मिर्जापुर जिले में पड़ने वाले गड़ौली धाम आश्रम की शुरुआत ओएस बालमुकुंद फाउंडेशन ने की थी। सुनील ओझा इसके अगुआ हैं। यह फाउंडेशन पहली बार कोविड की दूसरी लहर के वक्त तब चर्चा में आया था, जब उसके कार्यकर्ताओं ने लोगों को घर-घर खाना पहुंचाना शुरू किया था। इसके बाद सुनील ओझा ने मिर्जापुर में गंगा नदी के किनारे 20 बीघा जमीन खरीदी और उस पर आश्रम का निर्माण शुरू किया। आश्रम में बालेश्वर महादेव का भव्य मंदिर है तो यहां गौरी शंकर की 108 फुट की प्रतिमा लगाने की भी तैयारी की जा रही है। मीडिया प्रभारी नवरतन राठी ने बताया सुनील ओझा की शव यात्रा 30 नवंबर, गुरुवार को प्रातः 8ः00 बजे मडुवाडीह स्थित उनके निवास स्थान महावीर हाइट्स से गड़ौली धाम के लिए प्रस्थान करेगी। ओझा का अंतिम संस्कार कल गड़ौली धाम में प्रातः 10 बजे होगा। शोक प्रकट करने वालों में स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ दयाशंकर मिश्र दयालु, भाजपा के प्रदेश महामंत्री एवं काशी क्षेत्र के प्रभारी अमरपाल मौर्य, काशी क्षेत्र के अध्यक्ष दिलीप पटेल, एमएलसी अश्वनी त्यागी, जिलाध्यक्ष एवं एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय, डॉ वीणा पांडेय, प्रदेश मंत्री शंकर गिरी, मीना चौबे, कोषाध्यक्ष मनीष कपूर, अशोक पांडेय, अशोक चौरसिया, सुशील त्रिपाठी, संतोष पटेल, नागेंद्र रघुवंशी, राकेश शर्मा, आशीष सिंह बघेल, धर्मेंद्र सिंह, डॉ सुदामा पटेल, प्रदीप अग्रहरि, क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी नवरतन राठी, संतोष सोलापुरकर, नवीन कपूर, जगदीश त्रिपाठी, सुरेश सिंह, मधुकर चित्रांश, संजय सोनकर, प्रवीण सिंह गौतम, नम्रता चौरसिया, पूजा दीक्षित, कुसुम पटेल, मदन दुबे, राजेश यादव, अमीत जायसवाल, विनिता सिंह, रजत जायसवाल, महेंद्र सिंह गौतम, वैभव कपूर आदि प्रमुख रहे।
वाराणसी (सुरेश गांधी) भाजपा के वरिष्ठ नेता और पीएम मोदी के बेहद करीबी सुनील ओजा का दिल्ली में निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को वाराणसी लाया गया है। मेदांता गुड़गांव में उनका इलाज चल रहा था। बुधवार की सुबह 4.30 बजे अंतिम सांस ली। वे 70 वर्ष के थे। गुरुवार को सुबह मुखाग्नि दी जायेगी। हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश की जगह बिहार सह प्रभारी बनाया गया था। उनके निधन पर भाजपाईयों में शोक की लहर है। लोगों ने सोशल मीडिया पर उनके साथ अपना फोटो भी शेयर किया। बता दें, सुनील ओझा मूल रूप से गुजरात के भावनगर जिले दक्षिणी से बीजेपी के विधायक भी रह चुके थे। निधन की सूचना से भाजपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई। भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल ने ओझा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए आज और कल होने वाले पार्टी के सभी संगठनात्मक कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया। जब 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो सुनील ओझा, अरुण सिंह और सुनील देवधर को चुनाव की जिम्मेदारी संभालने के लिए भेजा गया। चुनाव के बाद सुनील देवधर अरुण सिंह ने तो दूसरी जिम्मेदारियां संभाल ली पर सुनील ओझा वाराणसी में ही रह गए। जब अमित शाह को यूपी भाजपा का प्रभारी बनाया गया तो सुनील ओझा को सहप्रभारी बना दिया गया। ओझा तब से काशी क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, 2019 में उन्हें गोरक्ष प्रांत की भी जिम्मेदारी दी गई थी।
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