- धर्मांतरण विरोधी कानून का उल्लंघन करने का आरोप
क्या है मामला
इलाहाबाद धर्मप्रांत के जाने-माने-पहचाने वाले हस्ति है जमानत नहीं पिता अभी भी नैनी जेल में हैं फादर सेबेस्टियन फ्रांसिस बाबू.वे 1997-1999 कैनन लॉ , सेंट पीटर्स सेमिनरी, बैंगलोर और 1998-2001 एलएलबी , बैंगलोर विश्वविद्यालय से किया. है.वर्ष 2010-2014 तक 'साक्षी' नामक डायोसेसन पत्रिका के मुख्य संपादक थे.प्रजातंत्र के चार स्तंभ कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और पत्रकारिता के अंग है.जिसमें न्यायपालिका और पत्रकारिता से संबंध फादर सेबेस्टियन फ्रांसिस बाबू रखते हैं.उनका अपराध सिर्फ यह है कि फादर ने अवैध ढंग से हिरासत में रखने वाले पौल के बारे में पूछताछ करने के लिए नैनी पुलिस स्टेशन जा पहुंचे.पुलिस ने पादरी के भाई पौल को हिरासत में ले लिया, जो कैथोलिक है और डायोसेसन सामाजिक कार्य विभाग में कार्यरत है.नैनी पुलिस ने फादर को भी हिरासत में लिया.इलाहाबाद धर्मप्रांत के सामाजिक कार्य के निदेशक फादर सेबेस्टियन फ्रांसिस बाबू है.
जो नैनी पुलिस स्टेशन पहुंचे तो वापस नहीं लौटे
एक प्रोटेस्टेंट पादरी के द्वारा घर में प्रार्थना करवाते थे.उन पर धार्मिक परिवर्तन का आरोप लगाया गया.भाजपा नेता और उनके समर्थकों ने हंगामा किया और पुलिस से मदद मांगी. शिकायत करने के बाद पुलिस प्रार्थना स्थल पर आयी.तब तक पादरी नौ दो ग्यारह हो गया था.पुलिस ने छानबीन के दरम्यान पादरी के भाई को पकड़कर पुलिस स्टेशन लायी.पौल डायोसेसन सामाजिक कार्य विभाग में कार्यरत था.फादर सेबेस्टियन फ्रांसिस बाबू ने पौल को अवैध ढंग से हिरासत में रखने के बारे में पूछताछ करने गए तो उनको पुलिस ने हिरासत में ले लिया.और दो जन पौल और फादर के बारे में पूछताछ करने गए तो उनको भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया.धर्मांतरण विरोधी कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाकर पुलिस ने कुछ महिलाओं समेत नौ लोगों को आरोपी बनाया है.
'नो बेल फादर सेबेस्टियन फ्रांसिस बाबू समेत चार लोग इज इन द नैनी जेल'
एक अक्टूबर को चार लोगों को गिरफ्तार कर नैनी जेल भेज दी.उत्तरी उत्तर प्रदेश के विषम जिलों की अदालत ने 2 अक्टूबर को इलाहाबाद धर्मप्रांत के सामाजिक कार्य के निदेशक फादर सेबेस्टियन फ्रांसिस बाबू और तीन अन्य कैथोलिकों को उनके अपराधियों के एक दिन बाद जेल भेज दिया.लोअर कोर्ट से 06 अक्टूबर को जमानत खारिज हुई. 09 अक्टूबर को सेशन कोर्ट ने 17 अक्टूबर सुनवाई के डेट दिया.आज बेल देने पर फैसला था.जिसे बढ़ाकर 25 अक्टूबर कर दी गयी है.इस तरह तारीख पर तारीख देने का सिलसिला जारी है.
उत्तर प्रदेश में ईसाइयों को अपने धर्म का पालन करने में बाधा
देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में ईसाइयों को अपने धर्म का पालन करने में गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि दक्षिणपंथी हिंदू कार्यकर्ता प्रार्थना सभाओं को बाधित करते हैं.ईसाई नेताओं ने कहा कि ईसाइयों पर अक्सर उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध कानून के तहत झूठे धर्मांतरण के मामले दर्ज किए जाते हैं.उन्होंने कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून के घोर दुरुपयोग ने राज्य में ईसाइयों के जीवन को दयनीय बना दिया है.उत्तर प्रदेश की 200 मिलियन से अधिक आबादी में ईसाइयों की संख्या मात्र 0.18 प्रतिशत है, जिनमें अधिकतर हिंदू हैं.
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