राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के सामने मंच पर अपने भाषण के दौरान कभी कुर्ता उठा रहे थे, कभी गाल खुजला रहे थे तो कभी बाल बनाते नजर आ रहे थे
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि राजनीति में नीतीश कुमार की असंवेदनशीलता को देखा जा सकता है कभी उलट के दाएं जाते हैं कभी बाएं। आप उनका वक्तव्य उनका भाषण सुनेंगे तो आपको समझ आएगा कि महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के सामने मंच पर दे रहे भाषण के बीच कभी कुर्ता उठा रहे थे, कभी गाल खुजला रहे थे तो कभी बाल बनाते नजर आ रहे थे। सार्वजनिक मंच पर जो एक तौर तरीका होता है वो भी भूल गए हैं। बिहार के छपरा में कईयों की मौत हो गई और ये बेशर्म की तरह पॉकेट में हाथ रख हंसकर कह रहे हैं कि जो पीयेगा वो मरेगा। मैं पैदल गांव-गांव चल रहा हूं मैं आपको बता दूं हर गांव घर में थू-थू हो रहा है नीतीश कुमार का।
चुनाव में जनता को अवसर मिलेगा जब लोग खड़े होकर कहेंगे कि आपके शरीर में तो वस्त्र ही नहीं है
प्रशांत किशोर ने कहा कि एक राजा था उसे महंगे कपड़े पहनने का शौक हुआ तो किसी ने बताया भैया और पतला और पतला, बीच में कोई बुनकर आया और बिना कपड़ा पहनाए हाथी में बैठाने को कहा, राजा घूमने निकला तो उसे लोगों ने देख कहा कितना बढ़िया कितना बढ़िया। राजा नंगा घूम रहा है उसे पता ही नहीं चल रहा है कि मैं नंगा हूं। नीतीश कुमार की हूबहू वही हालत है। नीतीश कुमार और उनके 4 से 5 दरबारी मिलकर बता रहे हैं कि बहुत अच्छा बहुत अच्छा और नीतीश कुमार को लगते जा रहा है कि मैं बहुत बढ़िया होते जा रहा हूं। सच्चाई यह है कि बिहार की जनता उनकी मूर्खता उनकी अज्ञानता उनकी नसमझी पर और उन्हें पता ही नहीं चल रहा है। जनता को अवसर चुनाव में आएगा जब लोग खड़े होकर कहेंगे कि आपके शरीर में तो वस्त्र ही नहीं है।
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