विपक्ष ने न्यूजक्लिक पोर्टल के पत्रकारों पर छापेमारी की आलोचना की - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 3 अक्टूबर 2023

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विपक्ष ने न्यूजक्लिक पोर्टल के पत्रकारों पर छापेमारी की आलोचना की

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नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर, समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ से जुड़े पत्रकारों पर छापेमारी को लेकर विपक्षी दलों ने मंगलवार को केंद्र सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि ये कार्रवाई केवल सत्ता के सामने सच बोलने वालों के खिलाफ की जाती है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि छापेमारी बिहार में जातिवार सर्वेक्षण के ‘विस्फोटक’ निष्कर्षों और देशभर में जातिगत जनगणना कराने की बढ़ती मांग से ‘ध्यान भटकाने की ताजा कोशिश’ है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की कार्रवाई केवल उन लोगों के खिलाफ है जो सत्ता के सामने सच बोलते हैं। विपक्षी गठबंधन ने यह भी कहा कि नफरत और विभाजनकारी सोच को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। हालांकि, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि देश में जांच एजेंसियां स्वतंत्र हैं और वे कानून के अनुसार काम करती हैं। उन्होंने भुवनेश्वर में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, ‘‘यदि किसी ने कुछ गलत किया है, तो जांच एजेंसी इस संबंध में काम करती हैं... यह कहीं नहीं लिखा कि यदि आपने अवैध तरीके से धन कमाया है या कुछ आपत्तिजनक किया है, तो जांच एजेंसी इसकी जांच नहीं कर सकतीं।’’ दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने चीन के समर्थन में प्रचार करने के लिए धन प्राप्त करने के आरोपों के बाद आतंकवाद निरोधक कानून ‘यूएपीए’ के तहत दर्ज एक मामले में समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ और उससे जुड़े पत्रकारों से संबंधित 30 स्थानों की तलाशी ली। उर्मिलेश और अभिसार शर्मा समेत कुछ पत्रकारों को पूछताछ के लिए लोधी रोड स्थित स्पेशल सेल के कार्यालय ले जाया गया। सूत्रों ने कहा कि उनके सामने 25 सवालों की एक सूची रखी गई थी। ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) ने एक बयान में कहा कि सरकार ने सांठगांठ वाले पूंजीपतियों का मीडिया संस्थानों पर नियंत्रण कराके अपने पक्षपातपूर्ण और वैचारिक हितों के लिए मीडिया को मुखपत्र बनाने की भी कोशिश की है। विपक्षी गठबंधन ने एक बयान में कहा, ‘‘सरकार और उसकी विचारधारा से जुड़े संगठनों, दोनों ने सत्ता के सामने सच बोलने वाले पत्रकारों के खिलाफ प्रतिशोध का सहारा लिया है। इसके अलावा, भाजपा सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 जैसी प्रतिगामी नीतियों को भी आगे बढ़ाया है जो मीडिया को निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने से रोकती हैं।’’ बयान में कहा गया, ‘‘ऐसा करके, भाजपा न केवल भारत के लोगों से अपने पापों को छिपा रही है, बल्कि वह परिपक्व लोकतंत्र के रूप में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा से भी समझौता कर रही है।’’ बयान के अनुसार, ‘‘भाजपा सरकार की जबरन कार्रवाई केवल उन मीडिया संस्थानों और पत्रकारों के खिलाफ होती है जो सत्ता के सामने सच बोलते हैं। विडंबना यह है कि जब देश में नफरत और विभाजन को भड़काने वाले पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात आती है तो भाजपा सरकार पंगु हो जाती है।’’ विपक्षी गठबंधन ने कहा कि सरकार को यह बात शोभा देती है कि वह देश और जनता से जुड़े वास्तविक मुद्दों पर ध्यान दे तथा अपनी नाकामियों से ध्यान हटाने के वास्ते मीडिया पर हमले करना बंद करे। विपक्षी दलों ने दावा किया कि भाजपा सरकार ने पिछले नौ साल में बीबीसी, न्यूजलांड्री, दैनिक भास्कर, भारत समाचार, कश्मीर वाला, द वायर आदि के बाद हाल में न्यूजक्लिक के पत्रकारों को दबाने के लिए जांच एजेंसियों को लगाया और जानबूझकर मीडिया का दमन किया। ‘इंडिया’ के अनेक घटक दलों ने भी छापेमारी पर अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि ‘‘न्यूजक्लिक’ के पत्रकारों से जुड़े परिसरों पर सुबह-सुबह की गई छापेमारी ‘बिहार में जातिवार जनगणना के विस्फोटक निष्कर्षों और देशभर में जातिगत जनगणना की बढ़ती मांग से ध्यान भटकाने की ताजा कोशिश के रूप में सामने आई है।’’ खेड़ा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘जब उसे (सरकार को) पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्नों का सामना करना पड़ता है, तो वह अपने सुपरिचित पाठ्यक्रम में मौजूद एकमात्र जवाबी कदम का सहारा लेता है-ध्यान भटकाना।’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पोर्टल के खिलाफ कार्रवाई पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘लोकतंत्र की जननी’ की कार्रवाई नहीं, बल्कि ‘असुरक्षित और निरंकुश शासन’ की कार्रवाई है। उन्होंने 'एक्स' पर कहा, ‘‘इतनी मजबूत और निरंकुश सरकार को एक समाचार वेबसाइट से खतरा क्यों महसूस होता है? और वह भी उस वेबसाइट से, जिसके पाठक बहुत अधिक नहीं हैं? उन चीजों के प्रति असहिष्णुता नहीं दिखाई जानी चाहिए, जिनका भारत प्रतिनिधित्व करता है।’’ थरूर ने कहा, ‘‘सरकार ने आज अपना और हमारे लोकतंत्र का अपमान किया है।’’ आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह पत्रकारों से ‘‘डरी हुई’’ है। आप की मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अपने ही पत्रकारों को गिरफ्तार करके चीन से लड़ने का दिखावा कर रही है, क्योंकि उसमें सीधे तौर पर चीन से टक्कर लेने की हिम्मत नहीं है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, ''छापे हारती हुई भाजपा की निशानी हैं। ये कोई नयी बात नहीं है। ईमानदार खबरनवीसों पर भाजपाई हुक्मरानों ने हमेशा डाले हैं छापे, लेकिन सरकारी प्रचार-प्रसार के नाम पर कितने करोड़ रुपए हर महीने ‘मित्र चैनलों’ को दिये जा रहे हैं, ये भी तो कोई छापे।'' मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने छापेमारी की आलोचना करते हुए इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर ‘हमला’ करार दिया। बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली ने कहा कि दुनिया ‘लोकतंत्र की जननी’ की ऐसी ‘दुर्दशा’ देखकर अचरज में है जहां ‘गोदी मीडिया’ का हिस्सा बनने से इनकार करने वाले पत्रकारों पर छापे मारे जा रहे हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। अली ने कहा, ‘‘ ‘सबसे शक्तिशाली’ सरकार कुछ ईमानदार पत्रकारों को सहन नहीं कर पा रही।’’ कई पत्रकार संगठनों ने भी छापों की निंदा की है।

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