- चतुर्वषीय पाठ्यक्रम के तृतीय से अष्टम सेमेस्टर तक निर्माण को लेकर हुई विमर्श
- प्रथम एवं द्वितीय सेमेस्टर पाठ्यक्रम का पूर्व में ही राजभवन से मिल चुका है एप्रूवल
- संस्कृत विश्वविद्यालय को राजभवन ने स्वयं पाठ्यक्रम निर्माण कर भेजने का दिया है निर्देश
- नव निर्मित पाठ्यक्रम में अपेक्षित संशोधन कर अगली बैठक में प्रस्तुत करने का लिया गया निर्णय
दरभंगा, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राधिकार शाखा में शुक्रवार को सभी विभागाध्यक्षों एवं पाठ्यक्रम निर्माण समिति के सदस्यों की बैठक आहूत की गई। बैठक में पाठ्यक्रम निर्माण समिति के सदस्यों द्वारा नव निर्मित तृतीय से अष्टम पर्यन्त पाठ्यक्रम के अंशों को सभी विभागाध्यक्षों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। विमर्श के उपरांत पाठ्यक्रम में अपेक्षित संशोधन कर सभी सदस्यों को सीबीसीएस आधारित प्रचलित पाठ्यक्रम एवं नव निर्मित पाठ्यक्रमों की छायाप्रति शीघ्र उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। साथ ही पांच दिसंबर को अग्रिम बैठक में आयोजित कर आवश्यक सुझाव व संशोधन कर समर्पित करने का निर्णय हुआ। पाठ्यक्रम समिति के संयोजक सह डीन डॉ. शिवलोचन झा ने बताया कि राजभवन द्वारा इस विश्वविद्यालय को स्वतंत्र रूप से चतुर्वषीय पाठ्यक्रम निर्माण कर भेजने का निर्देश प्राप्त है। पूर्व में विश्वविद्यालय द्वारा एकेडमिक काउंसिल से पारित करवाकर राजभवन को शास्त्री प्रथम एवं द्वितीय सेमेस्टर का भेजा जा चुका है। शेष तृतीय से अष्टम सेमेस्टर के पाठ्यक्रम को समिति के सदस्यों ने अथक परिश्रम कर निमार्ण किया है। इसी नव निर्मित पाठ्यक्रमों पर अपेक्षित सुझाव के लिए सभी विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में पाठ्यक्रम निर्माण समिति के अध्यक्ष प्रो. सुरेश्वर झा, डॉ. प्रभाष चन्द झा, डॉ. यदुवीर स्वरूप शास्त्री, डॉ. रामसेवक झा के अलावा धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार झा, व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रो. दयानाथ झा, वेद विभागाध्यक्ष प्रो.विनय कुमार मिश्र, ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. कुणाल कुमार झा, दर्शन विभाग से डॉ. धीरज कुमार मिश्र आदि उपस्थित थे।
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