उन दिनों भारत कोरोना की दूसरी लहर को झेल रहा है. रोज़ लाखों की संख्या में कोरोना के नए मामले सामने आ रहे है. देश में आक्सीजन की भारी कमी है जिससे कई लोगों की जान जा रही है. कोविड-19 (Covid-19) फेफड़ों पर असर डालता है जिसके कारण गंभीर मामलों में शरीर में ऑक्सीजन लेबल गिर जाता है. मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण देश में ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी कमी देखी जा रही है. कई मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है जिससे उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है. आज कल सबसे ज्यादा एक शब्द का इस्तेमाल होता है वो है ऑक्सीजन सैचुरेशन. फेफड़े हमारे शरीर में ऑक्सीजन लेकर खून में ऑक्सिजनेटेड हीमोग्लोबिन बनाते है. जब शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है तब ऑक्सिजनेटेड हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है. अगर आपके शरीर में ऑक्सीजन की रीडिंग 94 से ऊपर रहे तो उसे हेल्दी माना जाता है. कई बार कोविड-19 की गंभीर अवस्था में ऑक्सीजन की मात्रा 94 से नीचे आ जाती है जिसकी वजह से शरीर में ऑक्सिजनेटेड खून की सप्लाई में प्रभाव पड़ रहा है. इंस्टीट्यूट फॉर पार्टिसिपेटरी( प्रैक्सिस) के कार्यक्रम प्रमुख अनिन्दो बनर्जी 1997 से कार्यशील थे.वर्तमान 24 वर्ष में प्रैक्सिस के द्वारा बिहार के कुछ जिलों में लैंड मैंपिंग करवाने में सफल हुए थे. बताते चले कि स्वर्गीय अनिंदो बनर्जी की मां श्रीमती शेफाली बनर्जी है.श्रीमती बनर्जी 22 वर्षों तक दानापुर के राजकीय विद्यालय में शिक्षिका और प्रधानाचार्य रही हैं.
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