मधुबनी : लदनियां में दुर्गा पूजा की तैयारी अंतिम चरण में, नेपाल से भी आते हैं भक्त - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 15 अक्टूबर 2023

मधुबनी : लदनियां में दुर्गा पूजा की तैयारी अंतिम चरण में, नेपाल से भी आते हैं भक्त

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लदनियां/मधुबनी जिले के लदनियां प्रखंड क्षेत्र कुमरखत पूर्वी पंचायत एवं प्रखंड मुख्यालय के मुख्य बाजार सहित बीस स्थानों पर शारदीय नवरात्रा दुर्गा पूजा को लेकर तैयारियां जोरों पर है। जगह-जगह पूजा समिति का गठन कर लिया गया है, जिसके द्वारा थाने में लाइसेंस के लिए आवेदन देने की सिलसिला जारी है। इस सभी जगहों पर मूर्ति कारीगर मां दुर्गा प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लग गए हैं। पंडाल निर्माण कार्य भी अंतिम रूप में है। इन जगहों पर पूजा समिति के द्वारा भव्य कलश शोभायात्रा निकालने की तैयारी एवं दिनांक 15 अक्टूबर को कलश स्थापना हेतु समिति सदस्य एवं मंदिर के पूजारी व्यस्त हैं। प्रखंड क्षेत्र में 21 जगहों पर मूर्ति निर्माण एवं भव्य पंडाल निर्माण किया जा रहा है, जिस में शामिल दोनवारी,प्रखंड मुख्यालय स्थित लदनियां मुख्य बाजार,खाजेडिह चौक स्थित वैष्णवी दुर्गा मंदिर, पदमा गांव में चार जगह,योगिया चौक, सिधपकला चौक,सिधपा गांव, गजहारा में दो जगह, गाढ़ा, विषहरीया,बरहा,पिपराही पंचायत के पिपराही चौक पर चन्द्रयान-3 का रुप देकर पंडाल का निर्माण किया जा रहा है। इन सभी मंदिरों पर कलश शोभायात्रा एवं कलश स्थापना के साथ ही पूजा अर्चना आरंभ हो जायगा। इसके श्रद्धालु अपने अपने घरों में भी पूजा की तैयारी शुरू कर दिया है। शक्ति के देवी मां दुर्गा का हिन्दू धर्म में विशिष्ट महत्व है, जिसमें मां दुर्गा के नै रुपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि दूर्गा पूजा अर्चना से घर में सुख,समृद्धि, शांति प्राप्त होता है। जानकारों के अनुसार प्रखंड क्षेत्र के दोनवारी गांव में लगभग दो सौ साल पुरानी मंदिर में पहले दरभंगा महाराज एवं ग्रामीण के सहयोग से पूजा अर्चना कार्य पूर्ण किया जाता है। दरभंगा महाराज के द्वारा चांदी से निर्मित मुकुट भी चढ़ाया गया था। मां दुर्गा प्रतिमा निर्माण एवं पूजा हर साल मन्नत पूरी होने वाली श्रद्धालु के द्वारा कराया जाता है। गांव के बुजुर्गों के अनुसार यहां बली प्रदान वर्षों से नहीं होता है, बदले में एक ओर जहां ग्रामीण चंदा से लडू चढ़ाया जाता है। वहीं दूसरी ओर प्रत्येक घर से सामर्थ्य के अनुसार लडू एवं झाप चढ़ाया जाता है। ग्रामीण चंदा से ही नाच गान का व्यवस्था किया जाता है। मां दुर्गा मंदिर परिसर में ही विषहारा एवं शंकर भगवान का भव्य मंदिर है। लोगों के अनुसार सर्प दंश के शिकार लोगों को तंत्र मंत्र के सहारे बचाव किया जाता और इसी लिए विजयदशमी के दिन यहां विषहारा पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है।

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