वाराणसी : बरेका निर्मित 10,000वें रेल इंजन राष्ट्र को समर्पित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 29 नवंबर 2023

वाराणसी : बरेका निर्मित 10,000वें रेल इंजन राष्ट्र को समर्पित

  • महाप्रबंधक बासुदेव पांडा ने पुष्पों से सुसज्जित लोको डब्ल्यूएपी-7 का वैदिक मंत्रोंचार के बीच पूजन व नारियल फोड़ने के उपरान्त हरी झण्डी दिखाया
  • बरेका अब तक 1687 विद्युत लोकोमोटिव, 7498 डीजल लोकोमोटिव, 172 निर्यातित लोकोमोटिव, गैर रेलवे ग्राहक हेतु 634 लोकोमोटिव, 01 डुएल (डीजल$विद्युत) मोड लोकोमोटिव, 08 डीजल से इलेक्ट्रिक में परिवर्तित लोकोमोटिव का निर्माण किया है
  • आरटीआईएस सहित गर्मियों के लिए वातानुकूलित ड्राइवर कैब, सर्दियों के दौरान गर्म हवा एवं एचओजी व रिजेनरेटिव ब्रेक सिस्ट्म जैसी प्रमुख विशेषताओं से सुसज्जित है इस इंजन स्पीड 140 किमी प्रति घंटा होगी 

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वाराणसी (सुरेश गांधी) बनारस रेल इंजन कारखाना के न्यू लोको टेस्ट शॉप में मंगलवार को महाप्रबंधक बासुदेव पांडा ने पुष्पों से सुसज्जित बरेका निर्मित 10,000वें लोको डब्ल्यूएपी का वैदिक मंत्रोंचार के बीच नारियल तोड़ा और हरी झण्डी दिखाकर राष्ट्रों को समर्पित किया। साथ ही महाप्रबंधक ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बरेका अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि यह कीर्तिमान हमारे अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मेहनत तथा कार्यकुशलता का परिणाम है।


बनारस रेल इंजन कारखाना, जिसे पहले डीजल रेल इंजन कारखाना के नाम से जाना जाता था, ने एलसीओं लोको तकनीक पर आधारित पहला लोकोमोटिव तैयार करके अपनी यात्रा शुरू कर न केवल रेल इंजनों के उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित किया है, बल्कि रेल इंजनों की अश्व शक्ति में वृद्धि के साथ ही नयी-नयी तकनीक का भी विकास किया है । वर्ष 2017 से बरेका ने विद्युत लोको का निर्माण शुरू किया। वर्तमान में बरेका रेलवे के लिए यात्री सेवा हेतु डब्ल्यूएपी-7 और मालवाहक हेतु डब्ल्यूजी-9 इंजनों के निर्माण के साथ ही गैर रेलवे ग्राहकों एवं निर्यात के लिए रेल इंजन का उत्पादन कर रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक बरेका 1687 विद्युत लोकोमोटिव, 7498 डीजल लोकोमोटिव, 172 निर्यातित लोकोमोटिव, गैर रेलवे ग्राहक हेतु 634 लोकोमोटिव, 01 डुएल (डीजल$विद्युत) मोड लोकोमोटिव, 08 डीजल से इलेक्ट्रिक में परिवर्तित लोकोमोटिव का निर्माण किया है। बता दें, बरेका की नीव प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने 23 अप्रैल 1956 को रखी गयी थी। अगस्त 1961 में बरेका अपने अस्तित्व में आया। 03 जनवरी 1964 में पहला ब्राड गेज डब्ल्यूडीएम-2 का लोकार्पण पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादूर शास्त्री ने एवं नवम्बर 1968 में पहले मीटर गेज रेल इंजन वाईडीएम-4 का लोकार्पण पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई ने किया था। बरेका ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक 10,000 रेल इंजन बनाकर एक इतिहास रचा है ।


लोकर्पित 10,000वां एसी-एसी 6000 अश्व शक्ति पैसेंजर लोकोमोटिव डब्ल्यूएपी-7 -37638 साउथ सेंट्रल रेलवे के लालागुडा इलेक्ट्रिक लोको शेड को भेजा जा रहा है। उक्त लोकोमोटिव जो आरटीआईएस-वास्तविक समय सूचना प्रणाली, गर्मियों के लिए वातानुकूलित ड्राइवर कैब, सर्दियों के दौरान ड्राइवर के लिए गर्म हवा का प्रावधान, एचओजी - ट्रेन लाइटिंग के लिए हेड ऑन जेनरेशन, रिजेनरेटिव ब्रेक सिस्ट्म जैसी प्रमुख विशेषताओं से सुसज्जित है, जिसकी स्पीड 140 किमी प्रति घंटा है। लोकार्पण समारोह में प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर एस.के.श्रीवास्तव, प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक रजनीश गुप्ता, प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर शिशिर दत्त, प्रधान वित्त सलाहकार नीरज वर्मा, प्रमुख मुख्य  इंजीनियर बिनोद बमपाल, प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. देवेश कुमार, प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी रणविजय, मुख्य सतर्कता अधिकारी पी.के.चौधरी, वरिष्ठ उप महाप्रबंधक विजय, मुख्य विद्युत इंजीनियर-लोका अरूण कुमार शर्मा सहित विभागाध्यक्ष, अधिकारी, कर्मचारी एवं कर्मचारी परिषद के सदस्य अमित कुमार, मनीष सिंह आदि उपस्थित थे।

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