कविता : शायद मुझे भी कदर मिले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 4 नवंबर 2023

कविता : शायद मुझे भी कदर मिले

न कभी कदर थी मेरी

ना कभी होगी शायद

ना कभी कोई गलती थी मेरी

ना कोई गुनाह था मेरा

फिर भी चुप रहती रही

हर दुख सहती रही

ना कभी मैंने जाना सीखा

ना मैंने मरना जाना

भाई की गलती पर भी

डांट मुझे ही पड़ती है

जो सच बताना भी चाहूं

तो मार मुझे ही पड़ती है

मैं कुछ बोलना भी चाहूं

तो कौन सुनेगा मेरी?

मुझे लाज लिहाज़ में रहना है

पराए घर जाना है

बस यही सीख मिलती है

मैं लड़की हूं,

बस यही मेरी गलती है




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योगिता आर्या

कक्षा - 11वीं

राजकीय इंटर कॉलेज

वज्यूला, उत्तराखंड

(चरखा फीचर)

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