनकारी तत्वों को हवा देकर वोट की राजनीति को जाए, भले ही उससे राष्ट्रीय एकता, एकजुटता व सद्भाव पूर्ण वातावरण को कितना भी नुकसान क्यों न पहुंचे।
समय की मांग है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों को परास्त करने के लिए संघर्षशील आवाम एकजुट हों। इस संदर्भ में, मजदूरों व किसानों के ऐतिहासिक अखिल भारतीय संयुक्त कन्वेंशन का आयोजन 24 अगस्त, 2823 को तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में किया गया। इस कन्वेंशन में 7,000 प्रतिनिधि शामिल हुए और उन्होंने जनविरोधी कारपोरेट-परस्त व सांप्रदायिक शासन को सत्ता से बेदखल करने हेतु व्यापक भागीदारी वाले राष्ट्रीय संघर्ष का जयघोष किया। कन्वेंशन का आयोजन केंद्रीय मजदूर यूनियनों/फेडरेशनों और संयुक्त किसान मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ। पूरे देश के सभी राज्यों के विभिन्न मजदूर व किसान संगठनों के मजदूर, किसान और खेतिहर मजदूर बड़ी संख्या में इसमें शामिल हुए। यह कन्वेंशन उत्साह और संकल्प की भावना से ओत-प्रोत था। कन्वेंशन ने सर्वसम्मति से चार पृष्ठों का घोषणापत्र स्वीकृत किया जिसमें 'वर्तमान में देश के सामने उपस्थित आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियां', 'मांगपत्र' और 'राष्ट्रव्यापी कार्रवाई का आह्वान' शामिल है। राष्ट्रव्यापी कार्रवाई का आह्वान निम्न प्रकार है:
कन्वेंशन में मांगपत्र तैयार करने के अलावा, यह भी निर्णय लिया गया कि मजदूर संगठनों और किसान संयुक्त मोर्चा का मंच मजदूरों और किसानों से यह आह्वान करेगा कि आने वाले दिनों में वे आगे आएं और निम्नलिखित संयुक्त एवं समन्वित कार्यक्रमों में हिस्सा लें:
1). सन 2021 में लखीमपुर खीरी में किसानों के नरसंहार के अवसर पर '3 अक्टूबर, 2023' को 'काला दिवस' के रूप में मनाते हुए उस नरसंहार के मुख्य साजिशकर्ता, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी, की बर्खास्तगी एवं गिरफ्तारी की मांग
2). 26 से 28 नवंबर, 2023 के बीच सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों की राजधानियों में राजभवन के सामने 'दिन और रात का महापड़ाव संघर्ष' का आयोजन (26 नवंबर, 2023 को ही मजदूरों का अखिल भारतीय आम हड़ताल संपन्न हुआ था और किसानों के ऐतिहासिक देश की राजधानी चलो मार्च की शुरुआत हुई थी)
3). दिसंबर, 2023 से लेकर जनवरी, 2024 के बीच पूरे देश में 'संकल्पित और विशाल प्रतिरोध कार्रवाई' का आयोजन।
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