- महोबा जिले में यह आवाज अब तेजी से अपनी पहचान बना रही है।
वक्त और हालात के साथ चलती रही बहन भाइयों के बाद हमारी भी शादी कर दी गई और मैं पूरी तरह से एक घरेलू महिला बनकर अपनी जिंदगी बाकी महिलाओं की तरह गुजरने लगी इसी दरमियान मैं अपनी बड़ी बहन के घर बांदा गई तो वहां हमें मोबाइल वाणी के बारे में पता चला। यह भी मालूम हुआ कि वहां की महिलाएं अपने घर में रहकर अपनी परंपरा और रस्मो रिवाज के साथ अपनी जिंदगी के दूसरे कामों की तरह मोबाइल वाणी पर भी अपने ख्वाबों को पूरा कर रही हैं। वह महिलाएं जिन्होंने कभी बाहर की दुनिया नहीं देखी, वह भी अपनी खबरें दुनिया वालों को सुना रही हैं। बेजुबान लोगों की जबान बनकर, उनकी आवाज को बुलंद कर रही हैं, बेसहारा लोगों का सहारा बनकर उनके लिए उम्मीद की किरण बन रही हैं। इन सारी बातों ने हमें भी प्रभावित किया और मैंने भी ठान लिया कि मुझे भी इस काम को आगे बढ़ाना है। लेकिन प्रश्न यह था कि मोबाइल वाणी के साथ मैं कैसे काम करूं? मैं रहती थी महोबा में और महोबा में इसकी कोई शुरुआत नहीं हुई थी। इसी दरमियान हमें पता चला कि मोबाइल वाणी अपनी ब्रांच महोबा में भी "महोबा मोबाइल वाणी" के नाम से शुरू कर रही है। मेरे लिए यह खबर किसी वरदान से कम न थी, मुझे बहुत खुशी हुई और मैंने फोन पर ही ग्राम वाणी के रिजिनल मैनेजर श्री अनिसुर रहमान खान सर से संपर्क किया और उनसे कहा कि सर मैं भी बंदा की महिलाओं की तरह अपनी जिंदगी में बदलाव लाना चाहती हूं। अनीस सर ने तुरंत ही हमारी बातों को मान लिया और उन्होंने हमको कुछ बातें समझ कर कहा कि आप अपना काम शुरू कर दीजिए। मैं उनसे मिलना चाहती थी लेकिन उन्होंने कहा आप हमसे मिलकर अपना समय और पैसा बर्बाद ना करें, केवल बांदा की महिलाओं से सीख कर अपना काम शुरू करें। और तब 23 अगस्त 2023 से मैंने अपने काम को आज तक जारी रखा है। समय-समय पर अनीस सर का मार्गदर्शन मिलता रहा और हम अपने काम को आगे बढ़ते रहे, आज मुझे बहुत खुशी होती है जब महोबा के लोग मुझसे पूछते हैं कि कनीज फातमा कौन है? उनकी आवाज सुनने में बहुत अच्छी लगती है, उनके बोलने का अंदाज बहुत अच्छा है, उनके कारण हम लोगों को घर बैठे सब्जी और मंडी के भाव पता चल जाते हैं। तो मुझे बहुत खुशी होती है और मुस्कुराते हुए मैं कहती हूं कि मेरा नाम ही कनीज फातिमा है लोग दंग रह जाते हैं। मुझे तब खुशी और ज्यादा होती है जब मोहल्ले और पास पड़ोस की बुजुर्ग महिला और मर्द जब आकर हमसे कहते हैं कि मेरी वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांगता पेंशन के लिए मदद कर दो, हमें कुछ दिला दो। उसके पीछे करण यह है कि महोबा की एक बुजुर्ग महिला की पेंशन तीन-चार महीना से बंद थी जब मैंने उनका इंटरव्यू महोबा मोबाइल वाणी पर चलाया तो उनकी पेंशन कुछ ही दिनों के बाद जारी कर दी गई। वह बहुत खुश थी। बुजुर्ग महिला ने दुआ देते हुए कहा कि बिटिया अल्लाह तुम्हें सलामत रखे, तुमने जैसे मेरे चेहरे पर खुशी लाई है तुम भी हमेशा खुश रहो।"
वह पुरजोश अंदाज में आगे कहती हैं कि कंपनी ने हमारे काम को सराहा है इसीलिए गत 22 अक्टूबर को हमें और हमारी टीम को एक मीडिया माइक आईडी के साथ दिया गया है ताकि हम लोगों को काम में आसानी हो। जब मैं यह माइक पकड़ी हूं तो ऐसा महसूस होता है मानो सारा जहां हमें मिल गया हो। पाठकों के लिए यह बताती चलो कि महोबा मोबाइल वाणी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ मोबाइल पर चलने वाली एक सामुदायिक मीडिया चैनल है जिसमें आप 9891 63 63 59 पर मिस कॉल देंगे तो कॉल कट जाती है उसके बाद 1 मिनट के भीतर दिल्ली के नंबर से आपके मोबाइल पर कॉल आती है जिसको रिसीव करने के बाद कंप्यूटर द्वारा महिला की आवाज में कहा जाता है कि" महोबा मोबाइल वाणी पर आपका स्वागत है" आगे चलकर या टेक्नोलॉजी हमें इस बात की भी सुविधा देती है कि यदि आपको कोई फीडबैक/ प्रतिक्रिया या अपनी न्यूज़ रिकॉर्ड करनी हो तो अपने मोबाइल पर तीन नंबर का बटन दबाकर अपना नाम और पता बता कर अपनी समस्या या खबर रिकॉर्ड कर सकते हैं, रिकॉर्ड होने के बाद अपने मोबाइल में कोई भी एक बटन दबा दें तो यह दिल्ली के सर्वर पर लैंड करके सुरक्षित हो जाता है। इन सारी चीजों में यूजर का एक पैसा भी नहीं लगता यह तमाम सेवाएं मुफ्त में दी जाती हैं। साथ ही यदि आपको कोई खबर पसंद आ गई और उसको फॉरवर्ड करना चाहे तो पांच नंबर का बटन दबाकर जिसे चाहे उसे अधिकारी तक फॉरवर्ड भी कर सकते हैं। यह स्मार्ट और साधारण की पैड वाले मोबाइल पर भी अपना पूरा काम करता है, यही इस मोबाइल वाणी की कामयाबी का राज है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे बांदा, महोबा, चित्रकूट जैसे बुंदेलखंड के कई जिलों में महिलाएं इसको अपना व्यवसाय के तौर पर भी कर रही हैं और दूसरी महिलाओं के अंदर जागरूकता भी ला रही हैं उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस इससे काफी बढ़ रहा है कनीज फातिमा जैसी लाखों औरतें आज भी हमारे समाज में अपने आप को बोझ महसूस करती हैं लेकिन मोबाइल वाणी उनके ख्वाबों को पूरा कर रही है, उनके हौसलों को नई ऊर्जा के साथ उड़ान भरने का मौका दे रही है, उनमें कुछ कर गुजरने की चाहत पैदा कर रही है, उनको यह एहसास दिला रही है कि आप भी अपने समाज में जागरूकता ला सकती हैं। आप अपने समाज पर बोझ नहीं बल्कि समाज का बोझ उठाने के लायक बन सकती है।
फौजिया रहमान खान
दिल्ली।
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