पटना, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर में “बीज प्रणालियों की लिंग गतिशीलता” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास की अध्यक्षता में दिनांक 07 नवंबर 2023 को किया गया | इस कार्यशाला का आयोजन संयुक्त रूप से भा.कृ.अनु.प. – राष्ट्रीय कृषि आर्थिकी एवं नीति अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा किया गया | उक्त कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. बी. एस. महापात्रा, पूर्व कुलपति, बिधान चन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. आर. के. सोहाने, निदेशक (शिक्षा प्रसार), बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर मौजूद थे। संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने सभी गणमान्य अधिकारियों का स्वागत किया | डॉ. दास ने बीज के महत्व को बताते हुए जैवसंवर्द्धन एवं बहु तनाव सहिष्णुता तथा बीज संरक्षण में स्थानीय परम्परागत ज्ञान के महत्ता पर प्रकाश डाला | साथ ही साथ उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली ने अब तक 70 फसलों की 5700 किस्में विकसित की हैं। डॉ. बी.एस. महापात्रा ने बीज उत्पादन के विभिन्न चरणों में महिलाओं की भूमिका के बारे में बताया | इसके अलावा, उन्होंने इस क्षेत्र में महिला किसानों के कौशल प्रशिक्षण पर भी जोर दिया, जो समय की मांग भी है। डॉ. आर.के. सोहाने ने बीज उत्पादन प्रणाली में बीएयू सबौर के वर्तमान अनुसंधान एवं बिहार में प्रमुख फसलों के बीज प्रतिस्थापन दर की स्थिति के बारे में जानकारी दी। डॉ. राका सक्सेना, कार्यक्रम समन्वयक ने कार्यशाला के उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लिंग और बीज-प्रणाली पर शोध को नीति निर्माताओं तक पहुंचाने के लिए सशक्त बनाने की जरूरत है। आयोजन सचिव डॉ. ए. के. चौधरी ने संस्थान के बीज कार्यक्रम और सीड हब के महत्व के बारे में विस्तार से बताया। कार्यशाला में शोधकर्ताओं, एफपीओ के किसानों, कृषि विज्ञान केन्द्र के कर्मचारीगण और बिहार राज्य बीज और जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी (BASOKA) और राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड तथा लिंग और बीज प्रणाली के संबंध में काम करने वाले अन्य हितधारकों ने भाग लिया।
मंगलवार, 7 नवंबर 2023
पटना : कृषि अनुसंधान परिसर में “बीज प्रणालियों की लिंग गतिशीलता” पर कार्यशाला
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