- वीर शिवाजी का भगवा झंडा कभी झुकने ना पाएं, का संकल्प लें युवा
- सिंधु नदी उद्गम से कावेरी नदी तट तक हिंदवी साम्राज्य बनाना है
- मिर्जापुर और भदोही के लोगों ने देखा महानाट्य जाणता राजा का मंचन
राष्ट्रीय चेतना को जगाने हेतु लोगों ने लिया राष्ट्र शपथ
वीर शिवाजी महाराज के जीवन चरित्र पर आधारित महानाट्य जाणता राजा के मंचन के बीच उपस्थित विशाल जन समूह को राष्ट्र शपथ दिलाई गई। ईश्वर को साक्षी मानकर यह शपथ लेता हूं कि अपने देश को विश्व गुरु बनाने के लिए विश्व में प्रत्येक अवसर पर छत्रपति शिवाजी जैसा राष्ट्रभक्त, योग्य, साहसी और पराक्रमी, जाति धर्म का भेद न करने वाला, देश ही तो वह जनहित को सर्वोपरि रखते वाला दूरदर्शी नेतृत्व ही स्वीकार करूंगा। ऐसी नीतियों का ही समर्थन करूंगा। किसी भी अवसर पर अपने हित के पहले देश हित को महत्व दूंगा। भारत माता की जय।
जाणता राजा महानाट्य के संवाद सुन रोंगटे हुए खड़े
जाणता राजा महानाट्य का मंचन 21 नवंबर से 26 नवंबर तक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एमपी थियेटर मैदान में सेवा भारती के तत्वाधान में आयोजित किया जा रहा है। मंचन के दूसरे दिन मिर्जापुर और भदोही जिले के लोगों ने हजारों की संख्या में पहुंचकर शिवाजी के जीवन पर आधारित नाटक को देखा और बीच-बीच में जय मां भवानी, हर हर महादेव जैसे गगन भेदी जयकारे गुजरते रहे। छत्रपति शिवाजी महाराज युग को फिर से जीवंत बनाने के लिए हाथी, ऊंट, घोड़े जैसे जानवरों को भी शामिल किया गया। नाटक में 250 से अधिक कलाकारों की स्टारकास्ट है। शानदार आतिशबाजी, 17वीं शताब्दी के दृश्यों का मनोरंजन, जिसमें शिवाजी महाराज के जन्म से पहले का युग, उनका जन्म, उनकी परीक्षण करने की शैली, अफजल खान की हत्या, आगरा से पलायन और रोमांचकारी राज्याभिषेक समारोह इस नाटक को शानदार बनाते हैं। जाणता राजा महानाट्य नाटक में मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन के महत्वपूर्ण अध्यायों को चित्रित किया गया, उनके जन्म से लेकर संप्रभुता की गंभीर शपथ, अथक संघर्ष के वर्षों और सिंहासन पर विजयी आरोहण, राज्याभिषेक, जिसमें नाटक, वीरता और राजनीति का एक मनोरम मिश्रण शामिल रहा। जाणता राजा महानाट्य मंचन के दौरान कलाकारों के संवाद ने उपस्थित जनसमूह के रोंगटे खड़े कर दिए और सोचने पर मजबूर कर दिया कि कैसे एक मां अपने पुत्र को स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु तैयार करती है। साथ ही धर्म, नीति, युद्ध कौशल की शिक्षा देने के अलावा साम्राज्य स्थापना में बाधक किसी भी रिश्ते से ऊपर राजा का निर्णय सर्वोपरि होता है, सिखाती है। जब खुशहाल हिंदू मराठा लोगों पर मुगल आक्रमण कर उनकी संस्कृति को नष्ट करते हुए मां बहनों की अस्मत से खेलते हैं तो नाटक के कलाकारों द्वारा करूण गीत "चिखती मां बेटी बहन, आंसू ना बहना, कहना दुःख से कब तक सहना", दर्शकों की पलके भिगो देता है।
12 पुश्तों की गुलामी समा गई है हमारे खून व तलवार में
गुलामी के 250 वर्ष बाद शिवाजी के पिता शाह जी राजा और जिजाऊ के बीच यह संवाद की आप अपने लिए क्यों नहीं लड़ते, इन सुल्तानों के लिए चकरी क्यों करते हैं। ऐसे में शाह जी राजा द्वारा यह कहना कि 12 पुश्तों की गुलामी समा गई हमारे खून व तलवार में, उनकी लाचारी को दर्शाता है।
कोई सुलाए उसे सुनाकर स्वतंत्रता की लोरी
पालने में पल रहे बालक शिवा के जन्म पर आयोजित कार्यक्रम में मां जिजाऊ द्वारा यह कहना कि "कोई सुलाए उसे सुनाकर स्वतंत्रता की लोरी", बड़ा मार्मिक और प्रेरणादायक लगता है कि कैसे एक मां अपने गोद में पल रहे बच्चे को भी हिंदवी साम्राज्य की स्थापना के लिए बचपन से ही शिक्षा देती है और तैयार करती है कि बड़ा होकर मुगलों के खिलाफ बगावत करना है। बालक शिवा जब अपनी मां से कहता है कि मैं भी अपने बाप-दादा की तरह राज करूंगा तो मां जिजाऊ टोकती हैं कि अनगिनत माताएं तुम्हारी तरफ उम्मीद की तरह देख रही है और तुम बादशाहों की चाकरी करोगे तो सारे देवी देवता कहेंगे की बेटा निकम्मा निकला। सभी के अपमान का बदला लेने के लिए आप बगावत कीजिए। जुल्मी सिंहासन के खिलाफ बगावत कीजिए। तब बालक शिवा का कहना हम मां तुलजा भवानी के पुत्र हैं, हमें शेर बनकर स्वतंत्रता के लिए जीना है। पराक्रम की मोहर लगेगी आसमान पर और हिंदवी साम्राज्य का पताका चारों ओर लहरेगा।
शिवाजी महाराज के कार्यशैली की झलक दिखी
350 वर्षों के गुलामी के बाद तोरण घर पर हिंदी साम्राज्य का पताका फहराने के बाद शिवाजी महाराज के शासन और न्याय की झलक भी जाणता राजा महानाट्य में देखने को मिली। महिला के साथ बदसलूकी करने पर अपने ही अधिकारी को सजा देना और गांव वालों पर अत्याचार करने पर अपने मामा को गिरफ्तार करना, दिखता है कि शिवाजी महाराज अपने न्याय परायाणता के लिए कितने प्रतिबद्ध थे।
हल्दी कुमकुम पैरों में लगाए भवानी चिता पर जल जाएगी
बाजी घोर पड़े द्वारा धोखे से महाराज शिवाजी के पिता शाह जी महाराज को गिरफ्तार कर लेने के बाद शिवाजी द्वारा यह कहना कि पिताजी और स्वराज दोनों की जान सूली पर लटकी हुई है। ऐसे में शिवाजी महाराज की पत्नी शई बाद साहेब द्वारा यह कहना कि पिता और स्वराज्य दोनों तीर्थ स्वरूप हैं दोनों को बचाइए। लड़ते हुए यदि आप वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं तो हल्दी कुमकुम पैरों में सजाए यह भवानी चिता पर जल जाएगी। यह संवाद बड़ा ही मार्मिक व भावुक लगता है। दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। शिवाजी ने शाही फौज पर छापा मारकर विजय प्राप्त की और पिता व स्वराज को सुरक्षित हासिल किया। शहंशाह आदिलशाह के वफादार अफजल खां को भी वीर शिवाजी ने ऊपर पहुंचा दिया। इस दृश्य के बाद दर्शक दीर्घा में हर हर महादेव के जयकारे गूंज उठे। मराठा योद्धा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और उपलब्धियों पर आधारित छह अंकों का महानाट्य 'जाणता राजा', मंगलवार 21 मार्च से रविवार 26 नवंबर तक वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एमपी थियेटर में मंचन हो रहा है। यह नाटक प्रख्यात इतिहासकार और पद्म विभूषण से सम्मानित शिव शाहिर बाबासाहेब पुरंदरे द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज की कहानी सुनाते हैं। जाणता राजा महानाट्य का शुभारंभ 21 नवंबर को हुआ था जिसमें सोनभद्र एवं चंदौली के लोगों ने मंचन देखा। 23 नवंबर को प्रयागराज जिले के लोग मंचन देखेंगे।
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