बक्सर धर्मप्रांत में बक्सर, भोजपुर, भभुआ और रोहतास जिले हैै.आरा पल्ली के अलावे अन्य पीरो, शाहपुर, बक्सर, डुमरांव, इटाढ़ी, चेनारी, कोआथ और सासाराम पल्ली है.यहां पर ईसाई समुदायों की संख्या और आकार में वृद्धि हुई है. चर्च संस्थान और संगठनात्मक संरचनाएं उनके साथ बढ़ती गईं, जिससे क्षेत्र के बहुसंख्यक दलित ईसाइयों के बीच महत्वपूर्ण सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन आया है.इसके आलोक में भारी संख्या में लोग तीन दिवसीय अध्यात्मिक सम्मेलन में भाग लेने आएंगे. इस बीच सामान्य प्रशासन विभाग ने गुरुवार को आदेश जारी करते हुए राज्य के सभी जिलों के डीएम और पुलिस अधीक्षक को इस संबंध में पत्र जारी कर सूचित कर दिया गया है. बिहार गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में धार्मिक जुलूसों को विनियमित करने और जुलूसों को अनुज्ञप्ति निर्गत करने को लेकर कई नियमों को सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है. इसमें कहा गया है कि ऐसे दृष्टांत सामने आए हैं जिनमें विभिन्न पर्व त्योहारों के अवसर पर धार्मिक जुलूसों शोभा यात्राओं में शामिल लोगों द्वारा माइक्रोफोन / लाउडस्पीकर से काफी उच्च ध्वनि में धार्मिक नारे लगाने, डीजे बजाने और परम्परागत हथियारों के प्रदर्शन को लेकर साम्प्रदायिक तनाव के कारण विधि व्यवस्था की गंभीर समस्या उत्पन्न हुई.
इसमें कहा गया है कि धार्मिक जुलूसों की स्वीकृति एवं उनके लिए दिए जाने वाली अनुज्ञप्ति में यह शर्त निश्चित रूप से शामिल किया जाए कि धार्मिक जुलूसों में माइक्रोफोन / पब्लिक एड्रेस सिस्टम या अन्य विस्तारक के शोर का स्तर उस क्षेत्र के लिए निर्धारित मानक स्तर से अधिक न हो तथा जुलूस नेतृत्व द्वारा मात्र जुलूस के नियंत्रण के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग किया जायेगा. इसके लिए प्रत्येक ध्वनि विस्तारक के उपयोग के लिए अलग से अनुज्ञप्ति निर्गत किया जायेगा. प्रत्येक अनुज्ञप्ति में डेसिबल स्पष्ट रूप से अंकित हो. प्रत्येक ध्वनि विस्तारक यंत्र का डेसिबल मिलान किया जायेगा. डेसिबल मिलान के लिए मोबाइल पर ऐप उपलब्ध है जिसके माध्यम से सुगमतापूर्वक इसकी जांच की जा सकती है. जुलूस या शोभायात्राओं के दौरान कई लोगों द्वारा समूह में लाठी, भाला, तलवार, आग्नेयास्त्र एवं अन्य हथियारों का उत्तेजक प्रदर्शन किया जाता है. कुछ खास परिस्थिति यथा सिख समुदाय द्वारा धारित कृपाण को छोड़कर किसी भी जुलूस या शोभायात्रा में हथियार ले जाना अथवा प्रदर्शन किया जाना आर्म्स एक्ट के तहत प्रतिबंधित है. यदि किसी कारण से तलवार इत्यादि ले जाना आवश्यक हो तो उसके लिए अलग से प्रत्येक ऐसे व्यक्ति जो तलवार इत्यादि धारित करेंगे को अनुमति लेना आवश्यक होगा. साथ ही जुलूस या शोभायात्राओं में भाग ले रहे कम से कम 10 से 25 लोगों से उपक्रम लिया जाय कि विधि व्यवस्था जुलूस में संधारित करेंगे एवं 10 से 25 लोगों का नाम, पता तथा आधार कार्ड का नंबर भी प्राप्त कर लिया जाय.
जो मजिस्ट्रेट अथवा पुलिस पदाधिकारी इस जुलूस में प्रतिनियुक्त रहेंगे, उपरोक्त कंडिकाओं में उल्लेखित शर्तों की जांच कर सुनिश्चित होने एवं कंडिका-5 के अन्तर्गत उपक्रम प्राप्त होने के पश्चात हीं प्रारम्भिक स्थल से जुलूस के प्रस्थान की अनुमति देंगे। संबंधित थाना के थाना प्रभारी को इसकी सूचना प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारी द्वारा तुरंत दी जाएगी. जाहिर है कि लाठी, तलवार भाला, बरछी पर पाबंदी लगा दी गई है. अब जुलूस में शामिल होने वाले 15 से 20 लोगों की लिस्ट देनी होगी. उनको यह बताना होगा कि जुलूस और शोभायात्रा के दौरान किसी तरह की हिंसा नहीं होगी. बिहार सरकार में सभी जिला अधिकारी एसपी को इसे लेकर निर्देश जारी किया है. सरकार का कहना है कि शोभा यात्रा और धार्मिक जुलूस के दौरान माइक्रोफोन, लाउडस्पीकर से काफी तेज आवाज होती है. धार्मिक नारे लगाने, डीजे बजाने, परम्परागत हथियारों के प्रदर्शन से साम्प्रदायिक तनाव फैसला है। इससे कानून व्यवस्था बिगड़ती है.
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