रिपोर्ट की मुख्य बातें :
· रिपोर्ट में दर्ज 60% वैश्विक पौधों और जानवरों के विलुप्त होने में घुसपैठिया एलियन प्रजातियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है;
· वर्ष 2019 में घुसपैठिया एलियन प्रजातियों की वजह से वैश्विक स्तर पर सालाना 423 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ। यह प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले अनुमानित वैश्विक नुकसान से अधिक है।
· वर्ष 1970 के बाद से हर दशक में घुसपैठिया एलियन प्रजातियों की वजह से होने वाला वार्षिक नुकसान कम से कम चार गुना हो गया है और परिवर्तन के प्रमुख कारकों के और बदतर होने की भविष्यवाणी की गई है;
· दुनिया भर में 3,500 से अधिक घुसपैठिया एलियन प्रजातियों सहित 37,000 से अधिक स्थापित विदेशी प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं;
· 80% देशों के पास अपनी राष्ट्रीय जैव विविधता योजनाओं में घुसपैठिया एलियन प्रजातियों के प्रबंधन से संबंधित लक्ष्य हैं, लेकिन महज 17% देशों के पास विशेष रूप से इन मुद्दों को हल करने वाले राष्ट्रीय कानून या नियम हैं।
घुसपैठिया एलियन प्रजातियां निम्नलिखित तरीकों से करती हैं प्रभावित:
● खाद्य आपूर्ति कम करना - उदाहरण के लिए यूरोपीय तटीय केकड़ा (कार्सिनस मेनास) न्यू इंग्लैंड में वाणिज्यिक शेलफिश बेड को प्रभावित कर रहा है या कैरेबियन फाल्स मसल (माइटिलोप्सिस सैलेई) भारत के केरल में स्थानीय रूप से महत्वपूर्ण मत्स्य संसाधनों को नुकसान पहुंचा रहा है।
● स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाना: उदाहरण के लिए, एडीज़ लोबोपिक्टस और एडीज़ एजिप्टी जैसी घुसपैठिया एलियन मच्छर प्रजातियाँ मलेरिया, जीका और वेस्ट नाइल बुखार जैसी बीमारियाँ फैलाती हैं।
● आजीविका को प्रभावित करना: उदाहरण के लिए, पूर्वी अफ्रीका के लेक विक्टोरिया में, जलकुंभी (पोंटेडेरिया क्रैसिप्स) के कारण तिलापिया मछलियों की आबादी कम हो गई है, जिससे स्थानीय मत्स्य पालन प्रभावित हुआ है
● प्राकृतिक दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव: उत्तरी अमेरिकी बीवर (कैस्टर कैनाडेंसिस) और पैसिफ़िक ऑयस्टर (मैगलाना गिगास) पर्यावासों को बदलकर पारिस्थितिक तंत्र को बदलते हैं।
आईपीबीईएस ने 2030 तक घुसपैठिया एलियन प्रजातियों के प्रभावों को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके तहत जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर घुसपैठिया विदेशी प्रजातियों के प्रभावों को कम करते हुए उन्हें ख़त्म करने की कोशिश की जायेगी और उनका न्यूनीकरण किया जाएगा। इसका उद्देश्य घुसपैठिया एलियन प्रजातियों के आने और उनके रच-बस जाने की दर को वर्ष 2030 तक कम से कम 50 प्रतिशत तक कम करना है। एंगर एंडरसन, कार्यकारी निदेशक, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “मानवता सदियों से दुनिया भर में प्रजातियों को स्थानांतरित कर रही है।इस प्रथा से कुछ सकारात्मकता आई हैं, लेकिन जब आयातित प्रजातियाँ अनियंत्रित हो जाती हैं और स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र असंतुलित हो जाते हैं जिससे स्वदेशी जैव विविधता प्रभावित होती है। नतीजतन, आक्रामक प्रजातियां जैव विविधता सर्वनाश के पांच घुड़सवारों में से एक बन गई हैं जो दुनिया पर तेजी से और तेजी से हमला कर रही हैं। जबकि अन्य चार घुड़सवार - भूमि और समुद्री उपयोग का शोषण, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण - अपेक्षाकृत अच्छी तरह से समझे जाते हैं, आक्रामक प्रजातियों के आसपास ज्ञान का अंतर बना हुआ है। आईपीबीईएस इनवेसिव एलियन स्पीशीज रिपोर्ट इन अंतरालों को पाटने का एक स्वागत योग्य प्रयास है।
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