कार्यक्रम के दौरान पंडित रोहित व्यास ने पाठ का महत्व बताते हुए कहा कि सुंदरकांड के पाठ से मनुष्य के सभी व्याधियों का अंत हो जाता है। यह धार्मिक क्रियाकलापों से हिंदू संस्कृति की पहचान को दर्शाने का सशक्त माध्यम है। रामायण पाठ में सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो कि हनुमान जी की शक्ति और विजय का कांड है। हनुमान जी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता माता की खोज की हैं। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमान की सफलता के लिए याद किया जाता है। हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका गए थे और लंका के सुंदर पर्वत में ही अशोक वाटिका थी। जहां हनुमान जी की भेंट सीता माता से हुईं। इसी वजह से इस भाग का नाम सुंदरकांड पड़ा। उन्होंने कहा कि हनुमान जी जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं। वह बल, बुद्धि और कृपा प्रदान करने वाले माने जाते हैं। मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। जो भी जातक प्रतिदिन सुंदरकांड का पाठ करता है उसकी एकाग्रता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि हनुमान जी अपने भक्तों पर आने वाले तमाम तरह के कष्टों और परेशानियों को दूर करते हैं। हिदू धर्म में सुंदरकांड पाठ का विशेष महत्व होता है। तुलसीदास द्वारा रचित सुंदरकांड सबसे ज्यादा लोकप्रिय और महत्वपूर्ण माना गया है। सुंदरकांठ पाठ में भगवान हनुमान के बारे में विस्तार से बताया गया है। अंत में भंडारे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान समाज की ओर से महेन्द्र पटेल, विक्रम परमार, कैलाश सिंह, गुलाब परमार, शंकर परमार और बहादुर परमार आदि शामिल थे।
इस संबंध में जानकारी देते हुए परमार समाज के विष्णु परमार रोलूखेड़ी वालों ने बताया कि प्राचीन जगदीश में लंबे समय से प्रत्येक मंगलवार को संगीतमय सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया जा रहा है। गत दिनों मुरली निवासी शिव परमार के द्वारा पाठ का आयोजन किया गया था, इस मंगलवार को ढाबला माता ग्राम के मानस मंडल के द्वारा सुंदरकांड की सुंदर प्रस्तुति दी। इस मौके पर परमार समाज के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे।
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