विशेष : चुनावी परिणाम ने बजायी 2024 के जीत की डुगडुगी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 3 दिसंबर 2023

विशेष : चुनावी परिणाम ने बजायी 2024 के जीत की डुगडुगी

हर चुनाव में हर पार्टी के लिए कुछ न कुछ मैसेज छिपा हुआ होता है. कुछ ऐसे ही संकेत मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में भाजपा की बंपर जीत ने भी दी है। यह संदेश न सिर्फ बिहार, बल्कि 2024 के जीत की भी गारंटी दे दी है। मतलब साफ है ’जय श्री राम’ और ’मोदी है तो मुमकिन है’ का रिंगटोन 2024 में गूंजने वाली है। या यूं कहें 2024 में मोदी सरकार के लिए हैट्रिक का रास्ता साफ हो गया है। खासतौर से तब जब विपक्ष एकजुट के बावजूद नेतृत्व के धनचक्कर में ही उलझा हो। .सबसे बड़ा सवाल जो हर किसी के मन में था. मोदी फैक्टर में दमखम बचा है या नहीं? लेकिन तीनों राज्यों के परिणाम ने अपनी तरफ से इस सवाल का भी जवाब दे दिया है। नतीजों ने साफ कर दिया है कि आगे सिक्का बीजेपी का ही चलेगा. राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मोदी की गारंटी का डंका बजने लगा है. “विकास की गारंटी हैं नरेंद्र मोदी“ कर रिंगटोन सुनाई देने लगा है 

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फिरहाल, 2014 में मिली प्रचंड जीत के बाद हर चुनाव बीजेपी मोदी के नाम पर ही लड़ती आयी है. जहां सत्ता में नहीं है, वहां की तो बात ही और है, लेकिन जहां सरकार और मुख्यमंत्री हैं, वहां भी बीजेपी ने मोदी के आगे मुख्यमंत्री का नाम तक ठीक से नहीं लिया. यह अलग बात है कि गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी ने ही साफ तौर पर कहा था कि वे लोग बीजेपी को इतने वो वोट दें कि उनकी भी जीत का रिकॉर्ड टूट जाए. लोगों ने मोदी की बात मान ली - और भूपेंद्र पटेल ने जीत के मामले में मोदी का रिकॉर्ड तोड़ दिया. अभी पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव में एक मध्य प्रदेश ही ऐसा राज्य रहा जहां बीजेपी सबसे मजबूत नजर आ रही थी, लेकिन उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आई तभी लग गया कि कैसे बीजेपी शिवराज सिंह चौहान को किनारे लगाने का इंतजाम कर रही है. ये बीजेपी के संसदीय बोर्ड का ही फैसला था कि लोक सभा से पहले के यानी 2023 तक के सभी विधानसभा चुनाव पार्टी सिर्फ मोदी के चेहरे पर ही लड़ेगी और चुनाव दर चुनाव देखा भी यही गया. नतीजों ने इसे साबित भी कर दिया है कि मोदी का जलवा अब भी बरकरार है। उनके बगैर भाजपा की जीत नामुकिन है। मध्य प्रदेश सबसे बड़ी मिसाल है. बेशक राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी के पास स्पष्ट चेहरा न होते हुए भी बहुमत मिल गया, लेकिन मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को हटाकर देखें तो तस्वीर अलग भी हो सकती थी। अगर राजस्थान में बीजेपी ने वसुंधरा या किसी और नाम को पेश किया होता तो पहले ही शक शुबहे खत्म हो चुके होते और यही बात छत्तीसगढ़ के मामले में भी लागू होती है. कहा जा सकता है कि मोदी का जादू अभी अच्छी तरह चल रहा है, और विपक्षी गठबंधन इं डि या के खड़े होने की स्थिति में भी बीजेपी के लिए केंद्र की सत्ता में वापसी बहुत मुश्किल नहीं हो सकती.  तीन राज्यों में भाजपा की प्रचंड जीत, ने बता दिया है कि विपक्ष के लिए लोकसभा चुनाव 2024 सिर्फ और सिफ्र सपना है। या यूं कहे चुनाव से पहले ही अंधेरे में है इंडिया गठबंधन का भवष्यि। या यूं कहे विपक्ष के गठबंधन आईएनडीआईए के लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के हाथ से सत्ता छीनने के सपने को झटका लग सकता है।


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मध्य प्रदेश में सपा ने गठबंधन न होने के कारण 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारे पर एक भी सीट पर पार्टी कब्जा नहीं कर पाई। वहीं बसपा का तीनों राज्यों में वोट प्रतशित सपा से बेहतर नजर आया। अब आईएनडीआईए गंठबंधन भाजपा के रचे चक्रव्यूह को 2024 लोकसभा चुनाव में कैसे भेद पायेगा ये देखना बेहद दलिचस्प होगा। यूपी की 80 सीटों को जीतने का दावा करने वाली सपा और कांग्रेस को तीन राज्यों में भाजपा के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में वपिक्ष का गठबंधन भाजपा के सामने लोकसभा चुनाव जीतने के लिए सीटों का बंटवारा करने के लिए क्या रणनीति बनायेगा यह भी भवष्यि में ही तय होगा। खासकर तब जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में क्लीन स्वीप पर है। चुनाव से पहले सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कलह खुलकर सामने आई थी। खास यह है कि इन नतीजों ने कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय उम्मीदवारों को जोरदार झटका दिया है। पीएम मोदी पूरे भारत के मन में हैं इसलिए बीजेपी को विकास के नाम पर वोट मिलता है, महिला सुरक्षा और उनके सम्मान के नाम पर वोट मिलता है.“ नरेंद्र मोदी के विकास की राजनीति, मोदी की गारंटी और बीजेपी पर लोगों का भरोसा ने बीजेपी को जीत दिलाई है.“ मोदी का नेतृत्व पूरे देश से स्वीकारा है. जिस तरह देश का विकास हो रहा है, भारत की अर्थव्यवस्था वैश्किव स्तर पर तीसरे नंबर पर आ गई है.  आज के चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया है कि तुष्टीकरण और जाति में बांटने की राजनीति के दिन समाप्त हो चुके हैं। नया भारत पॉलिटिक्स ऑफ परफॉरमेंस पर वोट देता है।


राह नहीं थी आसान

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मध्य प्रदेश में बीजेपी लंबे अरसे से सत्ता पर काबिज है. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी से छत्तीसगढ़ छीन लिया था. राजस्थान में पिछले चुनाव में वहां की बदलाव की परंपरा के मुताबिक मतदाताओं ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया था. इस बार बीजेपी के लिए जहां छत्तीसगढ़ और राजस्थान में खोई हुई गद्दी फिर से हासिल करने की चुनौती थी वहीं कांग्रेस के सामने इन सिंहासनों क बचाने की चुनौती थी. बीजेपी ने इन विधानसभा चुनावों में किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री के रूप में किसी नेता को प्रोजेक्ट नहीं किया. कई केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों को चुनाव मैदान में जरूर उतारा गया लेकिन  चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रखकर लड़ा गया. चुनाव प्रचार में भी पीएम मोदी लगातार जुटे रहे. पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कई रैलियां और रोड शो किए थे. इस प्रचार के दौरान राज्यों के सभी इलाकों को कवर किया गया. उन्होंने मुख्य विपक्षी कांग्रेस पर जोरदार हमले किए और केंद्र की बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार की उपलब्धियां गिनाईं. पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश में 15 रैलियां कीं. इसके अलावा इंदौर में एक रोडशो भी किया. रतलाम, सिवनी, खंडवा, सीधी, दमोह, मुरैना, गुना, सतना, छतरपुर, नीमच, बड़वानी, इंदौर, बैतूल, शाजापुर और झाबुआ में की गईं इन चुनावी रैलियों में प्रदेश के करीब सभी इलाकों को कवर किया गया. राजस्थान में पीएम मोदी ने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी उन्होंने इस राज्य में 12 रैलियां कीं. उदयपुर से पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार का शंखनाद किया था. इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़, भरतपुर, जयपुर सहित राज्य के अलग-अलग इलकों में कुल 12 जनसभाओं को संबोधित किया. बीजेपी ने इन सभाओं के जरिए राजस्थान के सभी समुदायों से पीएम मोदी के मुखातिब होने की रणनीति बनाई थी. इसका असर परिणामों में दिखा। छत्तीसगढ़ में पीएम मोदी ने किया था धुआंधार चुनाव प्रचार। चार चुनावी रैलियां की थीं. इन रैलियों के जरिए प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया था.


कहां-कहां बीजेपी की सरकार?

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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने अभूतपूर्व ऊंचाई हासिल की है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत के साथ भारत का सियासी मानचित्र बदल गया है। नतीजों के बाद देश का राजनीतिक मानचित्र और भगवामय हो गया है। यूपी, एमपी, राजस्थान का मतलब बीजेपी अब हिंदी हार्टलैंड पर एकछत्रराज। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही बीजेपी का ग्राफ ऊपर चढ़ता गया है। देखा जाएं तो 2014 से भारतीय राजनीति में ’नरेंद्र मोदी युग’ की शुरुआत हुई। बीजेपी के इतिहास में मोदी का कालखंड राजनीतिक रूप से सबसे सफल और फलदायी रहा है। जब 2014 में बीजेपी केंद्र की सत्ता में आई, तब उसकी 7 राज्यों में सरकार थी। पांच राज्यों (गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गोवा) में बीजेपी का सीएम था। आंध्र प्रदेश और पंजाब में बीजेपी सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा थी। आज तक बीजेपी देश के 15 राज्यों में या तो सत्तारूढ़ थी या सत्ताधारी गठबंधन में शामिल थी। इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम और पुडुचेरी शामिल हैं। 2018 में पूर्वोत्तर के राज्यों में चुनाव के बाद, बीजेपी की ताकत अपने चरम पर थी। उस समय बीजेपी देश के 22 राज्यों में सरकार थी। हालांकि, कुछ महीनों बाद बीजेपी को एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार का सामना करना पड़ा। दक्षिणी राज्यों में बीजेपी अपनी पैठ नहीं बना सकी। 2023 में बीजेपी ने एकमात्र दक्षिणी राज्य कर्नाटक भी गंवा दिया। लेकिन अब बीजेपी एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने वाली है। बीजेपी का एक बार फिर नॉर्थ-सेंट्रल इंडिया पर राज होगा। नतीजों के बाद देश के कुल 28 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में से 16 में अब बीजेपी$ सरकार होगी। इनमें 12 राज्यों में बीजेपी अकेले अपने दम पर सत्ता में रहेगी। कांग्रेस महज 3 राज्यों तक सिमट गई है। गठबंधन के साथ कांग्रेस कुल 5 राज्यों की सत्ता में बची है। फिलहाल देश में 30 विधानसभाएं हैं। इनमें 2 केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पुडुचेरी भी हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के नतीजों के बाद अब 16 प्रदेशों की सत्ता में बीजेपी आ जाएगी। यहां देश की करीब 52 फीसदी आबादी रहती है। इनमें अपने बूते 12 प्रदेशों में और बाकी 4 प्रदेशों में गठबंधन साथियों के साथ। इनमें से कोई भी दक्षिण भारत का राज्य नहीं। बीजेपी के अकेले अपने दम पर सरकार बनाने वाले राज्यों में उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, गोवा, असम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। गठबंधन वाले राज्यों में महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड और सिक्किम हैं।


पनौती कौन है? का जवाब 

तीन राज्यों में भाजपा की जीत के जरिए पीएम मोदी ने कांग्रेस को बता दिया है कि इस देश के लिए पनौजी कौन है। मोदी ने ट्विटर पर उन्होंने लिखा कि “हम जनता जनार्दन के आगे नतमस्तक हैं. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि भारत की जनता का भरोसा सिर्फ और सिर्फ सुशासन और विकास की राजनीति में है, उनका भरोसा बीजेपी में है.“ बता दें, राहुल गांधी ने रैली में पीएम मोदी को ’पनौती मोदी’ बताया था. उन्होंने कहा था “पीएम मतलब पनौती मोदी. अच्छा भला हमारे लड़के वहां वर्ल्ड कप जीत जाते।






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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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