मधुबनी : मोदी का अमृतकाल,भूख से देश का गरीब बेहाल : प्रमोद मंडल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 15 अक्टूबर 2023

मधुबनी : मोदी का अमृतकाल,भूख से देश का गरीब बेहाल : प्रमोद मंडल

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मधुबनी, बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद कुमार मंडल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी देश को विश्वगुरू बनाने का सपना दिखा रहे हैं, लेकिन हकीकत ये है कि देश के करोड़ों लोगों को भरपेट भोजन भी नसीब नहीं हो पा रहा है। मगर राष्ट्रवाद की फर्जी पैरोकार सरकार को देशवासियों की समस्या नजर नहीं आ रही है। प्रधानमंत्री और सरकार की संवदेनहीनता को देखकर लगता है कि देश को मन की बात सुनाने वाले लोगों को जनता के भूखे-प्यासे रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता। ताजा जारी हुए ग्लोबल हंगर इंडेक्स आंकडों के मुताबिक, भारत में भुखमरी की स्थिति बहुत गंभीर है। इस इंडेक्स में भारत का स्थान पड़ोसी देशों पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे 111वें नंबर पर है। भारत की स्थिति साल 2022 से और ज्यादा खराब हो गई है। पिछले साल इस सूचकांक में भारत 107वें स्थान पर था। श्री मंडल ने कहा कि यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूरी दुनिया का पेट भरने का वादा करने वाले मोदी जी अपने देशवासियों को भूख से तड़पते देखकर भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। शायद आम और गरीब जनता उनकी प्राथमिकता के पन्ने में है ही नहीं। मोदी जी का सारा ध्यान अपने उद्योगपति मित्रों की तिजोरी भरने में है। दुनिया के नेताओं को सोने की थाली में खाने खिलाने वाले प्रधानमंत्री अपने ही देश के करोड़ों लोगों के लिए दो रोटी की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। भारत जैसी मजबूत और बड़ी अर्थव्यवस्था के नागरिक को भी अगर भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है तो इसका मतलब साफ है कि देश की सरकार निकम्मी और नकारा है। साथ ही यह सरकार बेशर्म भी है कि इतना सब होने के बावजूद अपने आपको राष्ट्रवादी और देशभक्त होने का अनर्गल दावा करती है। सरकार के पास तमाशे के लिए अथाह पैसे हैं, सरकार के पास अपनी उपलब्धियों के बेजा गुणगान के लिए हजारों करोड़ रुपये हैं, मगर देश के नागरिकों का पेट भरने के लिए संसाधन नहीं हैं, क्योंकि सरकार की नीयत में ही खोट है। प्रधानमंत्री के इशारे पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करके विपक्षी पार्टियों के विधायकों को खरीदकर सरकार बनाई जा सकती है, मगर प्रत्येक व्यक्ति तक भोजन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कुछ रुपये नहीं खर्च किए जा सकते। बीते दिनों आई विश्व बैंक और यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में ये बात कही गई थी कि, भारत में पांच करोड़ से भी अधिक बच्चे अत्यंत गरीबी में जीने को मजबूर हैं। जिसके कारण इन बच्चों का शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। ये देश के लिए बहुत बड़ी समस्या की तरह है। यदि समय रहते सरकार ने कोई ठोस कदम न उठाया तो ये भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ये बच्चे देश के विकास में अपना योगदान देने की बजाय देश पर भार बन जाएंगे। बीते 9 सालों में मोदी सरकार की महंगाई ने आम आदमी से दो वक्त का भोजन छीन लिया है। आज इस तथाकथित अमृतकाल में 20 करोड़ लोग रोज भूखे पेट सोते हैं। 80 करोड़ लोग भोजन के  लिए राशन की लाइनों में लगने को मजबूर हैं। महंगाई के कारण 23 करोड़ देशवासी गरीबी के दलदल में बुरी तरह धंस गए हैं। कुपोषण और भुखमरी से कराह रहे देश में ज्यादातर परिवारों को संतुलित आहार नहीं नसीब हो पा रहा है। देश की करोड़ों माताओं में रक्त की कमी संबंधी समस्याएं देखने को मिलती हैं। सरकार राहत की जगह रोज महंगाई बढ़ा रही है, क्योंकि देश लूटने वाली इस सरकार को गरीब जनता की तकलीफ से जरा सा भी फर्क नहीं पड़ता। आज देश जानना चाहता है सरकार की नीतियां इतनी अमानवीय कैसे हो सकती है, कि वो अपने देश के नागरिकों को दो वक्त की रोटी तक न दे पाए?

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