बाजार में पाई गई रवीश कुमार की किताब 'बोलना ही है' की पायरेटेड कॉपियां - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2023

बाजार में पाई गई रवीश कुमार की किताब 'बोलना ही है' की पायरेटेड कॉपियां

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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर. राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित लेखक-पत्रकार रवीश कुमार की बहुचर्चित किताब 'बोलना ही है' की पायरेटेड (अनधिकृत) कॉपियों की बिक्री का मामला हाल ही में सामने आया है। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए राजकमल प्रकाशन ने आवश्यक कार्यवाही शुरू कर दी है। राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने शुक्रवार को कहा, "पायरेसी प्रकाशन जगत के लिए एक बड़ी चुनौती है। पायरेसी से न केवल हमारी साहित्यिक धरोहर को नुकसान होता है, बल्कि रचनाकार और प्रकाशक को भी नुकसान उठाना पड़ता है। हम इसकी कड़ी निन्दा करते हैं। 'बोलना ही है' किताब रवीश कुमार की अद्वितीय रचना है। यह किताब प्रकाशित होते ही बेस्टसेलर बन गई थी और पाठकों के बीच अब भी इसकी बहुत मांग है। साढ़े तीन साल में इसके सात संस्करण आ चुके हैं, जिनमें करीब 30,000 प्रतियों की बिक्री हुई है।" उन्होंने कहा, "हम अपने लेखकों की बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अपने पाठकों और शुभचिंतकों से अनुरोध करते हैं कि वे अनधिकृत प्रतियों की खरीददारी से बचें, क्योंकि ऐसा करना न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि यह हमारे साहित्यिक समाज के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है। हम पुस्तक विक्रेताओं से भी अनुरोध करते हैं कि वे पायरेटेड कॉपियों की बिक्री और वितरण न करें। अमेजन पर पायरेटेड कॉपियों की बिक्री करने वाले विक्रेताओं को हमने प्रतिबंधित करा दिया है। इस तरह के मामले में पहले भी बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' (Tomb Of Sand), अरुंधति राय की किताब 'मामूली चीजों का देवता' (The God Of Small Things), विश्व प्रसिद्ध उपन्यास ‘सोफी का संसार’ (Sophie’s World) और हमारी कुछ क्लासिक कृतियों की भी पायरेटेड कॉपियां छापेमारी में पकड़े जाने पर कड़ी कार्यवाही की गई थी। अपनी किताबों की पायरेसी रोकने के लिए हम कानूनी सहायता से सख्त कदम उठा रहे हैं।"


किताब के बारे में : रवीश कुमार की किताब 'बोलना ही है' इस बात की पड़ताल करती है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस-किस रूप में बाधित हुई है। यह किताब हमें बताती है कि देश में परस्पर संवाद और सार्थक बहस की गुंजाइश कैसे कम हुई है और नफ़रत और असहिष्णुता को कैसे बढ़ावा मिला है। इन स्थितियों से उबरने की राह खोजती यह किताब वर्तमान समय का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है। यह किताब अंग्रेज़ी, मराठी और कन्नड़ भाषा में भी लोकप्रिय है।

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