- ईपीएस के तहत छह करोड़ से अधिक अंशधारक और 75 लाख पेंशनभोगी लाभार्थी आते हैं
- उच्चतम न्यायालय के द्वारा 4 अक्टूबर, 2016 और 4 नवंबर, 2022 के फैसलों के अनुरूप वास्तविक वेतन पर पेंशन भुगतान करने की मांग
राष्ट्रीय संघर्ष समिति (एनएसी) के संयोजक अशोक राउत ने बयान में कहा, ‘‘हमारी मांगें लंबे समय से लंबित है. हम अपनी मांगों के समर्थन में देश और प्रदेश में आंदोलन करते रहे हैं.मगर सरकार नहीं मान रही है.जिसके कारण प्रत्येक दिन 200 की संख्या में बुर्जुग मर रहे हैं. उन्होंने विरोध-प्रदर्शन का ब्योरा देते हुए कहा, राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (सीपीफसी) कार्यालय के सामने भूख हड़ताल की गयी. बारी-बारी से यह भूख हड़ताल सात अगस्त तक चली.मांगे पूरी नहीं होने पर उसके बाद आमरण अनशन किया गया. साथ ही आठ अगस्त से देशभर के लाखों पेंशनभोगी (ईपीएस 95 के अंतर्गत आने वाले) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन/रास्ता रोको अभियान चलाया. एनएसी के तहत आंदोलन कर रहे पेंशनभोगी ईपीएफओ की कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95) के तहत न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर 7,500 रुपये मासिक करने के साथ महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे हैं. साथ ही ईपीएस-95 पेंशन भोगियों को उच्च पेंशन का विकल्प देने, सभी ईपीएस-95 पेंशनभोगियों और उनके जीवनसाथी को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने समेत अन्य मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार अन्य पेंशन योजनाएं सुचारू रूप से चला रही है लेकिन ईपीएस-95 पेंशन भोगियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.’’ उल्लेखनीय है कि ईपीएस- 95 के तहत आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य निधि में जाता है. वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत हिस्से में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है.इसके अलावा पेंशन कोष में सरकार 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है. अभी इस योजना के दायरे में आने वाले कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये मासिक मिलती है. राउत का दावा है, ‘‘ 30 - 30 साल काम करने और ईपीएस आधारित पेंशन मद में निरंतर योगदान करने के बाद भी कर्मचारियों को मासिक पेंशन के रूप में अधिकतम 2,500 रुपये ही मिल रहे हैं. इससे कर्मचारियों और उनके परिजनों का गुजर - बसर करना कठिन है. ’’
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