- दलितों को जमीन और वास आवास के साथ शिक्षा-रोजगार का अधिकार मिले : सत्यदेव राम
- 4दिसंबर को दिल्ली जंतर मंतर पर दलित अधिकार के लिए महा जुटान होगा : बिक्रम सिंह
- प्राइवेट सेक्टर और न्यायपालिका में आरक्षण मिले : हरिकेश्वर राम
- बिहार को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकालने के लिए रोड मैप बने : मनोज मंजिल
पटना, 9 नवंबर, खेत एवं ग्रामीण मजदूर संगठनों और दलित एवं अंबेडकरवादी संगठनों की ओर से पटना के आइएमए हाल में दलित अधिकार सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उदघाटन करते हुए दलित स्टडी सेंटर के लक्ष्मणैया ने कहा कि बिहार में एससी/एसटी सब प्लान का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। आंध्र, तेलंगाना और कर्नाटक में इसके शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही सकारात्मक परिणाम दिखा है। बिहार में इसको लेकर कानून बनना चाहिए। माले के 12 विधायक के साथ लेफ्ट के अन्य विधायक और दलित विधायक-सांसद इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में वामपंथी आंदोलन मजबूत है,इसके साथ दलित आंदोलन को एका बनाने की जरूरत है।समय की मांग है कि भारत के संविधान के पक्ष में खड़े सभी लोग एक साथ आएं। सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय खेतिहर मजदूर यूनियन के नेता डॉक्टर बिक्रम सिंह ने कहा कि दलित अधिकारों के लिए 4 दिसंबर को जंतर मंतर पर महा जुटान होगा।मांग पत्रों के साथ करोड़ों हस्ताक्षर के साथ देशभर से लोग दिल्ली में जुटेंगे। सम्मेलन में विषय प्रवेश करते हुए रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता हरिकेश्वर राम ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के बाद भी हर क्षेत्र में दलितों की हिस्सेदारी काफी कम है।उनकी हिस्सेदारी-दावेदारी के बिना समतामूलक समाज के सपनों को पूरा नही किया जा सकता है। इस मौके पर बोलते हुए खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि जमीन, वास-आवास और शिक्षा के अधिकारों की गारंटी के बिना दलित-गरीबों का मुकम्मल विकास असंभव है। समापन वक्तव्य देते हुए प्रोफेसर रमाशंकर आर्य ने कहा कि संविधान लोकतंत्र खतरे में है, इसलिए सबों के साझे संघर्ष को बढ़ाना होगा। इसके साथ सम्मेलन को विधायक मनोज मंजिल, विधायक अजय कुमार, श्याम भारती, शत्रुघ्न सहनी, जीबछ पासवान, केदार पासवान आदि ने संबोधित किए। सम्मेलन का संचालन ओमप्रकाश मांझी और भोला प्रसाद दिवाकर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन रिटायर्ड मुख्य अभियंता विश्वनाथ चौधरी ने किया।
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