- सिमरियाधाम है आदिकुंभस्थली, समुद्र मंथन के बाद यहां हुआ अमृत वितरण, मिथिलांचल समुद्र मंथन की केन्द्रीय स्थली
मिथिला पंचांग, विश्वविद्यालय पंचांग (दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय), वैदेही पंचांग और अन्य पंचांगों में सिमरिया कुंभ का उल्लेख हुआ है। 2011 में अर्धकुंभ में सिमरिया में एक अनुमान के अनुसार 90 लाख लोगों ने स्नान किया। 2017 में सिमरिया में महाकुंभ का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। महाकुंभ में एक अनुमान के अनुसार एक करोड़ तीस लाख लोगों ने स्नान किया। बिहार की धरती ऐतिहासिक रही है। यहां तीन बार स्वयं शक्ति ने अवतरण लिया। माता सीता के रूप में, माता अहिल्या के रूप में और समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी का अवतरण हुआ। वेदों की व्याख्या में लिखे गए षडदर्शन में से चार के प्रवर्तक बिहार की धरती से हुए। विश्व को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाली धरती भी यही रही। भगवान श्रीराम को रामत्व देने का काम भी इसी धरती ने किया। नालंदा विश्वविद्यालय के रूप में विश्व को ज्ञान का आलोक और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को आंदोलन की भूमि देने का काम भी इसी धरती ने किया। सिमरिया की आदिकुंभस्थली के रूप में पुनर्प्रतिष्ठा देश के आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की एक ऐसी ही कड़ी है। कुंभ का पर्व सांस्कृतिक आदान-प्रदान, राष्ट्रीय सुरक्षा, विचार-मंथन, वाणिज्य-व्यापार और सनातन परंपरा की रक्षा का सबसे सुदृढ़ स्तंभ है। सिमरिया अर्धकुंभ के तहत पहला पर्व (शाही ) स्नान 25 अक्टूबर, दूसरा 9 नवंबर और तीसरा पर्व स्नान 23 नवंबर को होना तय हुआ है। इसके साथ ही 31 अक्टूबर, 8 नवंबर और 16 नवंबर को कुंभ पर्व के बीच होने वाली परिक्रमा निश्चित है। अनुमान है कि सिमरिया अर्धकुंभ में लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए आएंगे।
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