'जय जगत' का नारा देने वाले भारत रत्न आचार्य विनोबा है, आज भी नारा जयघोष करने वाले कहते है 'जय जगत' का नारा है सारा संसार हमारा है।आज आचार्य विनायक नरहरि भावे उर्फ विनोबा भावे की पुण्यतिथि है.उनका जन्म बंबई के दक्षिण में गागोडे गांव में 11 सितंबर 1895 एक उच्च कोटि के चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. भावे भूदान यज्ञ ("भूमि-उपहार आंदोलन") के संस्थापक थे.एक उच्च जाति के ब्राह्मण परिवार में जन्मे, उन्होंने 1916 में अहमदाबाद के पास साबरमती में गांधी के आश्रम (तपस्वी समुदाय) में शामिल होने के लिए अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी.गांधी की शिक्षाओं ने भावे को भारतीय ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित तपस्या पूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित किया. भूदान आंदोलन 1950 में भूमि व्यवस्था सुधार के उद्देश्य से शुरू किया गया एक आंदोलन था। इसे रक्तहीन आन्दोलन के नाम से भी जाना गया। संपूर्ण उत्तर: भूदान आंदोलन का उद्देश्य बड़ी मात्रा में भूमि रखने वाले अमीर लोगों को अपनी भूमि का कुछ हिस्सा स्वेच्छा से भूमिहीन लोगों को देने के लिए राजी करना था।
विनोबा भावे सर्वोदय आंदोलन एवं भूदान आंदोलन के प्रणेता के रूप में परिचित विनोबा भावे ने सर्वोदय समाज के स्थापना की.भूदान आन्दोलन संत विनोबा भावे द्वारा सन् 1951 में आरम्भ किया गया था. यह स्वैच्छिक भूमि सुधार आंदोलन था.विनोबा की कोशिश थी कि भूमि का पुनर्वितरण सिर्फ सरकारी कानूनों के जरिए नहीं हो, बल्कि एक आंदोलन के माध्यम से इसकी सफल कोशिश की जाए. जमीन जुटाने के लिए विनोबा ने जमींदारों से बात की और उससे प्रभावित होकर रामचंद्र रेड्डी ने अपनी सौ एकड़ जमीन दान दे दी. इसी घटना से प्रेरित होकर उनके मन में भूदान आंदोलन शुरू किया जो महाराष्ट्र में विशेष तौर पर सफल रहा. उन्होंने 13 लाख गरीब किसानों के लिए 44 लाख एकड़ जमीन हासिल की. विनोबा भावे एक भारतीय राष्ट्रवादी और समाज-सुधार नेता थे.भावे का सबसे उल्लेखनीय योगदान भूदान (भूमि उपहार) आंदोलन का निर्माण था. आंदोलन का मुख्य उद्देश्य इसके नाम, "भूदान" या भूमि का उपहार में निहित है। इसका उद्देश्य भूस्वामियों को अपनी भूमि का एक छोटा सा हिस्सा स्वेच्छा से छोड़ने के लिए प्रेरित करके भूमिहीन किसानों के बीच भूमि वितरित करना था, जिससे अमीर और गरीब के बीच की खाई कम हो सके. 15 नवंबर 1982 को उन्होंने अंतिम सांस ली थी. वे 87 साल 2 महीना 4 दिन के थे.उनके अंतिम संस्कार समारोह में शामिल होने लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने मास्को यात्रा तक स्थगित कर दी थी. विनोबा को 1958 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से नवाजा गया था. उनकी मृत्यु के अगले साल ही उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें