जयनगर/मधुबनी, दीपावली के संध्या पूरी भारत वर्ष दीपो से जगमगाया हुआ था। शास्त्र अनुसार हर धार्मिक और अन्य स्थानों पर विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। इसी कड़ी जयनगर प्रखंड के कुआढ़ छपरारही झोटीबीर बाबा गढ़ पर पंडित चंदेश्वर बाबा, जयनाथ बाबा, चंद्रदेव यादव और किसून यादव समेत अन्य भक्त गण द्वारा 1001 दीप जलाकर पूजा अर्चना की गई। दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन लक्ष्मी पूजा करते हैं, उन्हें पूरे साल समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है, दिवाली यानी रौनक, पकवान, मुस्कुराहट, खुशियां, साफ सफाई, रंगोली और दीये का त्योहार है। क्या आपने कभी सोचा है कि हम ये खूबसूरत त्योहार क्यों मनाते हैं, कभी सोचा है कि इस पावन पर्व की शुरआत कब हुई. आइए उन पौराणिक कहानियों के बारे में आपको बताते है। रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई गई थी। हर नगर हर गांव में दीपक जलाए गए थे. तब से दिवाली का यह पर्व अंधकार पर विजय का पर्व बन गया और हर वर्ष मनाया जाने लगा।
सोमवार, 13 नवंबर 2023
मधुबनी : जयनगर के झोटी बीर बाबा गढ़ पर 1051 दीप प्रज्ज्वलित कर मनाया गया दीपोत्सव
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