पंच-पर्व दीपावली का पहला पर्व धनतेरस इस बार पराक्रम योग के साथ शुक्रवार, 10 नवम्बर को मनाया जाएगा. इस दिन शुक्र प्रदोष भी रहेगा. जिस कारण से शुक्र प्रदोष और धन त्रयोदशी का महासंयोग बन रहा है. साथ ही विष कुंभ योग भी है. त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 11 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 58 तक रहेगी. यदि प्रदोष काल, स्थिर लग्न यानि वृषभ लग्न के दौरान धनतेरस पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है. इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था. इस दिन घर में कुछ खास चीजें लाना बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन प्रदोष काल- शाम 5 बजकर 46 मिनट से रात 8 बजकर 25 मिनट तक है. वहीं वृषभ लग्न का मुहूर्त- शाम 6 बजकर 8 मिनट से रात्रि 8 बजकर 5 मिनट तक है. दीपदान के लिए मुहूर्त सांय 5 बजकर 46 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 26 मिनट तक का समय शुभ है. इस बार खरीददारी के लिए धनतेरस पर दोपहर से शाम तक शुभ समय रहेगा. विशेषकर दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से 2 बजकर 6 मिनट तक और फिर शाम 4 बजकर 16 मिनट से 5 बजकर 26 मिनट तक श्रेष्ठ समय रहेगा.धनतेरस के ही दिन भगवान विष्णु के अंशावतार और देवताओं के वैद्य माने जाने वाले भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस से दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है। दिवाली पर पांच दिनों तक चलने वाले पर्व में सबसे पहले धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन दिवाली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है। धनतेरस को साल भर में पड़ने वाले सभी श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। धनतेरस पर शुभ कार्य करने और शुभ खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। धनतेरस पर सोने -चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदने की परंपरा होती है। इसके अलावा धनतेरस पर कार, बाइक, जमीन-जायदाद और कपड़े की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। धनतेरस पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा करने का विधान है। धनतेरस पर यम देवता की पूजा और घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाया जाता है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 05 बजकर 47 मिनट प्रारंभ हो जाएगा जो शाम 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। धनतेरस पर प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग की गणना के मुताबिक 10 नवंबर को शाम 05 बजकर 30 मिनट से प्रदोष काल आरंभ हो जाता है। सूर्यास्त होने के बाद समय प्रदोष काल कहलाया जाता है। 10 नवंबर को प्रदोष काल रात 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। वहीं वृषभ काल की बात करें तो शाम 05 बजकर 47 मिनट से शाम 07 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। खास यह है कि इस बार धनतेरस पर बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है जिस कारण से धनतेरस का त्योहार काफी खास हो जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक धनतेरस पर चंद्रमा कन्या राशि में होंगे जहां पर पहले से सुख, समृद्धि और भौतिक सुख प्रदान करने वाले ग्रह शुक्र देव विराजमान है। इस तरह से धनतेरस पर कलात्मक नाम का योग बन रहा है। इसके अलावा 10 नवंबर को धनतेरस पर शुभकर्तरी, वरिष्ठ, सरल, सुमुख और अमृत योग बन रहा है। ऐसे में धनतेरस पर खरीदारी करना बहुत ही शुभ रहेगा। इस दिन कुबेर देव, मां लक्ष्मी, आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंतरि की पूजा कर धन-समृद्धि की कामना की जाती है.
जरूर करें ये काम
मान्यता है कि आज के दिन समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए आज के दिन बर्तन खरीदने के परम्परा है. खरीदारी के बाद यदि दुकानदार आपके खरीदे हुए बर्तनों में 1, 2 या 5 का सिक्का अपनी ओर से भेंट स्वरूप डाले दें तो उसका चमत्कारिक असर होता है. जब आप धनतेरस के दिन बर्तन खरीद लें और उस बर्तन का पैसा चुकाने के बाद दुकानदार को कहें कि अपनी ओर से जितनी उसकी इच्छा हो एक सिक्का उस बर्तन में भेंट स्वरूप रख दे. यह सिक्का दुकानदार से आप हाथ में नहीं लें, बल्कि स्वयं दुकानदार ही आपके खरीदे गए बर्तन में डाले. फिर इस बर्तन को घर ले आएं और घर लाकर इस बर्तन में खीर अथवा मिठाई रखकर सबसे पहले भगवान कुबेर को अर्पित कर दीजिए. यह उपाय किस्मत बदलने और सभी दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का काम करता है.यमराज के लिए करें दीपदान
निमित दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती. इसके लिए संध्याकाल के समय आप आटे का चौमुखी तेल का दीपक बनाकर उसे अपने घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की तरफ लगाये, साथ ही उसमें थोड़ी सरसों, कालीमिर्च और लौंग डाल दें. इसी के साथ ही आप दीपदान अवष्य करें. इसके लिए आप 13 ही दीपक घर के अंदर प्रज्जवलित कर सजाएं. इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दीपक, रूई, तेल, माचिस दान देते हैं तो यम देवता प्रसन्न होंगे और आपके जीवन से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाएगा और मां लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी.झाडू जरुर खरीदें
लक्ष्मी प्राप्ति कल्पों में से एक बहुत ही जरूरी सामग्री है झाड़ू. धनतेरस तथा दीपावली के दिन झाडू खरीदने की परंपरा सदियों पुरानी है. इस दिन नई झाड़ू को खरीदकर उसका पूजन करें और इसे खरीदते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यह विषम संख्या में खरीदा जाएं यानि 1, 3, 5 और 7 इस तरीके से झाड़ू खरीदना सौभाग्यदायक माना जाता है. दीपावली की रात्रि में लक्ष्मी पूजन के बाद कुमकुमम तथा चावल से इस झाड़ू का भी पूजन करें और उस पर पांच बार मोली लपेट दें और किसी स्वच्छ स्थान पर रख दें. फिर अगले दिन से उसे उपयोग में लें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा के साथ-साथ घर की सारी नेगेटिव एनर्जी भी दूर हो जाएगी.सोना-चांदी खरीदने का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर बर्तन और सोने-चांदी के आभूषण की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक धनतेरस पर बर्तन और सोने-चांदी के अलावा वाहन, जमीन-जायदाद के सौदे, लग्जरी चीजें और घर में काम आने वाले अन्य दूसरी चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है।
लोहा, स्टील, कांच, काला सामान की खरीदारी से बचना चाहिए
इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार हर इंसान कोई न कोई चीज जरूर खरीदता है. माना जाता है कि धनतेरस के शुभ दिन पर सोना, चांदी और बर्तन खरीदने से पूरे साल संपन्नता बनी रहती है. साथ ही घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है. वहीं, धनतेरस पर कुछ चीजों को खरीदने से बचना चाहिए. कहते हैं कि इन चीजों को खरीदने से मां लक्ष्मी रुष्ठ होती हैं, जिससे घर में आर्थिक संकट पैदा हो सकता है. इसलिए लोहे की वस्तुएं ना खरीदे। लोहे से बनी चीजों को खरीदने से बचना चाहिए। दरअसल लोहे का सीधा संबंध राहु और केतु से होता है. ऐसे में धनतेरस के दिन लोहे से बनी चीजें घर पर लाने से राहु ग्रह की अशुभ छाया पड़ सकती है. ऐसा करने से घर में परेशानियां बढ़ने लगती हैं. इसके अलावा कांच से बना बर्तन या अन्य सामान खरीदने से बचना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी रुष्ठ होती हैं. मान्यता है कि कांच के सामान का सीधा संबंध भी राहु ग्रह से होता है. राहु ग्रह के घर में आने से दरिद्रता का वास होता है. इससे बनते कार्य बिगड़ने लगते हैं. धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है. स्टील भी लोहा का ही दूसरा रूप है इसलिए स्टील के बर्तन भी धनतेरस के दिन नहीं खरीदने चाहिए. स्टील के बजाए कॉपर या ब्रॉन्ज के बर्तन खरीदे जा सकते हैं. काले रंग के कपड़े या फिर अन्य कोई सामान खरीदकर घर लाने से बचना चाहिए. दरअसल, काला रंग हमेशा से दुर्भाग्य का प्रतीक माना गया है. यदि आप काले रंग का कपड़ा पहनते हैं तो आपकी कुंडली में शनि देव हावी हो सकते हैं. यही वजह है कि धनतेरस पर काले रंग की चीजें नहीं खरीदनी चाहिए. चाकू, कैंची व दूसरे धारदार हथियारों को भी खरीदने से बचना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर नाराज होते हैं, जिससे धन संकट पैदा होता है. घर नकारात्मक शक्तियां का वास होता है. धनतेरस पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। इस समय घरेलू वायदा बाजार में सोना 60,200 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब ट्रेड कर रहा है। सोने की कीमतें आने वाले समय में 63,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच जाएंगीं।
13 संख्या का महत्व
धन अर्थात समृद्धि और तेरस मतलब तेरह दिन. धनतेरस का पर्व धन और स्वास्थ से जुड़ा है. इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा करने पर, खरीदारी करने से धन और उस वस्तु में 13 गुना वृद्धि होती है. वहीं भगवान धनवंतरी की उपासना से स्वास्थ में तेरह गुना लाभ मिलता है. इसलिए इस दिन 13 की संख्या शुभ मानी जाती है.
13 कौड़ियां - धन लाभ के लिए धनतेरस पर प्रदोष काम में 13 कौड़ियां हल्दी में रंगकर मां लक्ष्मी और कुबेर देवता को पूजा में चढ़ाएं और फिर रात्रि में इन कौड़ियों को घर के अलग-अलग कोने में गाड़ दें. मान्यता है इससे घर में बरकत का वास होता. लक्ष्मी आकर्षित होती है. धन की कमी नहीं होती.
13 दीपक - धनतेरस से दीपोत्सव शुरू हो जाता है. इस दिन शाम के समय 13 की संख्या में दीप जलाएं और इन्हें घर और बाहर आंगन में रख दें. ये उपाय मां लक्ष्मी को प्रसन्न करता है. इससे नौकरी और व्यापार में आ रही बाधाएं दूर होती है. घर में मौजूद नकारात्मकता ऊर्जा का नाश होता है.
बर्तन में 13 धनिया- कहते हैं भगवान धन्वंतरी उत्पन्न हुए थे उनके हाथों में एक पीतल का कलश था इसलिए धनतेरस के दिन पीतल का बर्तन खरीदना काफी शुभ माना गया है. धनतेरस के दिन खरीदे गए बर्तनों में लोग अन्न, या धनिया आदि भरकर रखते हैं. मान्यता है कि इससे सदैव अन्न और धन के भंडारे भरे रहते हैं. इस दिन चांदी के बर्तन भी खरीदना शुभफलदायी होता है.
13 सिक्के - धनतेरस पर आमतौर पर लोग सोना-चांदी के आभूषण या सिक्के खरीदते हैं. ऐसे में इस दिन एक नया चांदी का सिक्का और जो पुराने कुछ सामान्य सिक्के हल्दी से रंगें और फिर उन्हें देवी लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें. कहते हैं इससे घर में लक्ष्मी जी ठहर जाती हैं. आर्थिक तंगी और कर्ज से शीघ्र छुटकारा मिल जाता है.
13 चीजों का दान - धनतेरस के दिन अन्न, वस्त्र, दीप, लोहा, नारियल, मिठाई आदि चीजों का दान करना अति शुभ होता है. इससे धन-संपदा में वृद्धि होती है. कहते हैं धनतेरस पर अगर इन चीजों को 13 की संख्या में दान किया जाए तो दुर्भाग्य कभी पास नहीं आता.
13 बार मंत्र जाप - ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्य धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय दापय स्वाहा। ये कुबेर देव का मंत्र है. मान्यता है धनतेरस के दिन 13 बार कुबेर मंत्र का जाप करने से अपार धन प्राप्त होता है.
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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