जी हां, एक बोरी खाद की जगह सिर्फ आधे लीटर लिक्विड से काम चल जाएगा। इस खाद का नाम नैनो यूरिया, नैनो डीएपर है। इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड ने दुनिया में पहली बार नैनो यूरिया तरल तैयार किया है. दावा है कि इससे फसलों की पैदावार बढ़ेगी और किसानों की आमदनी बढ़ सकेगी. अब एक बोरी यूरिया खाद की जगह आधे लीटर की नैनो यूरिया की बोतल किसानों के लिए काफी होगी. नैनो यूरिया या अन्य लिक्विड उर्वरक बहुत छोटे आकार में ज्यादा क्षमता के साथ तैयार किया गया है. इफको नैनो यूरिया तरल की 500 मिली की एक बोतल सामान्य यूरिय के कम से कम एक बैग यानी बोरी के बराबर होगी. इसके प्रयोग से किसानों की लागत कम होगी. नैनो यूरिया तरल का आकार छोटा होने के कारण इसे पॉकेट में भी रखा जा.सकता है जिससे परिवहन और भंडारण लागत में भी काफी कमी आएगी. इफको के वाराणसी के फील्ड ऑफिसर डा. विवेक दीक्षित का दावा है कि नैनो यूरिया तरल को पौधों के पोषण के लिए प्रभावी व असरदार पाया गया है. इसके प्रयोग से फत्ता में सुधार होता है. नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने तथा जलवायु परिवर्तन व टिकाऊ उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा.किसानों द्वारा नैनो यूरिया तरल के प्रयोग से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होंगे औरमिट्टी में यूरिया के अधिक प्रयोग में कमी आएगी. गौरतलब है कि यूरिया के अधिक प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित होता है, मृदा स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है, पौधों में बीमारी और कीट का खतरा अधिक बढ़ जाता है, फसल देर से पकती है और उत्पादन कम होता है. साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी कमी आती है. नैनो यूरिया तरल फसलों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है तथा फसलों को गिरने से बचाता है.
कैसे बढ़ेगी किसानों की आय
इफको का दावा है कि नैनो यूरिया किसानों के लिए सस्ता है और इससे पैदावार भी बढ़ेगी. इस तरह जहां किसानों की लागत कम होगी, वहीं पैदावार ज्यादा होने से उनकी कमाई ज्यादा होगी. इफको केअनुसार इसके पूरे देश के 94 से अधिक फसलों पर लगभग 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) किये गये थे और फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है। इफको के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने अनुसंधान के बाद नैनो यूरिया तरल को स्वदेशी और प्रोपाइटरी तकनीक के माध्यम से कलोल स्थित नैनो जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र में तैयार किया है. ’यह नवीन उत्पाद आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में एक सार्थक कदम है.’ इफको नैनो यूरिया तरल को सामान्य यूरिया के प्रयोग में कम से कम 50 फीसदी की कमी लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है. इसके 500 मि.ली. की एक बोतल में 40.40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बोरी के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा.बोरी वाले यूरिया से कम होगी कीमत
इफको ने किसानों के लिए 500 मिली. नैनो यूरिया की एक बोतल की कीमत 240रुपये निर्धारित की है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के मूल्य से 10 फीसदी कम है. गौरतलब है कि भारत में हर साल करीब 350 लाख टन यूरिया का इस्तेमाल होता है. नैनो यूरिया के इस्तेमाल से इसकी खपत आधा ही रह जाएगी और सरकार को सब्सिडी पर सालाना 600 करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है. इससे भारत को यूरिया आयात करने की जरूरत भी कम हो जाएगी.
एक बैग यूरिया के समकक्ष 500 एमएल तरल यूरिया
दानेदार यूरिया से पौधे को महज 35 प्रतिशत पोषक तत्व प्राप्त होते हैं, जबकि नैनो तरल यूरिया से पौधे को 85 फीसदी पोषक तत्व मिलेंगे. यूरिया के एक बैग में 45 किग्रा वजन होता है, वहीं नैनो तरल यूरिया की 500 एमएल की बोतल की क्षमता एक बैग के बराबर होती है. सब्जी उत्पादक और बागवानी से जुड़े किसान नैनो तरल यूरिया और सागरिका का इस्तेमाल कर अपने उत्पाद की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी कर सकते हैं.
कम होगी रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता
इफ्को के जैव उर्वरक सागरिका और नैनो तरल यूरिया कृषि क्षेत्र के लिए एक वरदान है. नैनो तरल यूरिया और सागरिका की चार-चार एमएल बूंद प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिडकाव करना चाहिए. रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से उत्पाद की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है, जिसका स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है. जबकि नैनो तरल यूरिया और सागरिका के इस्तेमाल से उत्पाद की गुणवत्ता में भी सुधार होता है. यह मिट्टी और इंसान के स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है.
सजगता
पर्यावरण और गुणवत्ता के लिहाज से यह अच्छी है. यूरिया का अधिक प्रयोग करने से फसल की गुणवत्ता में कमी आती है. यह मृदा स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचता है. जबकि नैनो यूरिया तरल फसलों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है. जैव उर्वरक सागरिका और नैनो यूरिया का प्रयोग करते हुए रासायनिक खादों की 50 प्रतिशत मात्रा कम की जा सकती है.
कृषि क्षेत्र में बड़ी क्रांति
नैनो यूरिया डीएपी और सागरिका खाद का उपयोग कर किसान-बागवान कम खर्च में उच्च गुणवत्ता पूर्ण फसलों की पैदावार कर सकते हैं। मतलब साफ है नैनो यूरयि और डीएपी कृषि क्षेत्र में किसी बड़ी क्रांति से कम नहीं हैं. इसके प्रयोग से लाखों किसानों की खेती की लागत तो कम होगी ही, इसका भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन काफी आसान हो जाएगा. कोई भी किसान क्यों उठाएगा 50 किलो का बैग. वो तो अब नैनो यूरिया और डीएपी को अपने कुर्ते की पॉकेट में रखकर बाजार से घर और घर से खेत में जाएगा. खास यह है कि जिसका सामान्य यूरिया या डीएपी बच जाता था उसे हवा से बहुत बचाव करके रखना होता था. जबकि बोतल बंद नैनों यूरिया आदि ढक्कन बंद है तो खाद सुरक्षति है.
सभी कृषि में इस्तेमाल होने वाले है ये उर्वरक
यह फसलों को ज़रूरी नाइट्रोजन प्रदान करता है. यह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है और हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार करता है. सागरिका एक तरल समुद्री शैवाल अर्क है. यह फसल की वृद्धि और विकास को उत्तेजित करता है. यह फसल की पैदावार बढ़ाता है, पौधों की बेहतर शक्ति, जड़ और अंकुर की वृद्धि, अधिक फूल और फल लगने आदि में व्यक्त फसलों को संपूर्ण पोषण लाभ देती है. उन्होंने कहा कि इस केंद्र के माध्यम से इफ्को बड़ी मात्रा में उर्वरक, नैनो यूरिया, विशेष पोषक उर्वरकों का उपयोग और पोषक तत्व आधारित शुद्ध जैविक उर्वरकों का उपयोग करके मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करके किसानों को हर तरह से सेवा करने के लिए लगातार काम कर रहा है। भारत सरकार की प्रधानमंत्री किसान समृद्धि योजना किसानों की आय बढ़ाने में बहुत सहायक है। नैनो यूरिया कम लागत में अधिक उत्पादन करने का माध्यम है।
प्रशांत कक्कड़ की किसानों से अपील
पत्र सूचना कार्यालय, वाराणसी के मीडिया एवं संचार अधिकारी प्रशांत कक्कड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा कृषि क्षेत्र के लिए ’समग्र दृष्टिकोण’ के साथ काम किया है। सरकार द्वारा किसानों को मजबूत बनाने के लिए कई पहल की गई हैं। प्रधानमंत्री ने जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान का नारा दिया है जिसका जीवंत रूप पीएमकेएसके के माध्यम से देखने को मिल रहा है। यह केंद्र किसानों को उर्वरक तो उपलब्ध करा ही रहा है, साथ ही देश के किसानों के साथ एक गहरा संबंध स्थापित करने के लिए एक तंत्र भी विकसित कर रहा है। उन्होंने पीएमकेएसके के सहारे किसानों से गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों के उपयोग के साथ-साथ मिट्टी परीक्षण और कृषि विस्तार जैसी सेवाओं का लाभ उठाने की अपील की। बता दें, प्रधानमंत्री ने अक्टूबर 2022 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत 600 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएमकेएसके) का उद्घाटन किया था। इस योजना के तहत देश में खुदरा खाद की दुकानों को चरणबद्ध तरीके से पीएमकेएसके में बदला जाएगा। पीएमकेएसके किसानों की विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करेंगे और कृषि सामग्री (उर्वरक, बीज, उपकरण), मिट्टी, बीज और उर्वरकों के लिए परीक्षण सुविधाएं प्रदान करेंगे; किसानों के बीच जागरूकता पैदा करेंगे; विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे और ब्लॉक/जिला स्तर के आउटलेट पर खुदरा विक्रेताओं का नियमित क्षमता निर्माण सुनिश्चित करेंगे। 3.3 लाख से ज्यादा खुदरा उर्वरक दुकानों को पीएमकेएसके में बदलने की योजना है।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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