- जाणता राजा महानाट्य के अद्भुत मंचन में हर रोज 10 हजार से अधिक भीड़
- अब तक 30 हज़ार से अधिक दर्शकों को भाव विभोर कर चुकी है यह मंचन
बता दें कि सेवा भारती के राहुल सिंह के संयोजन में हिंदवी स्वराज के 350वें वर्ष पर बीएचयू में छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित महानाट्य ‘जाणता राजा’ का मंचन किया जा रहा है। इस महानाट्य के माध्यम से शिवाजी महाराज के जन्म से लेकर सिंहासन पर बैठने तक की कहानी को बखूबी दर्शाया जाता है, बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे लिखित व 300 कलाकारों और 100 तकनीशियनों की मदद से होने वाला नाटक ‘जाणता राजा’ का मंचन इतना अद्भुत है कि इसे देखने के बाद भूल पाना लगभग असंभव प्रतीत होता है। इस ऐतिहासिक महानाट्य का मंचन में सहभागिता कर हर कोई भावविभोर होने को विवश है। प्रांत प्रचारक रमेश जी का यह अद्भुत कार्य दर्शाता है कि वह हमारी संस्कृति और गौरवशाली इतिहास के प्रति कितने सजग है और जन - जन किस प्रकार इससे जोड़ना चाहते हैं। जाणता राजा महानाट्यमन्चन के तीसरे दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय गो सेवा प्रमुख अजित महापात्र, अखिल भारतीय समरसता संयोजक गोपाल आर्य, काशी प्रान्त के प्रांत प्रचारक रमेश, प्रयागराज की सांसद प्रो रीता बहुगुणा जोशी, फूलपुर सांसद केसरी देवी पटेल, जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ वीके सिंह, गोरक्ष प्रान्त प्रचारक सुभाष, प्रयागराज के महापौर गणेश केसरवानी, पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के सदस्य डॉ हरेश प्रताप सिंह, डॉ कल्पराज सिंह, डॉ ए.के.वर्मा, डॉ राम प्यारे सिंह को आयोजन समिति के सचिव अनिल किजडवेकर ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर डॉ राकेश तिवारी, डॉ ज्ञान प्रकाश मिश्र, अरविंद श्रीवास्तव, डॉ राघव, गुलाब श्रीवास्तव, हरेन्द्र राय, सतीश जैन, हरिनारायण विसेन, डॉ मनीष त्रिपाठी, विभाग प्रचारक नितिन, विक्रान्त, भास्करादित्य त्रिपाठी, सौरभ राय आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन राहुल सिंह ने किया।
युवाओं को छत्रपति शिवाजी की शैली से सीख लेनी पड़ेगी : नागेन्द्र द्विवेदी
शिवाजी महाराज के शौर्य, सुशासन तथा उनके सम्पूर्ण जीवन पर आधारित यह मंचन देख कर चेतना प्रवाह पत्रिका के प्रमुख प्रबंध संपादक नागेन्द्र द्विवेदी ने सभी कलाकारों की सराहना की और सेवा भारती के अध्यक्ष और महानाट्य ‘जाणता राजा’ के संचालक डॉक्टर आशीष गौतम को इसके लिए बधाई देते हुए कहा कि इस महानाट्य के माध्यम से जो राष्ट्रीय चेतना जागृत कर रहे यह सबसे महत्वपूर्ण है, युवाओं को अपना इतिहास जानना पड़ेगा, युवाओं को छत्रपति शिवाजी की शैली से सीख लेनी पड़ेगी कि उन्होंने कैसे 16 वर्ष की उम्र से ही मुगलों से लड़ना शुरू किया, आतंकियों से लड़े, कैसे उन्होंने विश्व की चौथी सबसे बड़ी नेवी की स्थापना की, कैसे जमींदारी सिस्टम यहां से खत्म किया कैसे उन्होंने किसान के लिए काम किया और आज प्रधान का शासन लागू किया और हिंदवी स्वराज की स्थापना की। मैं आभारी हूं जाणता राजा के लेखक और महान इतिहासकार बाबा पुरंदरे का, संस्था का और कलाकारों का जो हमारी स्वर्णिम ऐतिहासिक धरोहर का 1300 से ज्यादा बार मंचन कर चुके हैं, परम प्रतापी योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन करता हूं। शिवाजी महाराज का सुशासन ही था कि उन्होंने हिंदू अस्मिता को सुरक्षित कर हिन्दवी स्वराज की स्थापना की, मंदिरों के विध्वंस और धर्मांतरण को रोका, नारी शक्ति के सम्मान को सर्वोपरि रखा। ये शिवाजी की वीरता और सोच का ही प्रभाव था कि अनेकों वीर मराठा पेशवाओं ने 18 वीं शताब्दी तक आते आते एक तिहाई भारत पर मराठा साम्राज्य और हिन्दवी स्वराज स्थापित कर लिया, यहां तक कि मुगलों के हाथ से दिल्ली का लाल किला छीन कर उसपर भी भगवा लहराया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें