- कचरा निस्तारण के बदले बढ़ रहा कचरा का ढेर, दुर्गा पूजा में दुर्गंध के झोंके शहरी मोहल्ले तक पहुंच रहे
झंझारपुर/मधुबनी जिले के झंझारपुर प्रखंड में सुंदर स्वच्छ और साफ सुथरा नगर परिषद झंझारपुर को रखने के लिए लाखों रुपए प्रतिमाह खर्च किए जा रहे हैं। कचरा प्रबंधन के लिए लंगड़ा चौक से इस्लामपुर के रास्ते में कचरा पीट का निर्माण किया गया है, जहां शहर के कचरो को अलग-अलग कर खाद्य निर्माण एवं कचरा प्रोसेसिंग की जाती है। लेकिन स्थल देखने में यह बात खुलकर सामने आ रही है कि कचरा पीट तक जाने के रास्ते में कचरा का ढेर लगा हुआ है। दुर्गंध इतना की हवा से यह दुर्गंध मोहल्ले तक फैल रही है। इस कचरे के ढेर को पार कर कचरा पीट के अंदर पहुंचकर कचरा निस्तारण करना हास्यपद लगता है। कागजी तौर पर यहाँ कचरा से खाद्य निर्माण होता भी है और बेचा भी जाता है। नगर परिषद को इस कचरा प्रबंधन से क्या आमदनी होती है या किस किस को लाभ होता है, यह जानकारी प्राप्त नही है। शनिवार को जब कचरा पीठ की स्थिति जानने के लिए संवाददाता वहां पहुंचे तो सड़क पर ऊंची कचरे की ढ़ेर लगी हुई थी। दुर्गंध के मारे बुरा दिख रहा था। कचरा निस्तारण के लिए कचरा पीट के अंदर या सड़क पर एक भी महिला या पुरुष कर्मी कहीं नहीं दिखे। कचरा निस्तारण की जबाबदेही संभालने वाली एनजीओ शहर के कचरा को कमला बांध के नीचे बड़े एरिया में खुले में फेंकते है। कुछ टेलर कचरा को कचरा पीट के पास भी ढेर लगा दिया जाता है, ताकि यह दिखाया जा सके कि यहां भी कचरा का निस्तारण हो रहा है। इस कचरा पिट से कितनी खाद यहां से बनी, कितनी उत्पादित हुई, किन लोगों को मिला यह कोई बताने वाला नहीं है। साफ-सफाई की व्यवस्था देख रहे पटना के एनजीओ जल कल्याण समिति इसकी देखरेख करते हैं। स्थानीय सुपरवाइजर जीतू कुमार अपना मोबाइल बराबर स्विच ऑफ रखते हैं। नगर परिषद के मुख्य पार्षद बबीता शर्मा ने बताया कि यह कचरा पीठ फ़ंक्शनेबल है। वहां कुछ महिलाएं कचरा को अलग करती हैं। उन्होंने बताया कि हमारे कार्यकाल से पहले से ही यह चल रहा है, विस्तृत जानकारी नहीं है। कार्यपालक पदाधिकारी राकेश रंजन से इस बाबत संपर्क करने का प्रयास विफल रहा, उनका मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा है।
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