मधुबनी : नीतीश की दूरदर्शिता, UP-MP के बच्चे बिहार आकर बनेंगे शिक्षक - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

मधुबनी : नीतीश की दूरदर्शिता, UP-MP के बच्चे बिहार आकर बनेंगे शिक्षक

  • BPSC शिक्षक नियुक्ति मामला: प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर कसा तंज, कहा- नीतीश कुमार की दूरदर्शिता का आलम देखिए कि बिहार के करोड़ो बच्चे बाहर जाकर कंधों पर बोरा ढोएंगे और UP-MP के बच्चे बिहार आकर बनेंगे शिक्षक

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मधुबनी, जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार में शिक्षक नियुक्ति पर सवाल खड़े किए हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के बच्चे दूसरे राज्यों में जाकर कंधों पर बोरा ढोएंगे और गुजरात-यूपी के बच्चे यहां आकर हम लोगों को पढ़ाएंगे। हजारों की संख्या में UP के और दूसरे राज्यों के बच्चे यहां शिक्षक बनकर पढ़ाएंगे तो हम लोग क्या करेंगे। बिहार वो राज्य है जहां पूरी दुनिया के लोग पढ़ने के लिए आते थे और आज देखिए नीतीश कुमार के राज में पूरे बिहार को अनपढ़ बना दिया गया। ये नीतीश कुमार की दूरदर्शिता का आलम है कि हमारे बच्चे दूसरे राज्य में ठेला लगाएंगे और वहां के बच्चे यहां आकर नौकरी करेंगे। मधुबनी जिले के बासोपट्टी में पत्रकार वार्ता के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के करोड़ों बच्चे बाहर जाकर मजदूरी कर रहे हैं और यूपी और मध्य प्रदेश के बच्चे यहां आकर शिक्षक बनेंगे। ये नीतीश कुमार की सोच है और उनकी नीतियों का परिणाम है। जिन शिक्षकों ने परीक्षा पास की उनको राज्यकर्मी का दर्जा दिया जा रहा है। नियोजित शिक्षकों के सर्विस कंडीशन को बदला जा रहा है, और नई नियुक्तियां हुई ही नहीं हैं।


1 लाख 25 हजार में एक बड़ी संख्या उन शिक्षकों की है जो पहले से नौकरी में थे, कितने नए लोगों को नौकरी मिली, उसमें कितने बच्चें बिहार के हैं इसका आकड़ा सरकार जारी करे

प्रशांत किशोर ने कहा कि कुछ लोग जो सीधे परीक्षा पास करके आए हैं उसमें एक बड़ी संख्या में वो बच्चे हैं जो बिहार के बाहर के हैं। मेरा ये कहना है कि 1 लाख 25 हजार नियुक्ति पत्र देने का बिहार सरकार जो दावा कर रही है ये तो ऐसे हो गया कि पहले से सरकार में जो नौकरी कर रहे हैं उनको गांधी मैदान में बुलाकर नया नियुक्ति पत्र दे दीजिए और कहें कि सब लोगों को नौकरी दे दी। 1 लाख 25 हजार में एक बड़ी संख्या उन बच्चों, शिक्षकों की है जो पहले नौकरी में थे। दूसरा एक बड़ी संख्या उन बच्चों की है जो दूसरे राज्यों से आए हैं, वे बिहार के बच्चे नहीं हैं। कुछ हजार बच्चों को जरूर नौकरी मिली है। सरकार को ये स्पष्ट करना चाहिए कि 1 लाख 25 हजार में कितने नए लोगों को नौकरी मिली है, कितने बिहार के बच्चों को नौकरी मिली और कितने बाहर के बच्चों को नौकरी मिली है?

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