उत्तराखंड : सही सलामत पर्वत के सिने चीर कर निकले 41 मजदूर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 29 नवंबर 2023

उत्तराखंड : सही सलामत पर्वत के सिने चीर कर निकले 41 मजदूर

  •  रैट माइनर का उल्लेखनीय योगदान 

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उत्तराखंड. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माण अधीन सुरंग का हिस्सा रहने से उसमें 41 मजदूर पिछले 17 दिनों से फंसे हुए थे. जिन्हें अब एक-एक कर सुरक्षित निकाला गया. पिछले 17 दिनों से 41 मजदूरों के बाहर आने का इंतजार कर रहे थे.इस समय 140 करोड़ देशवासी खुशी मना रहे हैं. 12 नवंबर से आंखों में आंसू लिए मजदूरों का इंतजार कर रहे परिवार वाले भी खुश नजर आ रहे हैं.17 दिनों तक वक्त के खिलाफ चली लड़ाई को जीतने के बाद रेस्क्यू टीम भी खुश नजर आ रही है. देश के 8 राज्यों के रहने वाले इन 41 श्रमिकों के घरों में दीवाली की तरह जश्न जारी है.सुरंग (टनल) के अंदर झारखंड के 15 लोग फंसे हुए थे. इसके साथ ही यूपी के 8, ओडिशा के 5,बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3,असम के 2 उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1मजदूर फंसे हुए थे. झारखंड के अनिल बेदिया, श्राजेद्र बेदिया, सुकराम, टिकू सरदार, गुनोधर, रनजीत, रविन्द्र, और समीर है.उत्तर प्रदेश के अंकित, राम मिलन, सत्यदेव, सन्तोष, जय प्रकाश, मंजीत,पु्ष्कर और अखिलेष कुमार है.बिहार के सुशील कुमार,सबाह अहमद,सोनु शाह,वीरेन्द्र किसकू और दीपक कुमार है.पश्चिम बंगाल के मनिर तालुकदार,सेविक पखेरा और जयदेव परमानिक है.असम के राम प्रसाद और संजय है.उत्तराखंड के गब्बर सिह नेगी और राम सुन्दर है.हिमाचल प्रदेश के विशाल है.


हादसे पूरे घटनाक्रम पर -

12 नवंबर- सुरंग का एक हिस्सा ढह गया और 41 मज़दूर उसमें अंदर फंस गए

13 नवंबर- मज़दूरों से संपर्क स्थापित हुआ और एक पाइप के ज़रिए उनतक ऑक्सीजन पहुंचाया जाने लगा

14 नवंबर- 800-900 मिलीमीटर डायमीटर के स्टील पाइप को ऑगर मशीन के ज़रिए मलबे के अंदर डालने की कोशिश की गई. लेकिन मलबे के लगातार गिरते रहने से दो मज़दूरों को थोड़ी चोट भी लगी...इस दौरान मज़दूरों तक खाना, पानी, आक्सीजन, बिजली और दवाएं पहुंचती रहीं

15 नवंबर- ऑगर मशीन से पूरी तरह संतुष्ट नहीं होने की वजह से एनएचआईडीसीएल ने नई स्टेट ऑफ़ द आर्ट ऑगर मशीन की मांग की जिसे दिल्ली से एयरलिफ़्ट किया गया

16 नवंबर- नई ड्रिलिंग मशीन ने काम शुरू हुआ

17 नवंबर- लेकिन इसमें भी कुछ रुकावट आई जिसके बाद इंदौर से एक दूसरी ऑगर मशीन मंगाई गई. लेकिन फिर काम रोकना पड़ा.

18 नवंबर- पीएमओ के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने एक नई योजना पर काम शुरू करने का आदेश दिया

19 नवंबर- ड्रिलिंग बंद रही और इस दौरान केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बचावकार्यों का ज़ायज़ा लिया.

20 नवंबर- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बचाव कार्यों का जायज़ा लेने के लिए सीएम धामी से फ़ोन पर बात की.

21 नवंबर- मज़दूरों का वीडियो पहली बार सामने आया

22 नवंबर- 800 एमएम की मोटी स्टील पाइप लगभग 45 मीटर तक पहुंची. लेकिन ड्रिलिंग में शाम के समय कुछ बाधा आ गई.

23 नवंबर - दरार दिखने के बाद ड्रिलिंग को फिर से रोकना पड़ा

24 नवंबर- शुक्रवार को दोबारा ड्रिलिंग शुरू हुई लेकिन फिर रोकनी पड़ी

25 नवंबर- मैनुअल ड्रिंलिग शुरू की गई

26 नवंबर- सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की गई.

27 नवंबर- वर्टिकल खुदाई जारी रही

28 नवंबर- दोपहर में रेस्क्यू टीम के लोग मज़दूरों तक पहुंचे और सुरंग में पाइप डालने का काम पूरा हुआ. मज़दूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जाना शुरू किया गया.


एस.के.लॉरेन्स ने परमेश्वर को दिया धन्यवाद

सर्वशक्तिमान परमेश्वर को धन्यवाद की आपकी कृपा तथा संबंधित कर्मचारियों, पदाधिकारियों, टेकनीशियनों,मजदूरों, प्रशासनिक सूझ-बुझ ,सेना के जवानों,कई एजेन्सियों के प्रयास,अन्य सहयोगियों तथा अन्तिम चौबीस घंटे में 41 मजदूरों को बाहर निकालने वाले लोगों के महत्वपूर्ण प्रयास से सुरंग में 17 दिनों से फंसे मजदूर सकुशल बाहर निकाल लिये गए हैं.उन सभी लोगों को  भी धन्यवाद,जिन्होने उन 41 मजदूरों के सुरंग से सुरक्षित बाहर निकलने के लिये परमेश्वर से हर वक्त प्रार्थना किया है.

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