पटना : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार की ओर से जारी आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर नीतीश कुमार पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि अभी सरकार ने जातीय जनगणना से जोड़कर जो आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया उसी आंकड़े को देखिए तो पता चलता है कि कभी-कभी जब दिन खराब होता है, तो आप सोचकर अच्छा भी करने जाइएगा तो उल्टा ही होगा। नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक फायदे को सोचकर आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया, लेकिन राजनीतिक तौर पर नुकसान हो रहा है। इसी को कहते हैं गोबर को उठाकर मुंह पर लगाना। आर्थिक सर्वेक्षण में बता रहे हैं कि 20 फीसदी बिहार के लोग झोपड़ी में रहते हैं, उनके पास अपना घर नहीं है, आप तो गोबर मुंह पर लगा रहे हैं कि 32 साल से सरकार चलाने के बाद कह रहे हैं 20 फीसदी लोगों के बाद घर नहीं है या झोपड़ी में रह रहे हैं।
32 साल से सत्ता पर काबिज लालू यादव और नीतीश कुमार ने वंचितों के साथ की हकमारी
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि सर्वेक्षण बता रहा है कि 80 फीसदी बिहार के लोग दिनभर में 100 रुपए भी नहीं कमाते। ये 32 सालों के लालू-नीतीश राज का असर है, उसी का ये परिणाम है। जहां तक सामाजिक भागीदारी की बात है, तो लोग कह रहे हैं कि समाज में एक बहुत बड़ा वर्ग है जिसको भागीदारी नहीं मिली और जिसे वंचित रखा गया। उसके नाम पर हल्ला मचा रहे हैं। लेकिन, कोई ये पूछने वाला नहीं है कि 32 सालों से सत्ता में बैठे कौन लोग हैं। अगर किसी ने हकमारी की है, तो लालू यादव और नीतीश कुमार ने हकमारी की है। बिहार में अगर वंचित समाज के, अति पिछड़ा समाज के, दलितों को, मुसलमानों को अगर जगह नहीं मिली तो ये जगह लालू और नीतीश ने नहीं दिया है।
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