बेटी होती घर की लक्ष्मी,
बेटी है प्रकृति का उपहार,
बेटी का करो सम्मान,
आगे बढ़ कर बनेगी महान,
बेटी को जब पढ़ाओगे,
समाज में इज़्ज़त पाओगे,
बेटी हर घर की हरियाली,
याद करेगी सबको प्यारी,
बेटी है ईश्वर का वरदान,
उसके बिना जग वीरान,
बेटी घर को है संभालती,
स्वर्ग से सुंदर उसको बनाती,
बेटी है तो घर उजाला है,
बेटी से ही जग सारा है,
वही तो अभिमान की धारा है,
बिन बेटी सब अंधियारा है,
बेटी का जब करोगे मान,
तुम्हारा भी होगा सम्मान।।
वर्षा आर्या
उम्र - 13 वर्ष
कपकोट, उत्तराखंड
(चरखा फीचर)
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